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अप्रैल, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बस जरुरत थी तो अपनी strength को समझ पाने की ....

इस दुनिया में हजारो लड़कियां रोज जन्म लेती है और हजारो रोज इस दुनिया को अलविदा कहती हैं पर क्या हर लड़की ईमारत की चमकती ईंट होती है या फिर नीव की दबी ईंट रह  जाती है एक  लड़की जब जन्म लती है तो हज़ार बाते होती हैं घर वालो में रिश्तेदारों में ,दोस्तों में या सब में ...आज वक्त बदल गया है लड़के लड़की में कोई फर्क नहीं रहा मगर क्या ये फर्क हर किसी के लिए ख़तम हो गया है या सिर्फ कुछ ही लोगो की सोच बदल पाई है ...आज भी न जाने कितने एसे घर हैं जहाँ लड़की के जन्म पर खुशियाँ मनाई जाती है ...लड़की होने की इच्छा जताई जाती है उसे भी वही प्यार आदर सम्मान और हर सुख सुविधा देकर पाला जाता है ...मगर फिर भी वो लड़की ईमारत की चमकती ईंट की list में जगह नहीं बना पाती . और आज भी हजारो एसे घर हैं जहाँ लड़की के जन्म  को एक अभिशाप माना  जाता है पूर्व जन्मो का बदला समझा जाता है हर जगह उसे लडको से  कम आँका जाता है मगर फिर भी वो नीव की ईंट नहीं ईमारत की ईंट बन जाती है मगर कैसे ... क्या एक लड़की में दो की जगह एक हाथ, एक पाँव ,एक आँख एक कान होता है या फिर कोई भी चीज़ कम होती है ...नहीं कम होता है तो आत्मविश्वास ..ज्यादा होती

वो मेरी life का golden page था

life में golden page होना खुद में एक achievement लगता है ..मगर क्या सच में golden page हम अच्छे  page के लिए ही बोलेंगे या फिर उस page के लिए जो कभी न मिटने वाला page हो फिर चाहे वो अच्छा हो या बुरा ! खैर अभी बात अच्छे page की ही हो रही है ... मेरा दोस्त जो फेसबुक के जरिये मेरी life में दाखिल हुआ था ...वो मेरे जीवन का एसा पन्ना है जो कभी स्वीट लगता है तो कभी bitter..!मगर हाँ जो golden moments मैंने उस दोस्ती में जिए थे वो यादगार हैं और रहंगे ! मुझे हमेशा से तलाश थी एक इसे दोस्त की जिस से बेझिझक हम कुछ भी बोल सके वो दोस्त शायद एक जीवन साथी या माँ भी कभी नहीं हो सकती थी ...खैर हमारी दोस्ती दिन दोगुनी रात चोगुनी बढ़ रही थी ...पहले पहले कुछ झिझक हुई क्योकि मैंने कभी फेसबुक फ्रेंड नहीं बनाया था उसे friend बना कर unfriend भी किया मगर शायद ये दोस्ती hamari नियति थी और हम फिर से दोस्त बने ..कभी न ख़तम होने वाली बाते भी शुरू हो गयी और हम अपने अपने जीवन के पन्ने एक दुसरे के सामने खोलते चले गये मुझे एक बात पहुत पसंद आई थी उसमे की उसने अपनी life के वो page भी मेरे सामने रख दिए थे जो आज कल कोई न

सारी लड़ाई सच और झूट की थी ....

हाँ सारी  लड़ाई सच और झूठ की ही तो थी ,,,मैंने जब भी अपनी जिंदगी के बीते पन्ने पलटे हर जगह बात सच और झूठ पर ही ख़तम या शुरू हुई थी !आज सारे रिश्ते सारे पल स्मृति बन कर तैर रहे थे मेरी आँखों के सामने ! कुछ पल आज भी चेहरे पर हंसी ले आये और कुछ पल आज भी कडवाहट से भरे थे हाँ बहुत कुछ पीछे छोड़ आई थी मै मगर कहीं न कहीं आज भी बंधी थी हर उस बात से जो मुझ से होकर गुजरी थी.! आज मुझे हर वो टुटा रिश्ता याद आया जहाँ लड़ाई सच और झूठ पर आकर सिमट गयी थी ..कहीं मै सही थी कही वो ...मुझे हमेशा से नफरत थी मुखोटा लगाकर घूमने वाले इंसानों से और जहाँ तक मैंने पन्ने पलटे हर कोई उन्ही मुखोटो में शामिल था ! मुझे आज भी याद है मेरा वो पहला प्यार जिसे मैंने पूरी सिद्दत से चाहा था मगर उसके उस double face ने हमारे रिश्ते को तोड़ने में अहम् भूमिका निभाई थी !एक अच्छा और सुलझा हुआ इन्सान था वो ये सच है ..हम दोनों खुश भी  थे मगर सिर्फ तब तक जब तक की मै उन चार दीवारों में थी मगर जैसे ही मैंने दुनिया में कदम रखा उसका रवैया बदलने लगा था ..उसकी मनमानी और दबाव मुझ पर साफ़  दिखने  लगा था मै उसकी मर्जी से  चलू .उसकी मर्जी से पह

weak नहीं strong लोग करते हैं suicide ....

suicide करना हमारे समाज में एक कायरता समझी जाती है !हाँ सच भी है की जो लोग हालातों से लड़ नहीं पाते वो लोग ही आत्महत्या करते हैं मगर क्या वो लोग वाकई कायर या कमजोर होते है ..अगर वो कायर होते है तो आत्महत्या करने जैसी हिम्मत उनमे कैसे होती है ..क्या ये कदम उठाना इतना आसन होता होगा !इसी से  पता लगता है की जो लोग आत्महत्या करते हैं वो मानसिक रूप से कमजोर नहीं बल्कि सबसे ज्यादा हिम्मत वाले होते हैं .. अक्सर जब एसी कोई घटना हमारे सामने आती है तो हम ज्यादातर लोगो से उस सुसाइड करने वाले इंसान के बारे में यही सुनते हैं कि "क्या उसने सुसाइड कर लिया ? नहीं वो एसा कैसे कर सकता  है या कर सकती है "???? इसका मतलब तो साफ़ है की वो इंसान एसा कैसे कर सकता है यानि हमने हमेशा उसे मजबूत देखा होगा ... मगर फिर भी  ये कदम तो था ही कायरता का प्रतीक क्योंकि जो  भी  हो ये कदम मेसेज तो यही देता है की वो इंसान हार चूका था .. आज कल प्रतियुषा सुर्खियों में है ..छोटी आनंदी जिसे हम ने टीवी सीरियल में देखा जो रोल संघर्षों से भरा था ...उसकी असल जिन्दगी में भी उसके करीबे दोस्तों ने यही कहा की हम मान ही नहीं

Koi lauta de wo bachpan ..

Koi lauta de wo bachpan ye words hum sbki juban par hote hai ...jb hazaro mushkile hazaro jimmedariya hmare sar par aajati hain...tab yaad aata hai wo bachpan jb hum sirf school bag ka bojh uthane me hi irritate ho jate the aur ummed krte the ki koi hmara bag lekar school riksha tak pahucha de...aaj kise bole ki hmare hisse ki jimmedariyon ka bojh koi aur utha le...poori umar nikal jati hai yhi sochte sochte ki bus ye last responsibility poori kar lu fir apne liye thoda jiyenge... Mujhe aaj bhi yaad aata hai mera wo sukhad bachpan ...jab mai sbki laadli ban kar sharate kiya karti thi ...bewajha apni sisters ko daat lagwati thi ...i mean  full fayda uthati thi choti aur laadli beti hone ka....mujhe yaad hai jab mere bhai ko us christan school me admiit karaya ...chota sa tha wo jb aate jaate bade bachhe use pareshan krte the ...mai us wakt apne gaon ke school me dha krti thi ...mujhe bhi pta tha jaise meri apni sisters apne gao ki ladkiyo ko gaon ke sadharan school me sikha di gyi whi

