सारी लड़ाई सच और झूट की थी ....
हाँ सारी लड़ाई सच और झूठ की ही तो थी ,,,मैंने जब भी अपनी जिंदगी के बीते पन्ने पलटे हर जगह बात सच और झूठ पर ही ख़तम या शुरू हुई थी !आज सारे रिश्ते सारे पल स्मृति बन कर तैर रहे थे मेरी आँखों के सामने !
कुछ पल आज भी चेहरे पर हंसी ले आये और कुछ पल आज भी कडवाहट से भरे थे हाँ बहुत कुछ पीछे छोड़ आई थी मै मगर कहीं न कहीं आज भी बंधी थी हर उस बात से जो मुझ से होकर गुजरी थी.!
आज मुझे हर वो टुटा रिश्ता याद आया जहाँ लड़ाई सच और झूठ पर आकर सिमट गयी थी ..कहीं मै सही थी कही वो ...मुझे हमेशा से नफरत थी मुखोटा लगाकर घूमने वाले इंसानों से और जहाँ तक मैंने पन्ने पलटे हर कोई उन्ही मुखोटो में शामिल था !
मुझे आज भी याद है मेरा वो पहला प्यार जिसे मैंने पूरी सिद्दत से चाहा था मगर उसके उस double face ने हमारे रिश्ते को तोड़ने में अहम् भूमिका निभाई थी !एक अच्छा और सुलझा हुआ इन्सान था वो ये सच है ..हम दोनों खुश भी थे मगर सिर्फ तब तक जब तक की मै उन चार दीवारों में थी मगर जैसे ही मैंने दुनिया में कदम रखा उसका रवैया बदलने लगा था ..उसकी मनमानी और दबाव मुझ पर साफ़ दिखने लगा था मै उसकी मर्जी से चलू .उसकी मर्जी से पहनू ,उसकी मर्जी से हंसू बोलू ...मगर क्यूँ मुझे एतराज़ था इस बात से !
प्यार बहुत करता था वो भी मगर उस प्यार को उसने परिभाषा कुछ और ही देदी थी .!मेरे घर में अच्छी बात थी उसकी ..उसने शुरू कर दिया था अपना वो double face दिखाना मेरे घर में वो मेरे खिलाफ बात करता था और मेरे सामने मेरे हक़ में बोलता था ...काश की सच सच उसने बोला होता की ये बाते नहीं पसंद मुझे ...तो शायद या तो मै उसे समझाती या क्या पता मै समझ जाती ...खेर बात ये भी इतनी बड़ी न थी !बात तो तब बदली थी जब वो हमारे रिश्ते के लिए एक स्टैंड तक नहीं ले पाया था ! सच का साथ नहीं देपाया था ...आज उसने झूट का साथ दिया और मैंने सच का दामन पकड़ लिया था .!उसने परिवार के लिए झूट में साथ दिया और मैंने अपने परिवार का सच में साथ दिया और इस तरह हमारे रास्ते हमेशा के लिए अलग हो गए थे !
इस सच झूठ की लड़ाई ने हमारे ५ साल के रिश्ते को 5 मिनट में तोड़ कर रख दिया था .
खैर जो होता है हमारे अच्छे के लिए होता है ये कहावत सही साबित हुई थी मेरे लिए ..आज मै अपने जीवन में खुश हु मुझे अच्छा घर और अच्छा जीवन साथी मिला मगर कहीं न कहीं मुझे हमेशा अफ़सोस है उस रिश्ते के टूट जाने का इसलिए नहीं की वो रिश्ता प्यार का था इसलिए की वो रिश्ता विश्वास का था ..उसने उस दिन झूट का साथ देकर मेरा विश्वास तोड़ दिया था ..
आज हम दोनों अपनी जिन्दगी में बहुत आगे निकल आये हैं मगर कहीं न कहीं वो टूटे विश्वास की चोट आज भी उतनी ही गहरी नजर आती है ..गलत वो नहीं गलत मेरा उसको अपने लिए चुनने का फैसला था .
कुछ पल आज भी चेहरे पर हंसी ले आये और कुछ पल आज भी कडवाहट से भरे थे हाँ बहुत कुछ पीछे छोड़ आई थी मै मगर कहीं न कहीं आज भी बंधी थी हर उस बात से जो मुझ से होकर गुजरी थी.!
आज मुझे हर वो टुटा रिश्ता याद आया जहाँ लड़ाई सच और झूठ पर आकर सिमट गयी थी ..कहीं मै सही थी कही वो ...मुझे हमेशा से नफरत थी मुखोटा लगाकर घूमने वाले इंसानों से और जहाँ तक मैंने पन्ने पलटे हर कोई उन्ही मुखोटो में शामिल था !
मुझे आज भी याद है मेरा वो पहला प्यार जिसे मैंने पूरी सिद्दत से चाहा था मगर उसके उस double face ने हमारे रिश्ते को तोड़ने में अहम् भूमिका निभाई थी !एक अच्छा और सुलझा हुआ इन्सान था वो ये सच है ..हम दोनों खुश भी थे मगर सिर्फ तब तक जब तक की मै उन चार दीवारों में थी मगर जैसे ही मैंने दुनिया में कदम रखा उसका रवैया बदलने लगा था ..उसकी मनमानी और दबाव मुझ पर साफ़ दिखने लगा था मै उसकी मर्जी से चलू .उसकी मर्जी से पहनू ,उसकी मर्जी से हंसू बोलू ...मगर क्यूँ मुझे एतराज़ था इस बात से !
प्यार बहुत करता था वो भी मगर उस प्यार को उसने परिभाषा कुछ और ही देदी थी .!मेरे घर में अच्छी बात थी उसकी ..उसने शुरू कर दिया था अपना वो double face दिखाना मेरे घर में वो मेरे खिलाफ बात करता था और मेरे सामने मेरे हक़ में बोलता था ...काश की सच सच उसने बोला होता की ये बाते नहीं पसंद मुझे ...तो शायद या तो मै उसे समझाती या क्या पता मै समझ जाती ...खेर बात ये भी इतनी बड़ी न थी !बात तो तब बदली थी जब वो हमारे रिश्ते के लिए एक स्टैंड तक नहीं ले पाया था ! सच का साथ नहीं देपाया था ...आज उसने झूट का साथ दिया और मैंने सच का दामन पकड़ लिया था .!उसने परिवार के लिए झूट में साथ दिया और मैंने अपने परिवार का सच में साथ दिया और इस तरह हमारे रास्ते हमेशा के लिए अलग हो गए थे !
इस सच झूठ की लड़ाई ने हमारे ५ साल के रिश्ते को 5 मिनट में तोड़ कर रख दिया था .
खैर जो होता है हमारे अच्छे के लिए होता है ये कहावत सही साबित हुई थी मेरे लिए ..आज मै अपने जीवन में खुश हु मुझे अच्छा घर और अच्छा जीवन साथी मिला मगर कहीं न कहीं मुझे हमेशा अफ़सोस है उस रिश्ते के टूट जाने का इसलिए नहीं की वो रिश्ता प्यार का था इसलिए की वो रिश्ता विश्वास का था ..उसने उस दिन झूट का साथ देकर मेरा विश्वास तोड़ दिया था ..
आज हम दोनों अपनी जिन्दगी में बहुत आगे निकल आये हैं मगर कहीं न कहीं वो टूटे विश्वास की चोट आज भी उतनी ही गहरी नजर आती है ..गलत वो नहीं गलत मेरा उसको अपने लिए चुनने का फैसला था .
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