मुझे नही पसंद

 हाँ मुझे नही पसंद कोई वेवजह मुझपे उंगली उठा दे।

मेरे मां सम्मान को भूल ,मेरे किरदार को गिरा दे 

मेरी लाख कोशिश ,सम्भाल के रखूं सब ,

मेरी मेहनत को अनदेखा कर ,मेरी कमिया गिना देव

मुझे नही पसंद 

मुझे नही पसंद ,मैं मेरी हर पहल ,मेरी हर कोशिश 

मेरी हर मेहनत , मेरी हिम्मत कोई 

कोई यु बातो में गिरा दे।

मुझे नही पसंद 

कई बार मैने अपने सपनो को गिरवी रखा हो जिसके लिए

कई बार अपनी चाहतो को दबाया हो ।

कई अनदेखा कर अपनी खुशियों को रुलाया हो जिसके लिए 

कई बार इन आँखों को छुप कर भिगोया हो ।

वो सरे आम मुझे ही भुला दे ।

मुझे नही पसंद ।

मुझे नही पसंद तुम मुझे सिर्फ जरूरत में पूछो

नही पसंद की बस जरूरत से पूछो ।

क्यों मैं बस ,तुम्हारे लिए सोचती रहूं

क्यों मैं बस तुम्हारे जिये जीती रहूं

और तुम मुझे अपनो के ही बीच छुपा दो।

मुझे नही पसंद

मेरा भी एक किरदार है

जज्बात है 

अधिकार है

सम्मान है।

और तुम मेरे सम्मान को ही घाव लगा दो

मुझे नही पसंद 

तुम्हे समझनी होगी एहमियत मेरी 

तुम्हे भी मेरी कद्र करनी होगी 

अपनो के बीच खड़े होकर 

मेरी बात समझनी होगी ।

मैं हर कदम समझू तुम्हे और 

तुम मेरे ही कदम डगमगा दो 

मुझे नही पसंद ।

क्यों दौडूं

क्यों मैं भागूं

क्यों सुबह से शाम मैं सिर्फ सबके लिए निकलूं

खुद के लिए चंद लम्हे निकाल कर 

क्यों मैं खुद को गुन्हेगार बना दू।

कुछ पल भी मेरी जिंदगी के मेरे ना हों 

मुझे नही पसंद 

मुझे नही पसंद की मैं अपनी ही जिंदगी का हिसाब दूं

मुझे नही पसंद मैं अपने ही अरमान मार दूं ।

मुझे नही पसंद सबके लिए जी कर ही 

मैं ये जीवन गुजार दूं 

मुझे नही पसंद ।

पूरे दिन से बस कुछ लम्हे मेरे हों

जब मैं हंसू तो वो खिलखिलाहट मेरी हो 

ज्यादा कुछ उम्मीदे नही मेरी तुमसे 

बस जो इज़्ज़त ,सम्मान चाहते हो तुम 

उतना ही मान सम्मान मेरा हो।

बराबर का रिश्ता कहती है दुनिया जिसे 

फिर क्यों उसमे कम मेरा आत्मसम्मान हो 

मुझे नही पसंद ।

तुम सबके बीच मुझे नीचा दिखा दो 

मुझे नही पसंद 

तुम मुझे हसी का पात्र बना दो 

मुझे नही पसंद 

मेरी सारी कोशिश ,मेरी "प्रीति " भुला कर 

मुझे रुला दो मुझे नही पसंद।

मुझे नही पसंद 




19 october 

प्रीति राजपूत

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने