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एयर होस्टेस पार्ट 4

शीना एयरलाइन्स को अलविदा कह चुकी थी।मगर दिल मे एक डर था कि अब क्या होगा ।अब क्या करेगी वो।घर मे किसी को नही पता था कि शीन जॉब छोड़ चुकी है सिवाय उसकी बहन के।वो भी इसलिए कि वो कुछ दिन शीना के पास रहने आई हुई थी।शीना खुद में खोई सी रहने लगी थी।,उसकी बहन उसे बार बार बोलती की वो कुछ दिन के लिए घर चले मगर शीना शायद मानसिक तनाव से घिर गई थी।वो नही चाहती थी कि घर मे पता चले वरना उस से हज़ार सवाल किए जाएंगे।शीना खुद से ही जंग लड़ रही थी।दिल्ली ,चंडीगढ़ कितने हाथ पॉव मार रही थी मगर कोई रास्ता नजर नही आरहा था।एयरलाइन में जाना नही चाहती थी किसी और फील्ड की नॉलेज नही थी शीना बुरी तरह फस गयी थी।घर मे पता न लग जाये ये डर अलग से उसे खाये जा रहा था।रूम का किराया,खाने पीने का खर्च बराबर चल रहा था और इनकम जीरो।देखते ही देखते एक महीना निकल गया था मगर निराशा के अलावा और कुछ हाथ नही लगा था शीना के।कई बार दिल करता कि भाग कर अपने घर चली जाए और सौ बातो का जवाब एक बार मे देदे की वो नही करना चाहती जॉब ।अपने घर रहना चाहती है अपनो के बीच ।इस दुनिया की जो मांग है वो पूरी नही कर पा रही हूँ मैं।गिद्ध जैसी ललचाती नजरो क

एयरहोस्टेस पार्ट 2

सब कुछ नया था शीना के लिए।ये आलिशान होटल जैसे एक सपनो की दुनिया का हिस्सा था।मसूरी का पांच सितारा होटल jaypee residency mannor massorie. जैसे फिल्मो से लाया गया कोई सेट हो।40 दिन की टैनिंग के लिए शीना के बैच से 4 लड़के 2 लडकिया भेजी गयी थी।शंकर,उमेश,अभिनव,विनय,अनामिका और शीना,टैक्सी लेकर मसूरी की वादियों में पहुंचे थे।होटल की तरफ से रहने की सुविधा एक दिन बाद मिलनी थी।मगर आज की रात इन ठंडी वादियो में कैसे गुजरेगी ये फैसला सब ने मिलकर लिया।पास थोडा और ऊपर चल कर एक कमरा मिला था,जिसमे 3 सिंगल बेड पड़े थे ,नहाने के लिए ठंडा शरीर को जमा देने वाला पानी भी था,बिस्तर भी मकान मालकिन ने तरस खा कर दे दिए थे।अब सीधा सा हिसाब था 3 बेड पर 6 लोग।मगर ये सीधा सा हिसाब तब ख़राब हुआ जब अनामिका और अनुभव एक बेड पर सोने को उतावले हुए।दोनों की दिलो की चाहत को जिस्मानी जरुरत में बदलने का मौका जो था।शीना ये आधुनिकता देख कर भाव विभोर थी मगर इस रात को कैसे भी काटना उसकी मज़बूरी थी।विनय और उमेश दूसरे बेड पर थे ,अब बचे शीना और शंकर,मगर ये संभव ना था,शंकर के दिल में शीना के लिए प्यार के बीज तो कब के उग चुके थे या फिर स

एयर होस्टेस पार्ट 3

होटल ट्रेनिंग पूरी हो गयी थी ,शीना अपने घर लौट आई थी।A H A की ट्रेनिंग अभी 6 महीने की बाकी थी।मगर शीना और बाकी सब दोस्त मन बना चुकी थी कि अब बस जॉब प्लेसमेंट लेंगे खुद।अकादमी पर निर्भर नही रहेंगे।खुद जॉब ढूंढेंगे।हाथ पांव मार कर शीना ने बात भी कर ली थी जॉली ग्रांट एयरपोर्ट के लिए।मकान मालिक का बेटा मनीष।उसके अच्छे संबंध थे एयरपोर्ट ओर मोहित नेगी से जो वहां का हेड था।मनीष शीना को अपनी बहन बुलाता था इस नाते वो तैयार था उसकी मदद करने के लिए। शीना दिल खोल कर अपने घर पर रह लेना चाहती थी मगर दूसरी तरफ जल्दी से जल्दी जॉब भी करना चाहती थी।कहते है ना मिडिल क्लास लोग सबसे ज्यादा परेशान रहते हैं।छोटे से गांव से निकली एक लड़की अपनी हैसियत से ज्यादा फीस भर कर पढ़ी,कही न कहीं घर का ,रिश्तेदारों का और गांव वालों का दबाव सा महसूस करने लगी थी शीना।अगर जॉब न मिली तो लोग क्या कहेंगे।जल्दी जॉब करूँगी तो घर मे मदद कर पाउंगी।ये सारे विचार शीना को चैन से एक दिन नही बिताने दे रहे थे ,मगर वो तो जानती ही थी कि कुछ दिन में वो चली ही जायगी।मगर रही सही कमी आस पड़ोस के लोगो ने पूरी कर दी थी,हाँ घर वाले भी बराबर के ज

