संदेश

नवंबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कच्ची सहेली

उस दिन हवा में एक सूनापन था जब मेरी पक्की सहेली ने मुझसे दोस्ती तोड़ी थी,उस दिन टूट सी गयी थी उसके इस अचानक के वार से,बिना कुछ कहे बिना शिकायत किये,बिना वजह बताये ,बिना मुझे बताये ये रिश्ता ख़त्म कर दिया था उसने। जुलाई 2003  की बात थी जब मैं अपने पापा और मामा जी जी की बेटी जो मेरी अच्छी दोस्त थी, के साथ हरिद्वार बुआ जी के घर जाने  के लिए बस स्टॉप पर खड़ी थी ,10 वीं में first division से पास होने के बाद रिश्तेदारियों में घूमने का मजा ही कुछ और होता है जब आपके माता पिता आपकी मेहनत का बखान करते है और रिश्तेदार आपकी सराहना करते है ,मैं भी बहुत खुश थी की बस जल्दी से हम हरिद्वार पहुंचे और अपनी 10वीं के फर्स्ट डिवीज़न पर थोडा और तारीफ सुन पाऊँ अपने पापा के मुह से।हम बिजनोर से हरिद्वार जाने वाली रोडवेज बस का इंतज़ार कर रहे थे की तभी हमारे गांव के एक आदमी ने पापा से पूछ लिया " पता नहीं भाई इतनी समझदार लड़की ने इस कदम कैसे उठा लिया।ऐसी उम्मीद नहीं थी आनंद की लड़की से।"पापा और मेरी आँखे प्रश्नसूचक होकर उनपर टिक गयी थी।आनंद की लड़की सुनते ही उनकी तीनो बेटियो का चेहरा  मेरे आँखों के सामने  था।ज

खास मैं नहीं वो है

उसका एहसास आज भी उतना ही खास है जितना उस पहले दिन था,साल बदल गए 'दिन ,महीने गुजर गए ,मौसम बदले,जिंदगी बदली,मगर उसकी नजरो में छुपा वो एहसास ,वो प्यार एक पल को फीका नहीं लगा।उसका साथ आज भी उतना ही अच्छा लगा जितना उस दिन लगा था जिस दिन वो मेरी जिंदगी में आया था।उसने मुझे हमेशा एहसास कराया की मैं कितनी खास हूँ,उसने मुझे बताया की मुझमे क्या क्या अच्छाइयां छुपी है।उसने मुझे बताया की मेरे चेहरे में कितना आकर्षण है,उसने मुझे बताया की मैं सुन्दर हूँ,सेक्सी ,हॉट,ये सब आधुनिक शब्द हर कदम पर हमे सुनने को मिलते हैं मगर खूबसूरत सुन कर जो ख़ुशी मिली वो कुछ खास थी। मेरी आदते ,मेरी अच्छी बुरी बाते,मेरा व्यवहार,मेरा पहनावा,मेरा बोलना ,मेरा चलना,मेरा जिंदगी को जीना,क्या था ऐसा जिसपर उसने ध्यान नहीं दिया था।ऐसा लगा जैसे उसी ने मुझसे मुझे मिलवाया हो।ऐसा लगा इस से पहले मैं खुद को जानती ही नहीं थी।मेरी खुबिया,मेरी कमिया मुझसे ज्यादा उसे पता थी।मेरे मुह से निकली हर बात उसे याद रहती।जब वो प्यार से मेरी आँखों में आँखे डाल कर देखता तो शर्म से मेरी नजरे झुक जाती ,जैसे उसकी आँखे मुझमे वो सब भी पढ़ रही हो जो मे