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एन ओपन लेटर टू माय सन वेदांत (बर्थडे स्पेशल -6)

 हेलो वेदांत  तो अब तुम पूरे 6 साल के हो गए हो।हर दिन गुजर रहा है और मेरा प्यार तुम्हारे लिए हर दिन बढ़ता जा रहा है।तुम तेजी से बड़े हो रहे हो ,लगता है मानो बचपन भाग रहा है तुम्हारा।कभी कभी तो कितनी देर टकटकी लगाए तुम्हे देखती रहती हूँ।कितनी बार तो तुम बोल भी देते हो "अरे ऐसे क्या देख रही हो माँ, मैं अच्छा लग रहा हूँ क्या"ओर मन ही मन तुम्हारी बलायें उतारती हूँ।और बस हंस देती हूँ तुम्हारी मासूमियत पर।कभी कभी कितने दिन गुजर जाते हैं हम दोनों को खूब टाइम साथ मे बिताये,हम दोनों ही बिजी होते हैं।सुबह जब तुम्हे स्कूल के लिए उठाती हूँ तुम बहाना मारते हो ,"माँ मेरी आँखें नही खुल रही "तब मैं रोज तुम्हे यही कहती हूँ,मुझे देखो ,सबसे पहले सुबह माँ को देखो और मुस्कुराओ,मुझे पूरा विश्वास होता है कि माँ का चेहरा देख कर उठो तो दिन अच्छा गुजरता है।मुझे याद है जब से मैंने ये बात जानी ओर समझी थी तब से सबसे पहले उठकर मैं तुम्हारी नानी का ही चेहरा देखती थी ,जब घर छोड़ कर बाहर पढ़ाई करने आई तो मेरे तकिये के नीचे हमेशा तुम्हारे नाना ओर नानी जी की फ़ोटो रही और उस फ़ोटो से सालो तक मैंने अपने दिन

मेरा आखिरी दिन

 31 अगस्त 2023 ।शायद ये तारीख की रक्षाबंधन मेरे घर मे सबको याद रहे ,जानते हो किसकी वजह से ,मेरी वजह से ,जी हाँ ,ओर मेरे लिए भी तो ये दिन यादगार ही रहेगा ।यही दिन है जब मैंने बहुत सारे छुपे चेहरे देखे ,बहुत सारी छुपी बाते सुनी ,बहुत सारे अपनो को पहचाना, बहुत सी ऐसी बातों को जाना ,जो आज तक समझा नही । आज मेरे सारे रिश्तेदारों के फ़ोन सुबह 5 बजे से बजने शुरू हो गए थे ,जानते हो किसकी वजह से? , मेरी वजह से ,जी हां । आज मैं ही तो था केंद्र पात्र। सब की सुबह हो रही थी ,कुछ उठ गए थे कुछ उठ रहे थे ,सबके प्लान थे राखी पर नए कपड़े ,नए गहने ,सूंदर सूंदर राखी,खूब मिठाइयां ,खूब गिफ्ट ओर हां ,अपने भाइयों की लंबी उम्र की दुआ की कामना। ये सच है क्या,बहनो की दुआओं में असर होता है क्या, पता नही मेरी तो कोई बहन नही थी जिसने मेरी कलाई पर राखी बांध कर मेरी लंबी उम्र की दुआ की हो ,शायद इसीलिए ....... खैर कहने को तो बहुत बहने हैं मेरी ,मगर कोई आके राखी बांधे वो नही ।अगर होती तो शायद मेरे लिए भी दुआ होती ,चलो अब क्या अफसोस । बचपन से अकेला रहा मैं ,इकलौती संतान । माँ पापा भी आधे से ज्यादा उम्र अलग रह

ऐं जिंदगी

 ऐं जिंदगी बस तू ही सच्ची दोस्ती निभा रही है, हर कदम मुझे नया सबक सिखा रही है। मुझे मुझसे मिला कर  कभी कभी ये दुनिया भुला कर  मुझे खुद के लिए जीना सीखा रही है ऐं जिन्दी ,बस तू है जो ये दोस्ती निभा रही है।  मैं सबपे न्यौछावर,मैं सबकी हुई मैं सबमे दिखी ,बस खुद में खोई बस तू है जो मुझे अब आईना दिखा रही है। जो मेरा है दिल से ,उसके करीब रहना सीखा रही है जो दिल मे दूरी लिए बैठे हैं,उनसे  दूर होना सीखा रही है। ऐं जिंदगी ,तू बड़ा अच्छा रिश्ता निभा रही है। चेहरे बहुत हैं चारो ओर मेरे । मगर सब पर एक मुखोटा लगा है कुछ कहने को अपने भर है  कुछ ,न होकर भी कुछ रिश्ते निभा रहे हैं मैं कशमकश में हूँ जब भी तू हर मुखोटा हटा रही है ऐं जिंदगी तू मुझे सबसे रूबरू करा रही है। मैं हंसु तो तू मुस्कुरा देती है। मैं हो जाऊं उदास तो तू अश्क बहा देती है। तू मेरी वो परछाई है ,जो अंधेरे में भी साथ कदम बढ़ा रही है ऐं जिंदगी तू हर कदम मुझे सबक सिखा रही है। मोह ,ओर माया की दुनिया  हर रिश्ते की हकीकत की दुनिया  मेरे मुंह मेरे ,मेरे पीछे ना मेरे न तेरे कुछ ऐसे लोगो से मुझे अब किनारा करा रही है ऐं जिंदगी तू मुझे सबकी परख करा