ऐं जिंदगी

 ऐं जिंदगी बस तू ही सच्ची दोस्ती निभा रही है,

हर कदम मुझे नया सबक सिखा रही है।

मुझे मुझसे मिला कर 

कभी कभी ये दुनिया भुला कर 

मुझे खुद के लिए जीना सीखा रही है

ऐं जिन्दी ,बस तू है जो ये दोस्ती निभा रही है।

 मैं सबपे न्यौछावर,मैं सबकी हुई

मैं सबमे दिखी ,बस खुद में खोई

बस तू है जो मुझे अब आईना दिखा रही है।

जो मेरा है दिल से ,उसके करीब रहना सीखा रही है

जो दिल मे दूरी लिए बैठे हैं,उनसे 

दूर होना सीखा रही है।

ऐं जिंदगी ,तू बड़ा अच्छा रिश्ता निभा रही है।

चेहरे बहुत हैं चारो ओर मेरे ।

मगर सब पर एक मुखोटा लगा है

कुछ कहने को अपने भर है 

कुछ ,न होकर भी कुछ रिश्ते निभा रहे हैं

मैं कशमकश में हूँ जब भी

तू हर मुखोटा हटा रही है

ऐं जिंदगी तू मुझे सबसे रूबरू करा रही है।

मैं हंसु तो तू मुस्कुरा देती है।

मैं हो जाऊं उदास तो तू अश्क बहा देती है।

तू मेरी वो परछाई है ,जो अंधेरे में भी साथ कदम बढ़ा रही है

ऐं जिंदगी तू हर कदम मुझे सबक सिखा रही है।

मोह ,ओर माया की दुनिया 

हर रिश्ते की हकीकत की दुनिया 

मेरे मुंह मेरे ,मेरे पीछे ना मेरे न तेरे

कुछ ऐसे लोगो से मुझे अब किनारा करा रही है

ऐं जिंदगी तू मुझे सबकी परख करा रही है।

मैं पागल सी,मोह में डूबी

सबके पीछे प्यार ,सम्मान को भागी 

कभी खुद को सता 

सबको हसाती 

भीड़ में भी फिर खुद को अकेला सा पाती

तू अब मुझे सबसे दूर ले जा रही है

ऐं जिंदगी तू जिंदा रहने के सही मायने बता रही है।

जरूरी है थोड़ा खुदगर्ज़ होना भी

जरूरी है ,आईने को आइना दिखाना भी

जरूरी है अपने सम्मान को बचाना भी

जरूरी है दिखावो के रिश्तों को ठुकराना भी

जरूरी है "प्रीति" से थोड़ी प्रीत चुराना भी 

जरूरी है बन्द दरवाज़ों का बन्द रहना भी

जरूरी है जैसे के लिए वैसा हो जाना भी

जरूरी है खुद की खुशी को समझ पाना भी

और ये जरूरी सी जरूरत मुझे तू समझा रही है।

ऐं जिंदगी तू मुझे हर पल समझदार बना रही है 

तू ही तो है जो सच्ची दोस्ती निभा रही है ।



प्रीति राजपूत शर्मा 

6 अगस्त 023

मित्रता दिवस पर अपनी जिंदगी को समर्पित 

Love you zindagi 



टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने