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जुलाई, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

"क्या वो सच में बहादुर बेटी थी"

आज एक साल पूरा हो गया ।आज फिर से वही सब होगा पंडित जी आएंगे ,हवन करेंगे ,फिर वही सारा खाना बनेगा,एक भी चीज़ बदलनी नहीं चाहिए पंडित जी ने पहले ही कह दिया था ।परिधि ने सारा काम हाथों पे उठा रखा था बाकि की बहने भी आगयी थी हाथ बटाने।परिधि 15 दिन पहले ही आ गयी थी ससुराल से ।बाकि सब की अपनी अपनी मज़बूरी थी वो उसी दिन आ पाएंगी जब परिधि को पता लगा उसने उसी दिन अपने पति से 15 दिन पहले मम्मी के घर जाने की इज़ाज़त मांगी।भाई घर में अकेला है ,अभी छोटा है उम्र ही क्या है उसकी ,इतनी जिम्मेदारी कैसे निभा पायेगा बहुत तैयारियां करनी होंगी अकेला नहीं कर पायेगा वो ,मैं चली जाती हूँ उसे सहारा हो जायेगा।,, विराज एक सुलझा हुआ इंसान था कभी परिधि को सही चीज़ के लिए ना नहीं की मगर फैसले लेने में हिचकिचाता था ।अगर खुद से कह दिया चली जाओ तो मम्मी पापा डाँटेंगे,शादी को एक साल ही तो हुआ है पत्नी के फैसले बिना उनकी मर्जी के लूंगा तो मम्मी पापा नाराज हो जायेंगे,विराज सोच में पड़ गया था। "ठीक है मैं पापा से बात करता हूँ तुम मम्मी से पूछ लेना एक बार ,बहुत सोच के विराज ने कहा था।खैर जैसे कैसे वो पहुँच गयी थी 15 दिन

"माय वाइफ इज़ माय लाइफ"

हमने कितने ही युवाओं के मुंह से ये शब्द सुने होंगे "माय वाइफ  इज़ माय लाइफ "।क्या आप सहमत हैं इस लाइन से।मुझे आज फिर अफ़सोस हुआ आज के युवाओं की इस सोच पर अगर वाइफ उनकी लाइफ है तो वो कौन हैं जिनकी लाइफ निकल गयी उनकी लाइफ बनाने में ,जिन्होंने उन्हें ये लाइफ दी है।मैं खुद एक लड़की हूँ बाकि लड़कियों की तरह मैंने भी अपने जीवन साथी को लेकर हज़ारो लाखों सपने लेकर ही ससुराल में कदम रखा था मैंने भी हमेशा उम्मीद की है की मेरा जीवनसाथी हर मुश्किल में मेरे साथ खड़ा रहे मगर इस शर्त पर बिलकुल नहीं की वो अपने ही माँ पापा के सामने ये एलान करे की मैं उनकी लाइफ हूँ ,हाँ ये सच है की पति पत्नी के हज़ारो जज़्बात जुड़े होते हैं मगर वो जज़्बात कहाँ और किसके सामने जाहिर हो ये सोचने का मुद्दा था। खैर मुझे पता नहीं क्यों ये सब सुनकर अच्छा नहीं लगा था ।आखिर मैं भी तो मॉडर्न टाइम की लड़की हूँ फिर मुझे क्यों अफ़सोस हुआ जब मैंने ये स्टेटमेंट फेसबुक पर देखी।मुझे क्यों कभी ख़ुशी नहीं हुई जब किसी लड़के ने अपनी पत्नी के फ़ोटो पर माय लाइफ लिखा ।।।क्योंकि शायद मेरा दिल सहमत नहीं था इस बात से ।मेरे अंदर एक नाराजगी सी थी आज क

Absenc+Distence=value

आप सोच रहे होंगे की ये ब्लॉग लिखते लिखते मैं maths क्यों करने लगी।कहते हैं खूबसूरत लड़कियाँ maths में हमेशा weak होती है।😊😊😊😊😊 अब मैं क्या बोलू की मैं art student क्यों रही।चलिए छोड़िये मगर ये भी सच है दोस्तों की जो जिंदगी का गुना भाग ,जोड़ घटा सीख जाये वो जीना सीख जाता है ।और ये फार्मूला भी कुछ गलत नहीं है किसी की गैरमौजूदगी और फासले ही हमे उसकी एहमियत समझाते है । क्यों न हम अपने बचपन से शुरू करे ये पन्ने पलटना जो कदम कदम पर हमे बताएँगे की किस चीज़ के ,किस इंसान के दूर होने पर हमे एहसास हुआ की उसकी value क्या थी। याद है आपको वो खिलौने जो बचपन में हम अपने ही भाई  बहनो से ,मेरा मेरा कह कर बांट लिया करते थे ।और खेल खेल कर जब वो टूट गए तब समझ आया की हमारी खिलोनो की टोकरी उनके बिना कितनी खाली है। स्कूल गए तो बहुत फ्रेंड्स बने और कुछ बने दुश्मन ।।।जिनमे वो teacher भी शामिल थे जो हमें पनिशमेंट देते थे  मगर जब रिजल्ट आया तो first divison देख के उन टीचर्स की मार में छुपे प्यार की value समझ आई।जब सालों बाद यूं ही market में अपने कुछ दुश्मन class mates से सामना हुआ तो खुद ही कदम बढ़ गए उनकी

The day i felt something inside me..

