ऑनलाइन शॉपिंग क्यों?
Online शॉपिंग एक सहूलियत से कब एक अभिशाप बन जायेगी किसे पता था । जी हां।
ऑनलाइन शापिंग जहा हमे सहूलियत देती है वही न जाने कितने घरो के लिए अभिशाप बन गयी है ।
हम हिंदुओं के त्योहार आ गए हैं ,हर घर मे चहल पहल है ,खुशिया हैं ,बच्चे जहां नए कपड़े ,मिठाइयों और पटाखों का इंतेज़ार कर ररहे हैं वही हम हाउस वाइफ अपने घर को साफ सूंदर और सजाने में लगी हैं ।हर घर रंगोली बनेगी ,हर घर नए कपड़े ,नए पर्दे ,नया फर्नीचर आएगा। मिठाई और पकवान बनेगें ,चारखिया चलेंगी,फुलझड़ियां जलेंगी ,मोमबत्तियां जलेंगी ,और दिए?
हां दिए भी तो जलेंगे,कौनसे दिए ? जो कुम्हार त्योहार से महीना भर पहले बनाना शुरू करते थे, अपने ठेले पर रख कर धूप में पूरा दिन हर गाँव ,हर शहर की गलियों में आवाज लगा कर बेचा करते थे ।जो पहले ही अंदाजा लगाया करते थे कि इस त्योहार के साल इतना पैसा आ जाये कि बच्चो की फीस के अलावा वो भी अपनी पत्नी और बच्चो को दीवाली पर नए कपड़े ला दें।
पास वाले दर्जी काका भी पूरा रील बॉक्स ,नए सारी फाल का पूरा डब्बा भर ले आये होंगे ।इस उम्मीद में कई मोहल्ले के हर घर से 2 या 3 जोड़ा कपड़े तो सिलने आ ही जायेंगे । दीवाली की इस कमाई से घर मे कोई सामान जोड़ देंगे ।
बाजार सज गए होंगे ।हर दुकान पर फूलों की माला लटक गई होंगे ,हर दुकान पर नई ननई लाइट लग गयी होंगी ।शायद इस बार की दीवाली के बाद उन का घर भी रोशन हो।
बाजार में नए फैशन के कपड़े आये होंगे ,औरतो के सूट साड़ी,बच्चों के नए शर्ट पैंट, पुरुषों के नए कुर्ता पजामा ।इस उम्मीद से की इस दीवाली वो भी लक्ष्मी पूजन में नए कपड़े पैहन कर घर आई लक्ष्मी का स्वागत करेंगे ।
रंगोली के रंग ,फूलो की माला ,बिजली की लड़ियाँ इस उम्मीद में पूरा दिन दुकान पर टंगी रहेंगी की लोग आते रहेंगे और उनको अलग करते रहेंगे ।वो एक एक होकर अलग अलग घर की सुंदरता बढ़ाएंगी ।
हलवाई रोज सुबह से शाम तक भट्टी के आगे तपेंगे ।ये सोच कर की दीवाली की मिठाई हर घर जाएगी तो उनके घर मे भी कुछ मिठास आएगी ।
लेकिन आप जानते हैं क्या होगा ?
कुम्हार पूरा दिन गलियों में आवाज देगा ।और हम बाहर निकल कर नही आएंगे ।क्योंकि अब हमें वो गेरुआ रंग के सिंपल दिए जलाना अच्छा नही लगता ।हमे अब ऑनलाइन बिकने वाले नए पेंट से सजे दिए भाते हैं। कुम्हार रेट कम करता जाएगा ।अपनी लागत पर आ जायेगा लेकिन फिर भी वो हम नही लेंगे ।ऑनलाइन बिकने वाले डबल रेट के दिये घर आएंगे तो हमारा स्टेटस बढ़ेगा ।
क्या हुआ अगर कुम्हार खाली हाथ जाकर बच्चो की डिमांड पर सर झुका लेगा ।
पास वाले दर्जी काका दिन भर में एक दो सूट सिलेंगे।नजर पूरा दिन बाहर होगी कि और काम आएगा ।लेकिन उनकी सिलाई महँगी हो गयी है । हाँ होगी ही ।4 सूट के पैसे 2 से कमाने की कोशिश जो करेंगे ।क्योंकि हम सब तो ऑनलाइन अपने लिए कुछ न कुछ मंगा चुके होंगे ।
फूलों की माला,नई नई टिमटिम होती लड़ियाँ ,रंगोली के रंग पूरा दिन हमारा ििनतज़ार करते करते थक जाएंगे ।शायद वो तो खुश हो जाये कि अब एक साल तक वो साथ रंगेंगे बाक्सों में बंद ।उनको अलग नही होना पड़ेगा ,लेकिन उस दुकानदार का क्या ।जब वो मुह लटकाकर घर पहुंचेगा ।
