Kuch rah to nahi gaya

                                   “कुछ रह तो नहीं गया”
ये शब्द सुनते सुनते हम बड़े हो गये मगर आज तक हमें सार समझ नहीं आया की आखिर किस चीज़ के लिए हमसे पुछा जा रहा है की “कुछ रह तो नहीं गया ...बचपन में जब स्कूल जाते थे मम्मी पीछे से आवाज देती थी सब रख लिया ना  बैग में कुछ रह तो नहीं गया ..कभी हम बोल नहीं पाए की हमारी गुडिया तो यही  रह गयी अब शाम को ही खेल पाएंगे ...बस जल्दी से कह देते हाँ हाँ सब रख लिया ....
फिर पूरा दिन छुट्टी का इंतज़ार करते करते जब वो वक्त आता तो टीचर सबको लाइन में लगा के कहती बच्चो सब अपनी अपनी सीट चेक कर लो “कुछ रह तो नहीं गया ...बस सब घर जाने की जल्दी में बोल देते जी टीचर जी देख लिया ...कौन कहता की पूरा दिन मस्ती करते करते जितने पन्ने फाड़ कर एरोप्लने बनाकर उडाये थे वो तो यही सीट के निचे रह गये ...ब्लैक बोर्ड की छोटी छोटी चौक तो यही रह गयी....
जब कुछ बड़े हुए और वक्त शादी का आ गया तो विदा होते टाइम माँ की आवाज फिर से आई ...बेटा सब रख लिया न देख जरा “कुछ रह तो नहीं गया “ सुनते ही आँखों में आंसू भर आये ...दिल रोया और बोला कैसी बाते करती हो मम्मी पूरा बचपन तो यही रह गया ...भाई के साथ किये झगडे तो यही रह गये बहनों से की जिद तो यही रा गयी , आपको दिखाए नखरे तो यही रह गये ....आपके हाथ का स्वाद तो यही रह गया ....पापा के पैरो के नीचे से निकल के खेलने की यादे तो यही रह गयी ..अपनी गलियों में मचाया शोर भी तो यही रह गया ...सारे अच्छे पल तो यही रह गये ...साथ लेकर जा ही क्या रही हु ...दिल की बात दिल में रह गयी और भारी  मन से कह दिया ..हाँ कुछ नहीं  रहा सब रख लिया ...
पापा ने विदा किया तो फिर किसी रिश्तदार की आवाज आई अरे सब रख दिया न उसके साथ देखो जरा “कुछ रह तो नहीं गया”  बस अब तो आँखे छलक आई पापा की जब फेरो का मंडप खाली  देखा ..बेटी के कमरे में कुछ सूखे फूल पड़े थे ...दिल रो रहा था पर पापा का दिल कमजोर न दिख जाये बस बोल दिया हाँ हाँ कुछ नहीं  रहा ..कैसे कहते की उसकी यादे रह गयी है ..जो फूल उसके गले में माला बनकर पड़े थे वो यही रह गये ..उसकी खुशबु तो यही रह गयी ..उसके बचपन की किलकारी तक तो यही रह गयी ...
मुझे याद है अपने भाई की आँखों में उमड़े आंसू जब अपने ही हाथो से अपने ही पापा को जला कर वापस लौट रहा था किसी बुजुर्ग ने पुछा बेटा सब देख लिया “कुछ रह तो नहीं गया”...बस इतना सुनते ही पीछे पाव भागा  था वो ये उम्मीद लेकर बस एक बार और चेहरा देखने को मिल जाये मगर वहा सुलगती आग के सिवा कुछ नहीं मिला ...लौटा तो सबने बोला क्या हुआ “कुछ रह गया था क्या ...उसकी सूजी आँखे खामोश रही बस सर को ना  में हिला दिया क्या कहता वो ..की रहने को बचा ही क्या अपने पापा को छोड़ तो आया हु .....सब तो वही रह गया ...अपने सर की छत तो यही छोड़ कर जा रहा हूँ...
 आज मैंने डेढ़ साल बाद ये ऑफिस छोड़ दिया ...जैसे ही घर जाने लगी ऑफिस बॉय ने आवाज दी ,,मैडम ..अपना केबिन चेक किया आपने “कुछ रह तो नहीं गया “मन उदास था मेरा अपनी जिन्दगी के कीमती वक्त में से १७ महीने जो दिए थे इस ऑफिस को ..क्या कहती मै की ये १७ महीने रह गये यहाँ ...क्या कहती की इतने दिनों से जो फाइल्स मेरी जिम्मेदारी होती थी वो तो यही रह गयी..जिसे मै मेरा मेरा कहती थी वो केबिन तो यही रह गया जिस कुर्सी पर बैठ कर अपनी काबिलियत पर घमंड होता था वो कुर्सी तो यही रह गयी ..मेरे रोज present रहने का सबूत ये attendence register तो यही रह गया ...जहा बच्चों  को मैंने क्लास दी वो क्लासरूम तो यही रह गया ...अच्छे बुरे ,मीठे कडवे हजारो अनुभव तो यही रह गये ..खाली  समय में जिस कंप्यूटर में अपने अनुभव लिखती रही वो तो यही रह गया बाहर  किचन में बनी  मैगी की यादे तो यही रह गयी ...पूरा पूरा दिन हसने की आवाजे भी तो यही रह गयी ...शैली ,शिवानी सोनिया और मेरी  मस्ती तो यही रह गयी ..इस ऑफिस में बिताये पल बहुत मीठे थे ..हाँ कभी कभी बहुत कडवे भी लगे बहुत यादें हैं जो यही रह गयी ..अरे सब  कुछ तो यही रह गया ...खैर मै बस मुस्कुरा दी ..और धीरे से बोल कर आगे निकल गयी हम्म्म्म सब देख लिया ....कुछ नहीं रहा ..
खैर ये खट्टे मीठे अनुभव थे जिंदगी के जब हर जगह सवाल हुआ की “कुछ रह तो नहीं गया” ...जवाब हर बार यही था दिल में की सब कुछ तो यही रह गया मगर जुबान ने कभी दिल की बात को बहार आने ही नहीं दिया और हमेशा झूट ही बोला की कुछ  नहीं रहा ...एक दिन जब अंतिम समय सामने होगा तब शायद ये सारी चीज़े एक बार फिर स्मृति बन कर तैर जाएँगी आँखों के सामने ...फिर लगेगा पूरी जिन्दगी तो यही रह गयी ....
इसलिए बस खुश रहो ...जियो और जीने दो ...
                                        प्रीति राजपूत  शर्मा
                                        29 april  2016

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

बस यही कमाया मैंने