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हम बेटियां ऐसी होती हैं

 कितनी बाते, कितने किस्से दिल मे छुपाये जाती है जब बेटियां मायके आती है। भारी दिल और थका शरीर लेकर कुछ दिन आराम करने आती है। जब बेटियां मायके आती हैं। मां की खुली बाहें भाभी की मुस्कुराहट भाई के बचपन की यादें ताज़ा होती हैं जब बेटियां मायके आती हैं अपनी गलियां,अपना आंगन ,सखियों की आवाजें आती है। सब होकर भी सब खाली सा पाती है जब बेटियां मायके आती है सुखी रोटी ,खीर बताएं तानो को प्यार बताती हैं जब पूछे सब सखियाँ मिल  सासरे की लाज बचाती है जब बेटियां मायके आती है। बचपन जीना चाहे फिर से आंगन में चहकना चाहती है। घर घर जाकर ,ताई चाची संग खूब हंसना चाहती है जब बेटियां मायके आती है। कुछ दिन बिताकर अपनो में  फिर चुन चुन समान लगाती है दिन दिन गिन कर वापसी के मन ही मन में रोती है। यादो की पिटारी भारी ले फिर वापस लौट जाती हैं कुछ डब्बों में खाने का सामान भर  झोली ,माँ अपनी सीखों से भर देती है जब बेटियां वापस जाती है। अपना कुछ रह जाये गर वो लेने से भी शर्माती है। माँ कुछ देती भी है तो  लेने से कतराती है जब बेटिया वापस जाती है। सब देने वाले बाबुल को  रोता छोड़ जाती हैं। फिर कब आओगी बिटिया रानी ये सुन