छोटे कपड़े भी

 

मेरा आज का ये लेख बहुत प्रभावी हो सकता है।बहुत हिम्मत जुटा कर मैंने इस विषय पर लिखने का फैसला किया।क्योंकि आज के समय मे जो भी इस विषय पर बोलता है उसे छोटी सोच वाला बोला जाता है।शायद मुझे भी बोला जाए।शायद मुझे काफी कुछ सुनने को भी मिले,शायद ये भी की एक स्त्री होकर इस विषय पर ऐसी सोच।लेकिन परिणाम की चिंता होती तो शायद मैं लिखती ही नही।
तो मेरा विषय है ,परिधान,लिबाज़,कपड़े,जिसे हम ड्रेस भी बोलते हैं।अच्छा आपको नही लगता कि अगर परिधान बोला जाए तो दिमाग मे हिंदुस्तानी ट्रेडिशनल कपड़ो की छवि उभर आती है,लिबाज़ बोले तो सादगी भरे कपड़े,कपड़े बोले तो मात्र हिंदी शब्द,लेकिन इस ड्रेस शब्द ने तो जैसे सब बदल कर ही रख दिया।
तो चलिए मुद्दे पर बात करते हैं।आज अगर कोई भी किसी लड़की को उसके कपड़ो को लेकर कोई राय देदे,या गलती से ये कह दे कि इस तरह के कपड़े नही पहनो,या फिर कोई ये कहने की हिमाकत कर दे कि कपड़े भी आज के बढ़ते बलात्कारों की वजह में से एक है,तो उस इंसान को इतना सुनाया जाता है कि वो अपने शब्द वापिस लेता है।क्यों? क्योंकि लड़कियों को अधिकार मिले हुए हैं।
मैंने कुछ साल पहले एक वीडियो देखा था जिसमे एक औरत ने एक लड़की को ये बोल दिया कि इस तरह के कपड़े वजह बन जाते हैं इन बलात्कारों की,तो उन कुछ लड़कियों ने जो कि 18 या 19 साल की थी उस 40 ,42 साल की महिला को इतना मजबूर किया कि वो रो कर माफी मांगने पर विवश हो गयी।
तो मैं आज डंके की चोट पर बोलती हूँ कि हाँ ,कपड़े भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं इन बढ़ते बलात्कार के।और मैं इस बात को अपने शब्दों से अच्छी तरह साबित भी कर सकती हूँ।
कुछ लोग कहते हैं कि ये देखिए ये 9 महीने ,या 2 साल 5 साल की बेटी ,इसके कपड़े तो ऐसे नही थे जिसने एक पुरुष को भड़काया हो ,तो इसका बलात्कार क्यों?
जी बिल्कुल सही ।मगर क्या आप जानते हैं उस छोटी बच्चियों के साथ हुए बलात्कार के पीछे भी ये कपड़े ही छुपे होते है।कैसे?
आप ही सोचिये,आप एक गरीब परिवार में पले बढ़े,आपको 2 वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिली,और अचानक आपके सामने पकवान आये तो क्या उस पकवान को कैसे भी करके पाने की लालसा आपके दिल में नही होगी।
अब आप मुझे बताइये की ये जितने भी रेप होते हैं ये किस तरह के पुरुष करते हैं,जो बहुत अभाव में,गली कूंचों में,बुरे समाज मे पले बढ़े होते हैं या फिर बहुत ज्यादा अमीर बिगड़ैल और नशे के आदी।
वो गली कूंचे,या पिछड़े गांव या गरीब परिवार का इंसान जिसने अपने समाज की महिलाएं सिर्फ साड़ी में लिपटी,घूंघट निकाले देखी,जिसने कभी पैरो की एड़ियो से ऊपर का हिस्सा किसी पर स्त्री का नही देखा।जिसने कभी अपने समाज मे देह को दिखाती लिबाज़ में नही देखा,अब वो आ पहुंचा शहर,मजदूरी करने या काम करने,अब उसे छोटे कपड़ो में घूमती गोरी सूंदर लडकिया दिखी,जिनके कपड़े उनके शरीर को ढक ही नही पा रहे,उनके वो अंग बड़ी आसानी से देखे जा सकते हैं जो उस इंसान के समाज मे एक विवाहित इंसान ही देख पाता है,तो आप बताइए उसके मन मे ये अविचार क्या उस लड़की को देख कर आये या फिर उसके उन कपड़ो से को देख कर जिस से उसका शरीर झांक रहा था।
अब उस इंसान के दिल मे तीव्र इच्छा हुई कि वो किसी भी तरह इस चमकते शरीर को हासिल करें ,तो या तो वो उन्ही लड़कियों के साथ ये दुर्व्यवहार करेगा और अगर वो उसकी पहुंच से बाहर हैं तो अपनी उस अग्नि को शांत करने के लिए बलि चढ़ जाती हैं वो छोटी बच्चियां जो आसानी से उनका शिकार बन जाती है।मुझे उम्मीद है कि मैं अपना पक्ष रख पाइ जो ये कहते हैं कि छोटे बच्चो के कपड़े कैसे आकर्षित करते हैं ।तो वो छोटी बच्चियां तो सिर्फ निवाला बनी,किसी और कि गलती का।
अब आते हैं दूसरे लड़को पर,जो अमीर है,अच्छे परिवार से हैं,जिनके लिए ये शारीरिक सुख बड़ी आसानी से उपलब्ध हो सकता है लेकिन फिर भी रेप ,तो वजह है उनके बिगड़ैल होने की ,शराबी होने की।नशा कहाँ देख पाता है कि सामने कौन है।नशे में भड़काऊ कपड़े पहने सामने कोई आये तो इंद्रिया कैसे बस में रहे ,वो तो बलवान हैं।और फिर रईस घराने के सहजादे है उनके लिए रेप क्या बड़ी बात।
तो बताइए कैसे ना जिम्मेदार हुए ये कपड़े।
मैं एविएशन ट्रेनर हूँ,एयरहोस्टेस बनने के सपने देखने वाली लड़कियों को ट्रेनिंग देती हूँ।एक दिन मेरी क्लास में मेरी एक स्टूडेंट कुछ इस तरह के कपड़े पहन कर आई ,और आकर मुझे बताने लगी कि आज कैसे एक अधेड़ व्यक्ति ने उसको indirectly सुना दिया।कि इस तरह के कपड़े पहन कर खुद आती हैं और फिर महिला अधिकारों का दुरुपयोग करती हैं।वो भी बढ़ चढ़ कर मुझे बताने लगी कि किस तरह उसने उस अधेड़ व्यक्ति को उल्टी सीधी सुना डाली।
तब मैंने यही सब व्याख्या अपने सब स्टूडेंट्स को दी,की तुम इस तरह के कपड़े पहन कर पब्लिक सिटी बस में सफर करोगी ,जहां हर प्रकार के लोग होंगे ,उच्च श्रेणी के या वो मजदूर श्रेणी के ,जिनको इतने करीब से तुम्हारे शरीर के कुछ अंग इतनी आसानी से देखने को मिलेंगे तो उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी।
मैं ये भी नही कहती कि ये कपड़े गलत ही हैं ,लेकिन इन कपड़ो को पहने की जगह हमे बताती है कि गलत है या सही।यही कपड़े पहन कर आप दूसरे देश जाओ किसी को फर्क भी नही पड़ेगा क्योंकि ये उनके लिए आम बात है।या फिर आप ऐसे ही सामज से निकलो जहा ये आम है ,अपने प्राइवेट वेहकल से निकलो और वैसे ही समाज मे जाओ जहां ये आम है तो ये सही है ,लेकिन एक पब्लिक ट्रांसपोर्ट जहां हर तरह के लोग हैं आप इस तरह के कपड़े पहनोगे तो निगाहें भी हर तरह की ही सामना करोगे।
आज कपड़ो के नाम पर अश्लीलता हमारे देश मे फैल गयी है।मैं तो कहूंगी ये सिरियल्स, फिल्मे भी जिम्मेदार हैं है इस अश्लीलता की।हर लड़की हेरोइन की तरह कपड़े पहनना चाहती है लेकिन वो भूल जाती है कि वो उस समाज मे नही रहती।उस चकचौंध की दुनिया मे ये सब बड़ी आम बात है।और उस समाज की चकाचौध ही कुछ पुरुषों को भड़काती है और वो उस अनहोनी को कर देते हैं।
उस दिन मैं अपने स्टूडेंट को ये समझाने में कामयाब रही।
और शायद यहां भी मैं अपनी बात को सही से रख पाई।मैं फिर दोहराना चाहूंगी , छोटे और अजीब कपड़े ही रेप का कारण नही है लेकिन छोटे और अजीब कपड़े भी rape का कारण होते हैं।इस" ही  और भी"  का फर्क बहुत कुछ कहता है।
इसलिए जैसा देश वैसा वेश।
जय हिंद जय भारत


टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने