वो मेरी life का golden page था

life में golden page होना खुद में एक achievement लगता है ..मगर क्या सच में golden page हम अच्छे  page के लिए ही बोलेंगे या फिर उस page के लिए जो कभी न मिटने वाला page हो फिर चाहे वो अच्छा हो या बुरा !
खैर अभी बात अच्छे page की ही हो रही है ...
मेरा दोस्त जो फेसबुक के जरिये मेरी life में दाखिल हुआ था ...वो मेरे जीवन का एसा पन्ना है जो कभी स्वीट लगता है तो कभी bitter..!मगर हाँ जो golden moments मैंने उस दोस्ती में जिए थे वो यादगार हैं और रहंगे !
मुझे हमेशा से तलाश थी एक इसे दोस्त की जिस से बेझिझक हम कुछ भी बोल सके वो दोस्त शायद एक जीवन साथी या माँ भी कभी नहीं हो सकती थी ...खैर हमारी दोस्ती दिन दोगुनी रात चोगुनी बढ़ रही थी ...पहले पहले कुछ झिझक हुई क्योकि मैंने कभी फेसबुक फ्रेंड नहीं बनाया था उसे friend बना कर unfriend भी किया मगर शायद ये दोस्ती hamari नियति थी और हम फिर से दोस्त बने ..कभी न ख़तम होने वाली बाते भी शुरू हो गयी और हम अपने अपने जीवन के पन्ने एक दुसरे के सामने खोलते चले गये
मुझे एक बात पहुत पसंद आई थी उसमे की उसने अपनी life के वो page भी मेरे सामने रख दिए थे जो आज कल कोई नहीं किसी को बताता ...उसका family background उसके struggle हर चीज़ मै खुश थी एक सच्चा दोस्त पाकर !वो उस वक्त esi जगह posted था जहाँ से बात करना बहुत मुश्किल हुआ करता था मगर फिर भी chating से होती हुई हमारी दोस्ती phone calls तक आ पहुची थी ..मुझे याद है जुलाई २०१४ जब mai अपने घर गयी हुई थी और पहली बार हमारी फ़ोन पर बात हुई थी ...उसके बाद वो remote area में चला गया .मुझे लगा शायद ये एक बहुत बड़ा विराम होगा ..मगर उसकी हर रोज की वो 1 या २ मिनट की कॉल ने उस दोस्ती को बरक़रार रखा हर रोज उसकी तीसरी कॉल मुझे होती थी ..पहली उसकी माँ को दूसरी उसकी होने वाली पत्नी को और तीसरी मुझे ...
धीरे धीरे बाते बढती गयी हम समझ गये थे कि ये चुनाव सही है ...फिर मै मिली उस से वो meeting लाइफ की यादगार meeting है जो मै यहाँ discuss कर के आम नहीं बनाना चाहती ...फिर हमारी फैमिलीज़ में भी हमरी दोस्ती को आदर स्थान मिला ...facebook friend से family friend कैसे बन गये पता ही नहीं लगा
यहाँ तक की लोगो को जलन हों लगी थी की हमारी life में कोई एसा दोस्त क्यों नहीं है और हम डरने लगे थे कि कही हमारी इस दोस्ती को किसी की नजर न लगे और वही हुआ एक साल पूरा भी नहीं हुआ था इस दोस्ती को जैसे ग्रहण लग गया था achi baate bhi buri banne lgi thi...duriya badhne lagi thi is ek saal me bahut changes aaye is rishte me fir bhi hum lage the har mumkin kishish krne me ki bus kisi tarha fir se whi feelings laut aaye jb ye rishta shuru hone par tha magr afsos esa nai hua aur dooriya bdhti gyi aaj halaat ye hai ki darare kabhi na bharne ki kagar par aa pahuchi hai...
Magar wo aaj bhi shamil hai har jagha ...meri har baat me ..meri har khushi aur gum me...mere har faisle me ..har ache bure time me ...har kadam me ...har cheez me har yaad me aaj bhi hai wo har jagha ...aur haan wo aaj bhi mera "Motivation Pack" hai ...tab positivity se tha aaj uske na hone ki vajha se uska sath na hona mere liye motivation hai ...aur umeed h hum dono ki ye dosti hamesha jinda rahegi ek dusre ke dil me ...kisi na kisi roop me ye rishta talashta rahega ek dusre ko....

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने