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aaj ka sach

हम बेटियां ऐसी होती हैं

 कितनी बाते, कितने किस्से दिल मे छुपाये जाती है जब बेटियां मायके आती है। भारी दिल और थका शरीर लेकर कुछ दिन आराम करने आती है। जब बेटियां मायके आती हैं। मां की खुली बाहें भाभी की मुस्कुराहट भाई के बचपन की यादें ताज़ा होती हैं जब बेटियां मायके आती हैं अपनी गलियां,अपना आंगन ,सखियों की आवाजें आती है। सब होकर भी सब खाली सा पाती है जब बेटियां मायके आती है सुखी रोटी ,खीर बताएं तानो को प्यार बताती हैं जब पूछे सब सखियाँ मिल  सासरे की लाज बचाती है जब बेटियां मायके आती है। बचपन जीना चाहे फिर से आंगन में चहकना चाहती है। घर घर जाकर ,ताई चाची संग खूब हंसना चाहती है जब बेटियां मायके आती है। कुछ दिन बिताकर अपनो में  फिर चुन चुन समान लगाती है दिन दिन गिन कर वापसी के मन ही मन में रोती है। यादो की पिटारी भारी ले फिर वापस लौट जाती हैं कुछ डब्बों में खाने का सामान भर  झोली ,माँ अपनी सीखों से भर देती है जब बेटियां वापस जाती है। अपना कुछ रह जाये गर वो लेने से भी शर्माती है। माँ कुछ देती भी है तो  लेने से कतराती है जब बेटिया वापस जाती है। सब देने वाले बाबुल को  रोता छोड़ जाती हैं। फिर कब आओगी बिटिया रानी ये सुन

बिखराव

कुछ यादें रह गयी कुछ बाते रह गयी  वो नही ,अनकही ,बाते रह गयी । कितना अजीब मंजर कितना बुरा एहसास अपनो को खोने का दर्द और  बिखरे से जज्बात। कुछ अजीब सी चुभ रही थी उस दिन हवाएं भी कुछ खालीपन सा था दिन भर की धूप में  कहा किसे पता कौन जाने वाला है, हर दिन जैसा ही बीत रहा था,वो दिन भी किसी को नही था आभास अचानक जरा कांच क्या फिसला हाथ से  खून हाथ मे नही दिल मे बहने लगा  जब खबर आई ,मेरा कोई अपना  बिन बताये जाने लगा। दिल मे टीस थी ,आंखों में खाली पन खाली पन में हज़ारो सवालात आखिर क्या इतनी जल्दी ,क्यों ऐसे जाना था जाने ऐसे पहले ,जी भर देख लेते  क्यों मुंह छुपाना था। आंखे सुर्ख और दिल की तड़प उसे खोने की चुभन ओर वो लम्बी सड़क मैं चली,एक उम्मीद से  देखूंगी,पूछुंगी, रोउंगी,बुलाऊंगी ये रास्ता तय कर जब उनसे लिपट जाउंगी उन्हें आना होगा ,मुझे सीने से लगाना होगा बताना होगा ,ओर मुझे चुप करना होगा  ये मेरी सोच थी  हां बस मेरी सोच थी  क्योंकि ऐसा हुआ कुछ नही  घर की अंधेरी भरी दीवारों ने ,फुसफुसाया मुझे बुलाया ,इत्मीनान से हर हाल कह सुनाया की तू रो,तड़प ,जो कर वो वापस नही आएगा आज इस घर मे रोशनी का दिया नही जगम