That was the last week of june 2014 when i started feeling so many changes inside me .tge whole day i used to pass on google in searching the details about the caring tips in first timester of pregnancy. i was supposed to be pregnant this month n eagerly waiting the day i ll miss my period.i was feeling happy all the time i was lost in my thoughts whole day i started knitting my dreams about my pregnancy n about my unborn baby.i wanted to tell my husband about my changes but i was afraid as so manytimes my feelings changed into tears.two years had been passed to our marriage but still we were two .relatives family members were started to ask about our plan to become parents.we were also getting serious about it ..but this month i was geting changed ...yes yes the pregnancy symptoms guys ....i did not tell abyting to anyone.i remember it was last week of june and i woke up early morning and rushed to rest room with the pregnancy tester preganews in my hand as i heard we should test it

और मैंने सम्मान को चुना था

हाँ मैंने सम्मान को चुना था आज ही नहीं पहले भी कई बार।इस चुनाव के बदले मैंने भारी कीमत भी चुकाई आज ही नहीं पहले भी कई बार।एक संघर्षपूर्ण जीवन और आत्मसम्मान ये पहले से ही मेरे लिए एक पसंदीदा चुनाव रहा है ।मुझे आज भी याद है जब हर sunday पापा जी की छुट्टी हुआ करती थी और रात को हम सब साथ बैठा करते थे तब वो हमसे पूछते थे की हम में से किसे कैसा जीवन पसंद है? तब मेरा जवाब एक ही होता था की मुझे संघर्षपूर्ण जीवन पसंद है मैं जो चाहूँ मुझे कोशिशो के बाद मिले ताकि उसका आनंद दोगुना हो जाये ।और मुझे कुछ मिले न मिले बस इज़्ज़त मिले सम्मान मिले। उस वक्त या तो मैं इन चीज़ों को लेकर नादान थी या फिर वाकई ये मेरी choice थी जो भी था मगर लगता है उस वक्त सरस्वती माता विराजमान थी मेरी जुबान पर मुझे अभी तक हर चीज़ मिली जो मैंने चाही मगर बहुत संघर्ष के बाद ।हाँ आज भी कुछ चीज़ों को लेकर मैं संघर्ष कर रही हूँ infact बहुत संघर्ष कर रही हूँ और मुझे पूरा यकीन है की मेरा ये struggle ख़राब नहीं जायगा मुझे वो भी मिलेगा जिसके लिए struggle कर रही हूँ और जिसकी वजह से कितनी बार मुझे दुःख का दर्द का सामना करना पड़ा है खैर रही बात

मुझे तेरी जरूरत है

जरुरत शब्द ही हमे depand होने का एहसास कराता है।बचपन से आखिरी समय तक जरुरत शब्द हम सबकी जिंदगी में मुख्य किरदार निभाता है । यूँ तो हमे बहुत चीज़ों की जरुरत होती है रोटी की कपडे की एक छत की ,हर सुख सुविधा की ।मगर यहाँ बात रिश्तों की जरूरत की हो रही है  । हमे जिंदगी जीने के लिए हमेशा  किसी न किसी की जरुरत होती है  जब हमे लगता है की इस रिश्ते के बिना जीना नामुमकिन है । मगर कौनसा रिश्ता कब तक हमारा साथ निभाता है जब जन्म होता है पालन पोषण के लिए माँ बाप एक परिवार की जरूरत होती है ।हम उनकी छत्र छाया में पलते हैं गलतिया करते हैं मन मानी करते है हमे हर कदम पर उनकी जरुरत होती है।।खेलने के लिए भाई बहिन ,दोस्तों की जरूरत होती है  मगर वो जरूरत कब तक पूरी होती है जब तक हम अपनी जिम्मेदारियो में न बन्ध जाये।जब शादी हो कर हम नए घर जारही होती हैं तो लगता है हम मम्मी पापा के बिना नहीं जी पाएंगे क्योंकि हमे तो हर कदम पर उनकी जरुरत है ।शादी होते ही हमारी जरूरत हमारा जीवन साथी होता है तब लगता है हमे सब रिश्तों को समझने के लिए जीवन यापन के लिए और सुखद जीवन के लिए उसकी जरुरत है।।धीरे धीरे हम आदि हो जाते है

Move करना आज जरूरी नहीं जरुरत था।

आज मै पूरी तरह तैयार थी आगे निकल जाने के लिए ।।।जिंदगी हर दिन बदल रही थी बस नहीं बदला था तो वो एहसास जो कभी कभी जीना मुश्किल कर रहा था ।समझ नहीं आरहा था की आखिर ये जिंदगी चाहती क्या है ।कभी लगता की सब कुछ मेरे हक़ में है और कभी कभी अपनी परछाई भी अपने खिलाफ खड़ी नजर आती । मैं शायद हारने लगी थी ।हर रोज जब सवेरा होता मुझ लगता आज का दिन कुछ नया होगा ।।।कोई नयी ख़ुशी लेकर आउंगी मैं खुद अपनी जिंदगी में मगर जैसे जैसे शाम होती मन बोझिल सा होने लगता ।कुछ छुट सा रहा था । कहने को सब कुछ था मेरे पास मगर फिर भी एक खली पैन सा था जीवन में ।और लग रहा थ हर कोई उस खाली पन का ही फायदा उठा रहा था ।लोग मुखोटा सा लगा कर घूम रहे थे आस पास समझ ही नहीं आरहा था की कौन अपना कौन पराया। कभी कभी हम खुद को कितना असहाय महसूस करते है ।मन करता है सब मोह माया छोड़ कर कही चले जाये ऐसी जगह जहाँ ना कोई जरुरत हो न कोई जरुरी हो ।मगर फिर पीछे मुड़ कर देखते है तो कुछ अपने खड़े नजर आते हैं कुछ जिम्मेदारिया नजर आती है कुछ फ़र्ज़ नजर आते है। कहने को सब यही कहते हैं की हम साथ क्या लाये थे और क्या लेकर जायेंगे ।मगर कोई समझाये मुझे की