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छोटे कपड़े भी

  मेरा आज का ये लेख बहुत प्रभावी हो सकता है।बहुत हिम्मत जुटा कर मैंने इस विषय पर लिखने का फैसला किया।क्योंकि आज के समय मे जो भी इस विषय पर बोलता है उसे छोटी सोच वाला बोला जाता है।शायद मुझे भी बोला जाए।शायद मुझे काफी कुछ सुनने को भी मिले,शायद ये भी की एक स्त्री होकर इस विषय पर ऐसी सोच।लेकिन परिणाम की चिंता होती तो शायद मैं लिखती ही नही। तो मेरा विषय है ,परिधान,लिबाज़,कपड़े,जिसे हम ड्रेस भी बोलते हैं।अच्छा आपको नही लगता कि अगर परिधान बोला जाए तो दिमाग मे हिंदुस्तानी ट्रेडिशनल कपड़ो की छवि उभर आती है,लिबाज़ बोले तो सादगी भरे कपड़े,कपड़े बोले तो मात्र हिंदी शब्द,लेकिन इस ड्रेस शब्द ने तो जैसे सब बदल कर ही रख दिया। तो चलिए मुद्दे पर बात करते हैं।आज अगर कोई भी किसी लड़की को उसके कपड़ो को लेकर कोई राय देदे,या गलती से ये कह दे कि इस तरह के कपड़े नही पहनो,या फिर कोई ये कहने की हिमाकत कर दे कि कपड़े भी आज के बढ़ते बलात्कारों की वजह में से एक है,तो उस इंसान को इतना सुनाया जाता है कि वो अपने शब्द वापिस लेता है।क्यों? क्योंकि लड़कियों को अधिकार मिले हुए हैं। मैंने कुछ साल पहले एक वीडियो देखा था जिसमे एक औरत