Its my life..😡

 Its my life ....ye word hmare mind me kai baar aata hai....ya to tab jab hum apne decision lena chahte hai ya fir tab jab koi hmari life ko lead krne ki koshish karta hai...par kya vakai ye life hamari hai?kya vakai hum ise apni life smjh kar jeete hain? Ya sirf time to time ye dialogue hmari jubaan par aata hai...mujhe nahi pata aap sab ka ...magar aaj fir mai ek rishta peeche choodd diya sirf isliye ki ye life meri hai ...and let me decide who deserve to be the part of my life...hum kafi baar ye faisla nahi le paate ki hum ye jindgi jee kyu rhe hai aur agar sach me ye jindagi hamari hai to hum khush kyu nahi hai ?kyu nahi apni khushiyo ko dhudh lete kisi bhi keemat par .....?kyu khud se phle dusro ko sochte hai .... Maine hamesha apni life apne tareeke se jeene ki koshish ki ...agar kabhi apno se hi apne adhikaro ki ladai ladni pdi wo bhi lad gyi mai....kyu na ladti ye life ek hi baar to milti hai... Haan maine kafi baar is dialogue ko sirf dialogue hi paya apni zindgi mai ....ka

Adhoorapan

Aaj mai esi zindgi jee rahi thi jisme khali pan tha adhoorapan tha ....khush hone ki vajha jaise khone si lagi thi... Mai esi phle kabhi nahi thi ..khushiya dhoodh kar jee lena mera ek talent hua krta tha magar aaj jaise himmat tutne lagi thi meri ...kab tak ek ek choti khushi ke liye ladti rahti mai kismat se.... Haan ek bhara poora parivaar jo har tarha se sampann hai ...magar fir bhi ek sbse bada khali pan tha hmare jeevan me . Mai love marriage ki ....haan bahut struggle ke baad hum dono ek hue magar ek khushi thi ki hmare parivaar ne aakhir me khush hokar hum dono ko is shadi ke bandhan me baandha tha. Mai bhi hazaro sapne lekar sasuraal aai ....yha bhi bharapoora parivaar mila mujhe . Haan kuch mushkilo ka saamna krna pda mujhe  ..ek naya parivaar tha naye reeti rivaj the ...intercast shadi do ki thi maine ...adjustment krna pda mujhe ...wo bhi kafi had tak. Mai ek broadminded ladki modern age ki..shadi se pahle poore freedom ke saath jee apni sharto par...magar shayad sas

काश मैं पागल होती

                                             " काश मै पागल होती "  मुझे किसी अच्छे बुरे की  पहचान ही  ना होती। .कितना  अच्छा होता जब किसी के अच्छे बुरे होने से मुझे कोई फर्क ही न पड़ता। काश मैं पागल होती तो छोटी सी उम्र में ही लड़के और लड़की का फर्क मुझ पर थोपा ना गया होता,कितना अच्छा होता की मुझे अपने हक़ के लिए झूझना ही ना पड़ता। काश मैं पागल होती ,तो हज़ारो सपने मुझे रात भर ना जगातेकितना अच्छा होता जब उम्मीदें मुझे न रुलाती।न मुझे किसी के आने से फर्क पड़ता ,न किसी के जाने का दुःख होता।मैं बिना किसी के डर से सड़को पर घूम पाती।ना मुझे पहनावे का सोचना होता न इस समाज की लालची नजरो से नजरे झुकानी पड़ती। कितना अच्छा होता जब मुझे किसी की फ़िक्र न होती ,काश मैं पागल होती तो समाज में आगे निकल जाने या पीछे रह जाने की चिंता मुझे न सताती,कितना अच्छा होता जब मुझे पता ही ना होता की मैं तो बचपन से कठपुतली हूँ ,मुझे पता ही न होता की कब मेरे हक़ और हकदार बदल गए। काश मैं पागल होती तो बिना गलती की सजाएँ न काटी होती,कितना अच्छा होता जब मुझे पता ही न चलता की किसी ने मेरे विश्वास को रोंध दिया,न मुझे व