मिसेज उत्तराखंड 2019

28 अगस्त 2018 मेरे जीवन का महत्त्वपूर्ण दिन और मेरी उपलब्धि का सबसे बड़ा दिन।शाम के यही कोई 6.30 बजे होंगे ।जब मेरे हाथ मे वो सुनहरे रंग की ट्रॉफी दी गयी थी,नकली ही सही मगर चमकते हुए डिमांड का वो ताज मेरे सर पर सजाया गया।ये सब मेरे ही साथ हो रहा था ये मैं खुद एहसास नही कर पा रही थी।खुशी से शून्य तो मैं तभी हो गयी थी जब एंकर ने मेरा नाम बोला था "And the winner is Mrs Priti Rajput Sharma".कुछ पल तो लगा जैसे ये मेरी ही कल्पना मात्र है।मगर जब तालियों की बजती आवाज कानो में पड़ी तो जैसे स्वप्न से जागी मैं।सबकी नजरें मुझे देख रही थी।पूरा हाल तालियों से गूंज रहा था।मेरे पास खड़ी जूरी मुझे बधाई दे रही थी।सोनी चेनल की स्टार करिश्मा रावत ने मेरे हाथ मे एक गिफ्ट थमाते हुए मुझे बधाई दी।पास खड़ी एक जज ने मेरे सर वो ताज रख दिया।और दूसरे ने मुझे वो सूंदर ट्रॉफी दी।मैं जैसे उड़ रही थी।।सपनो में।मेरी नजरे तो बस मेरे हमसफर को तलाश रही थी जो उसी भीड़ में पिछे खड़े मुस्कुरा रहे थे।हाँ पीछे खड़े।।।नीवं की ईंट दिखती कहाँ है।बाकी चमकती ईंट के नीचे छुप जो जाती हैं।फिर मैंने अपने परिवार को देखा जो गर्व से सी

भैया भाभी का घर

पति का घर,माँ पापा का घर,नानी का घर,मगर भैया भाभी का घर हम कभी नही बोलते ।क्योंकि वो घर तो हमेशा मायका या मम्मी का घर होता है। भाई की शादी के बाद पहली बार 2 दिन के लिए मायके गयी थी मैं।और उन दो दिनों में बहुत सा अनुभव लेकर लौटी।। "अच्छा अनुभव" मैं खुश थी इस बार ।कितने घर देखे जिनमे भाभी के शामिल हो जाने से परेशानियों या लड़ाइया भी गृह प्रवेश करती हैं। भाभी के आजाने से असहज महसूस होता है। इस रिश्ते के 2 अनुभब तो होते ही हैं। मगर मेरे लिए अभी ये अनुभव सुखद लगा। जैसे ही घर में कदम रखा माँ के साथ एक शक्श को और देखा दरवाजे पर स्वागत में खड़े।और वो थी भाभी। मैंने भी माँ से पहले भाभी को गले लगाया था। बहु को चाहिए ही क्या,प्यार भरी 2 बात और व्यवहार ,फिर तो भाभी जान जुटा दे प्यार लूटाने में।ये मेरा अपना अपना अनुभब है।क्योंकि मैं भी तो 5 साल पहले किसी की भाभी बनी थी।और भगवान की कृपा से अभी तक मेरा और मेरे ननद का रिश्ता बड़े प्यार से चल रहा है।और अच्छे रिश्ते में योगदान भी दोनों का बराबर ही होता है। खैर घर में अंदर जाते ही भाभी ने पानी का ग्लास हाथ मे थमा दिया।जो मैं हमेशा खुद ही

एन ओपन लेटर टू माय सन "वेदान्त' 1

आज तुम एक महीने के पूरे हो गए हो।पता ही नही लगा कब ये दिन बीते।तुम्हारे जीवन मे आजाने का एहसास बहुत बड़ा जो है।इस से एक महीना पहले तुम्हारे आने की तैयारियां हो रही थी।और आज एक महीना पूरा होने की खुशियां मनाई जा रही हैं।तुम्हारा नामकरण भी हो चुका और सबकी सहमति से तुम्हे एक बड़ा ही अर्थपूर्ण नाम दिया गया है "वेदान्त"।जो वेदों का राजा कहा जाता है।यूँ तो बहुत से नाम हैं तुम्हारे।"लड्डू" ये वो शब्द है जो तुम्हे देखकर सबसे पहले मेरे मुंह से निकला था।तुम्हे इसी नाम से पुकारा था मैंने।फिर तुम सबके प्यारे लड्डू बन गए। तुम्हे पता है,तुम्हारे आने से पहले ही मैने तुम्हारा नाम सोच लिया था"शिवोम" मगर इस नाम को सबकी सहमति ना मिल सकी।मगर अकेले में मैं आज भी तुम्हे इसी नाम से संबोधित करती हूँ।खैर वेदान्त भी तुम्हारी माँ का ही सुझाव है।जूस दिन तुम आये इस दुनिया मे मैं अपने होश में नही थी,बस उड़ती सी नजरो से मैने तुम्हे देखा था।तीन या चार बार देखा मगर फिर भी तुम्हे पहचान नही पाई  कि तुम्हारी आंखे,नाक ,होंठ,चेहरा किसके जैसा दिखता है।क्योंकि मैं पूरी तरह होश में नही थी।मगर सब ब