बाजार की दुकानों में सूट ,साड़ी ,पेंट शर्ट और कुर्ता पजामा ,बाहर टंगे टंगे धूल फांक कर थक जाएंगे और फिर एक साल के लिए कोनो में चुप जाएंगे ।क्योंकि हम सब ने तो अपने अपने लये अपनी पसंद से कपड़े ऑनलाइन आर्डर कर दिए होंगे ।
हलवाई के जले हाथ ,और काला हुआ चेहरा उतर जायगा जब उसकी लागत के पैसे तक बसूल नही होंगे ।क्योंकि हम सब तो higine ,के शिकार हो गए हैं ।हम अब लोकल दुकानों में सजी मिठाई गंदी लगने लगी हैं। क्योंकि उनको बनाते बनाते काले और बेडौल हुए हलवाई हमे गंदे दिखने लगे हैं। उनके डब्बो पर ब्रांड का टैग नही लगा ।क्या फर्क पड़ता है अगर ब्रांड की दुकानों में ।ऑनलाइन सुगर फ्री मिठाई बनाते हुए हज़ारो मखिया भी उसमें गिरी हो।हमने थोड़ी देखी हैं।
क्या हुआ अगर कुम्हार के पैर चलते चलते थक गए।क्या हुआ अगर दर्जी काका की आंखे बाहर टकटकी लगा कर देखती रही।क्या हुआ अगर दुकानदारों को दुकान का किराया भी निकालना मुश्किल हो गया ।क्या हुआ अगर कितने ही घरो में दीवाली बस रसम के चलते बेमन मनाई गई ।
काम से कम पहले से करोड़ पति सेलेब्रिटी को तो करोड़ो रूपये मिल गए न ,अरे क्यों न मिले उन्होने त्योहारों से महीना भर पहले ही 2 ,4 ,10 मिनट के Advertisement बना बना कर discount का ढिंढोरा जो पीटा।
पहले से अरबो खरबो में खेलने वाली कम्बनी Amazon, flipcart ,snapdeal बताओ जरा कितना भारी छूट दे रहे हैं।भले ही 2 रुपये की चीज 100 रुपए में बेच दी ।हमे आखिर कर पढ़े लिखे है ,हमारा स्टेटस है ,वो भी तो बरकरार रखना था ऑनलाइन शॉपिंग कर के।
लोकल मार्किट में हमारे सीनियर ,हमारी सोसाइटी के लोग देख लेते तो कितनी बेइज़्ज़ती हो जाती।
धूप लग जाती ,भीड़ में थक जाते ,स्किन खराब हो जाती ।कितना नुकसान हो जाता ।क्या हुआ अगर हर व्यापारी सर पकड़ कर बैठ गया ।क्या हुआ अगर छोटे दुकानदार जिन्होंने हज़ारो का सामान दुकान में भरा था वो एक साल फिर सड़ेगा ।जिसको नफा छोड़ो नुकसान मिला ।
जरा सोचिए हम क्या कर रहे है। साज सजावट छोड़ो ,कपड़े छोड़ो ।अब घर का राशन तक हम ऑनलाइन आर्डर करने लगे है।कभी सोचा है पास की परचून की दुकानदारों का घर कैसे चलता है जो एक एक चीज़ पर सिर्फ 50 पैसे या रुपया भर बचा पाते थे ।
कभी सोचा है कि बजारो में दुकान का 20 ,30 40 हज़ार किराया वो दुकानदार कहा से भरते हैं।फिर हम कहते हैं कि लोकल मार्किट महँगा है।उसे महँगा किया किसने ।
हम लोगो ने ।वो लोग मजबूर हुए अपने रेट बढ़ाने के लिए ।मैं नही कहती कि ऑनलाइन कुछ मत लो।लेकिन कभी कभी अपने पास वाले बाजार में निकल कर ।कुछ खरीद कर कम से कम बचपन की यादे ही ताज़ा कर लो।
कम से कम त्योहारों पर तो अपने देश को फलने फूलने दो।ये विदेशी कंपनियां क्या देंगी आपको । कभी उनसे उधार मांग कर देखो ,ऊपर से ब्याज जोड़ कर आपसे वसूल करंगे जिसे आप E M I बोलते हैं।अपने लोकल बाजार में लाखो का सामान उठा लाओ ।इज़्ज़त केसाथ आपके घर पहुचेगा ।
थोड़ा समझो ,सबको हक है खुशी से त्योहार मनाने का। त्योहार हमारा है तो फायदा विदेशो को क्यों।
उम्मीद करती हूँ मेरा ये एक छोटा सा प्रयास कुछ घरो की अच्छी दीवाली की वजह बने।
मैं आज यह सबके सामने प्रण लेती हूँ कि त्योहारो का कोई सामान ऑनलाइन नही खरीदूंगी ।
धन्यवाद
18 अक्टूबर
प्रीति राजपूत
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