मेरी कीमत

 मुझे उम्मीद नही की मेरा काम सराहा जाए  मुझे उम्मीद है कि तुम फिर मुझे नीचा दिखा दोगे। मुझे उम्मीद नही की मुझे बराबर में ले चलोगे  मुझे पता है तुम मुझे पीछे छोड़ दोगे , ,मेरी मेहनत मेरा काम है और मेरा काम मेरा अभिमान ,मुझे पता है  मेरे अभिमान को तुम ठेस पहुंचा दोगे। मेरी शिक्षा,मेरा अनुभव  लोगो के सामने मेरा सम्मान  तुम कर न सकोगे  तुम पुरुष ,मैं स्त्री मुझे बराबर कभी समझ न सकोगे  पुरुष प्रधान है ये देश मेरा  यहां हुनर नही ,स्त्री पुरुष होना मायने रखता है पत्नी दो पैसे कमा ले ,बस वो भी आंख में चुभता है तुम मेरा सम्मान करना भूल गए  फिर अपने लिए क्या चाहते हो तीखे शब्द बोल कर  मेरे हदय को ठेस पहुचाते हो परख नही होती हीरे की हर किसी को  तुम वही बदनसीब जोहरी हो। पत्थर इकट्ठा करते रहना  ओर नग को खो देना, ओह दुर्भाग्य मेरा नही ,तुम्हारा  लक्ष्मी चाहते हो और लक्ष्मी ही ठुकराते हो। काबिलियत कही भी कम नही तुमसे मेरी  ओर तुम मुझे कम आँक जाते हो। मैं बोलती नही बराबर में  दिखाती नही रॉब अपना  इसका मतलब बिल्कुल नही की  कम हूँ मैं जमाने से  बस अपना कद नीचा नही करना चाहती  बातो का कद बढ़ाना नही चाहती 

एन ओपन लेटर टू माय सन वेदांत (बर्थडे स्पेशल -6)

 हेलो वेदांत  तो अब तुम पूरे 6 साल के हो गए हो।हर दिन गुजर रहा है और मेरा प्यार तुम्हारे लिए हर दिन बढ़ता जा रहा है।तुम तेजी से बड़े हो रहे हो ,लगता है मानो बचपन भाग रहा है तुम्हारा।कभी कभी तो कितनी देर टकटकी लगाए तुम्हे देखती रहती हूँ।कितनी बार तो तुम बोल भी देते हो "अरे ऐसे क्या देख रही हो माँ, मैं अच्छा लग रहा हूँ क्या"ओर मन ही मन तुम्हारी बलायें उतारती हूँ।और बस हंस देती हूँ तुम्हारी मासूमियत पर।कभी कभी कितने दिन गुजर जाते हैं हम दोनों को खूब टाइम साथ मे बिताये,हम दोनों ही बिजी होते हैं।सुबह जब तुम्हे स्कूल के लिए उठाती हूँ तुम बहाना मारते हो ,"माँ मेरी आँखें नही खुल रही "तब मैं रोज तुम्हे यही कहती हूँ,मुझे देखो ,सबसे पहले सुबह माँ को देखो और मुस्कुराओ,मुझे पूरा विश्वास होता है कि माँ का चेहरा देख कर उठो तो दिन अच्छा गुजरता है।मुझे याद है जब से मैंने ये बात जानी ओर समझी थी तब से सबसे पहले उठकर मैं तुम्हारी नानी का ही चेहरा देखती थी ,जब घर छोड़ कर बाहर पढ़ाई करने आई तो मेरे तकिये के नीचे हमेशा तुम्हारे नाना ओर नानी जी की फ़ोटो रही और उस फ़ोटो से सालो तक मैंने अपने दिन

मेरा आखिरी दिन

 31 अगस्त 2023 ।शायद ये तारीख की रक्षाबंधन मेरे घर मे सबको याद रहे ,जानते हो किसकी वजह से ,मेरी वजह से ,जी हाँ ,ओर मेरे लिए भी तो ये दिन यादगार ही रहेगा ।यही दिन है जब मैंने बहुत सारे छुपे चेहरे देखे ,बहुत सारी छुपी बाते सुनी ,बहुत सारे अपनो को पहचाना, बहुत सी ऐसी बातों को जाना ,जो आज तक समझा नही । आज मेरे सारे रिश्तेदारों के फ़ोन सुबह 5 बजे से बजने शुरू हो गए थे ,जानते हो किसकी वजह से? , मेरी वजह से ,जी हां । आज मैं ही तो था केंद्र पात्र। सब की सुबह हो रही थी ,कुछ उठ गए थे कुछ उठ रहे थे ,सबके प्लान थे राखी पर नए कपड़े ,नए गहने ,सूंदर सूंदर राखी,खूब मिठाइयां ,खूब गिफ्ट ओर हां ,अपने भाइयों की लंबी उम्र की दुआ की कामना। ये सच है क्या,बहनो की दुआओं में असर होता है क्या, पता नही मेरी तो कोई बहन नही थी जिसने मेरी कलाई पर राखी बांध कर मेरी लंबी उम्र की दुआ की हो ,शायद इसीलिए ....... खैर कहने को तो बहुत बहने हैं मेरी ,मगर कोई आके राखी बांधे वो नही ।अगर होती तो शायद मेरे लिए भी दुआ होती ,चलो अब क्या अफसोस । बचपन से अकेला रहा मैं ,इकलौती संतान । माँ पापा भी आधे से ज्यादा उम्र अलग रह

