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मुझे नही पसंद

 हाँ मुझे नही पसंद कोई वेवजह मुझपे उंगली उठा दे। मेरे मां सम्मान को भूल ,मेरे किरदार को गिरा दे  मेरी लाख कोशिश ,सम्भाल के रखूं सब , मेरी मेहनत को अनदेखा कर ,मेरी कमिया गिना देव मुझे नही पसंद  मुझे नही पसंद ,मैं मेरी हर पहल ,मेरी हर कोशिश  मेरी हर मेहनत , मेरी हिम्मत कोई  कोई यु बातो में गिरा दे। मुझे नही पसंद  कई बार मैने अपने सपनो को गिरवी रखा हो जिसके लिए कई बार अपनी चाहतो को दबाया हो । कई अनदेखा कर अपनी खुशियों को रुलाया हो जिसके लिए  कई बार इन आँखों को छुप कर भिगोया हो । वो सरे आम मुझे ही भुला दे । मुझे नही पसंद । मुझे नही पसंद तुम मुझे सिर्फ जरूरत में पूछो नही पसंद की बस जरूरत से पूछो । क्यों मैं बस ,तुम्हारे लिए सोचती रहूं क्यों मैं बस तुम्हारे जिये जीती रहूं और तुम मुझे अपनो के ही बीच छुपा दो। मुझे नही पसंद मेरा भी एक किरदार है जज्बात है  अधिकार है सम्मान है। और तुम मेरे सम्मान को ही घाव लगा दो मुझे नही पसंद  तुम्हे समझनी होगी एहमियत मेरी  तुम्हे भी मेरी कद्र करनी होगी  अपनो के बीच खड़े होकर  मेरी बात समझनी होगी । मैं हर कदम समझू तुम्हे और  तुम मेरे ही कदम डगमगा दो  मुझे नही पसं

ऑनलाइन शॉपिंग क्यों?

 Online शॉपिंग  एक सहूलियत से कब एक अभिशाप बन जायेगी किसे पता था । जी हां। ऑनलाइन शापिंग जहा हमे सहूलियत देती है वही न जाने कितने घरो के लिए अभिशाप बन गयी है । हम हिंदुओं के त्योहार आ गए हैं ,हर घर मे चहल पहल है ,खुशिया हैं ,बच्चे जहां नए कपड़े ,मिठाइयों और पटाखों का इंतेज़ार कर ररहे हैं वही हम हाउस वाइफ अपने घर को साफ सूंदर और सजाने में लगी हैं ।हर घर रंगोली बनेगी ,हर घर नए कपड़े ,नए पर्दे ,नया फर्नीचर आएगा। मिठाई और पकवान बनेगें ,चारखिया चलेंगी,फुलझड़ियां जलेंगी ,मोमबत्तियां जलेंगी ,और दिए? हां दिए भी तो जलेंगे,कौनसे दिए ? जो कुम्हार त्योहार से महीना भर पहले बनाना शुरू करते थे, अपने ठेले पर रख कर धूप में पूरा दिन हर गाँव ,हर शहर की गलियों में आवाज लगा कर बेचा करते थे ।जो पहले ही अंदाजा लगाया करते थे कि इस त्योहार के साल इतना पैसा आ जाये कि बच्चो की फीस के अलावा वो भी अपनी पत्नी और बच्चो को दीवाली पर नए कपड़े ला दें।  पास वाले दर्जी काका भी पूरा रील बॉक्स ,नए सारी फाल का पूरा डब्बा भर ले आये होंगे ।इस उम्मीद में कई मोहल्ले के हर घर से 2 या 3 जोड़ा कपड़े तो सिलने आ ही जायेंगे । दीवाली की इस क

वजह तुम भी हो ननद रानी

 आज जिस संदर्भ में मैं लिखने जा रही हूँ वो बहुत ही नाजुक विषय है।वैसे तो चुनौतियों भरे विषय ही मेरे पसंदीदा रहे हैं लेकिन आज का विषय एक रिश्ते की सच्चाई बयान करेगा।हो सकता है कितने ही पाठक गुस्सा हों ,नाराज हों और मेरे अपने ही रिश्ते मुझसे शिकायत पर उतर आये ,लेकिन एक लेखक की कलम को डर कैसा ,एक बार हो सकता है मैं पीछे हट जाऊ लेकिन एक लेखक की कलम सच कहने से कभी नही घबराती। चलो मुद्दे की बात करते हैं । शादी के कुछ दिन बाद से ही मुझे कुछ वाक्य रोज सुनने में आये ।  "मायके में ज्यादा बात करने से लड़की कभी ससुराल में अपने पन से नही रह पाती।वो कभी ससुराल को अपना नही पाती।उनका मन हमेशा मायके में अटका रहता है।वो कभी अपनी ससुराल वालों को दिल से नही अपना पाती।लड़की की माँ या मायका अगर लड़की के मामलों में बोलता है तो लड़की का घर कभी नही बसता। लड़की को शादी के बाद रोज मायके में बात नही करनी चहोये ,कभी विरला 15 20 दिन में एक बार करो। लड़की को कभी अपनी ससुराल की बाते मायके में नही बतानी चाहिए ,चाहे वो सुखी हो या दुखी। लड़की को मायके वालों को अपने मामलो से दूर रखना चाहिए तभी अपना घर बसा सकती है।" और

भैया से ज्यादा प्यारी है भाभी

 भैया भाभी  दोनों एक ही तो हैं ,आज मैं भैया भाभी के रिश्ते पर कुछ विचार साझा करना चाहती हूँ। भाई हमारे जीवन का वो साथी होता है जिसके साथ हमने अपना बचपन जिया,लड़ झगड़ कर प्यार से ,मार पिटाई कर के ,बहुत सी यादें बुनी और एक दिन ,एक नए साथी का हाथ थाम निकल गए एक नई मंजिल पर । वही दूसरी तरफ भाई की जिंदगी ने भी करवट ली और उसकी जिंदगी में भी एक साथी आयी और वो भी निकल गया अपनी जिंदगी के नए पन्ने लिखने ।हालांकि ना भाभी ने हमारी कमी पूरी की ना हमारे पति ने भैया की। ना हम कभी बाल खींच कर लड़े,न मार पिटाई कर के लेकिन हां हमारे साथी भी वैसे ही नोक झोंक के बाद भी साथ खड़े  रहते तो लगता कि चलो अभी भी अकेले नही हम । समय बीतने लगा और मायके जाना कम होने लगा।जब भी जाते तो भाई घर पर कम मिलता भाभी ज्यादा ।तो यहां से शुरू हुआ भाभी का महत्त्व।हालांकि ये महत्व हमे तब तक पूरी तरह समझ नही आता जब तक हमारे मायके में माँ बाप की छांव रहती है ,लेकिन भाभी का किरदार जो हमारे जाने से लेकर आने तक, तीज त्योहार से लेकर ,सुख दुख तक बढ़ता रहा वो कैसे नजर अंदाज करते। दरवाजा खुलता तो माँ के साथ भाभी  की बाहे भी तो स्वागत करती।रसोई