ऐं जिंदगी

 ऐं जिंदगी बस तू ही सच्ची दोस्ती निभा रही है, हर कदम मुझे नया सबक सिखा रही है। मुझे मुझसे मिला कर  कभी कभी ये दुनिया भुला कर  मुझे खुद के लिए जीना सीखा रही है ऐं जिन्दी ,बस तू है जो ये दोस्ती निभा रही है।  मैं सबपे न्यौछावर,मैं सबकी हुई मैं सबमे दिखी ,बस खुद में खोई बस तू है जो मुझे अब आईना दिखा रही है। जो मेरा है दिल से ,उसके करीब रहना सीखा रही है जो दिल मे दूरी लिए बैठे हैं,उनसे  दूर होना सीखा रही है। ऐं जिंदगी ,तू बड़ा अच्छा रिश्ता निभा रही है। चेहरे बहुत हैं चारो ओर मेरे । मगर सब पर एक मुखोटा लगा है कुछ कहने को अपने भर है  कुछ ,न होकर भी कुछ रिश्ते निभा रहे हैं मैं कशमकश में हूँ जब भी तू हर मुखोटा हटा रही है ऐं जिंदगी तू मुझे सबसे रूबरू करा रही है। मैं हंसु तो तू मुस्कुरा देती है। मैं हो जाऊं उदास तो तू अश्क बहा देती है। तू मेरी वो परछाई है ,जो अंधेरे में भी साथ कदम बढ़ा रही है ऐं जिंदगी तू हर कदम मुझे सबक सिखा रही है। मोह ,ओर माया की दुनिया  हर रिश्ते की हकीकत की दुनिया  मेरे मुंह मेरे ,मेरे पीछे ना मेरे न तेरे कुछ ऐसे लोगो से मुझे अब किनारा करा रही है ऐं जिंदगी तू मुझे सबकी परख करा

एन ओपन लेटर टू माय सन वेदांत ( बर्थडे स्पेशल 5)

 अब तुम 5 साल के हो गए हो वेदांत । इस एक साल में बहुत कुछ बदला तुम्हारे जीवन मे ,हमारे जीवन मे ।इस दुनिया मे । तुम्हारे अंदर दिन पर दिन बदलाव आए ।तुम्हारी लंबाई बदली ,वजन बदला ,रूप रंग बदला,स्वभाव बदला। नही बदला तो तुम्हारा प्यार और शरारत। तुम एक बहुत शरारती बच्चे हो ,लेकिन तुम जैसे समझदार और परिपक्व बच्चा भी मैंने अभी तक नही देखा ।उम्र के हिसाब से कुछ ज्यादा समझदारी लेकर जी रहे हो तुम। कभी कभी तो ये मेरी चिंता का विषय बन जाता है ।जैसे जैसे तुम बढ़ रहे हो तुम्हारी परिपक्वता बढ़ती जा रही है। हाँ शरारती तो तुम हो लेकिन ,लेकिन दूसरी तरफ चीज़ों और दुनिया दारी को लेकर बहुत सीरियस हो। तुम्हे हर चीज़ के बारे में जानना अच्छा लगता है ।सबकी फिकर करना अच्छा लगता है। कई बार मैं सोचती हूँ क्यों तुम दूसरे बच्चो की तरह बेफिक्र नजर नही आते । मुझे लेकर तो तुम बहुत ज्यादा सोचते हो।मेरी बहुत फिकर भी करते हो ,मुझसे बेहद प्यार भी करते हो। ये सब देख कर कौन माँ फूली न समाये भला । इस साल बहुत सी नई घटनाये घटी। हमारे घर मे अमायरा आयी । तुम्हारी छोटी बहन ।चाचू चाची की बेटी अमायरा,तुम्हारी बेबी,मेरी लाडो,दादी की रान