एन ओपन लेटर टू माय सन वेदांत (बर्थडे स्पेशल -6)

 हेलो वेदांत 

तो अब तुम पूरे 6 साल के हो गए हो।हर दिन गुजर रहा है और मेरा प्यार तुम्हारे लिए हर दिन बढ़ता जा रहा है।तुम तेजी से बड़े हो रहे हो ,लगता है मानो बचपन भाग रहा है तुम्हारा।कभी कभी तो कितनी देर टकटकी लगाए तुम्हे देखती रहती हूँ।कितनी बार तो तुम बोल भी देते हो "अरे ऐसे क्या देख रही हो माँ, मैं अच्छा लग रहा हूँ क्या"ओर मन ही मन तुम्हारी बलायें उतारती हूँ।और बस हंस देती हूँ तुम्हारी मासूमियत पर।कभी कभी कितने दिन गुजर जाते हैं हम दोनों को खूब टाइम साथ मे बिताये,हम दोनों ही बिजी होते हैं।सुबह जब तुम्हे स्कूल के लिए उठाती हूँ तुम बहाना मारते हो ,"माँ मेरी आँखें नही खुल रही "तब मैं रोज तुम्हे यही कहती हूँ,मुझे देखो ,सबसे पहले सुबह माँ को देखो और मुस्कुराओ,मुझे पूरा विश्वास होता है कि माँ का चेहरा देख कर उठो तो दिन अच्छा गुजरता है।मुझे याद है जब से मैंने ये बात जानी ओर समझी थी तब से सबसे पहले उठकर मैं तुम्हारी नानी का ही चेहरा देखती थी ,जब घर छोड़ कर बाहर पढ़ाई करने आई तो मेरे तकिये के नीचे हमेशा तुम्हारे नाना ओर नानी जी की फ़ोटो रही और उस फ़ोटो से सालो तक मैंने अपने दिन की शुरुआत की ।

शादी हुई तो सुबह उठकर तुम्हारे पापा के चेहरे से शुरुआत हुई ,ओर 5 साल बाद जब तुम जीवन में आये तब से अब तक हर दिन तुम्हारे प्यारे से चेहरे से शुरुआत होती है ।लेकिन माँ पापा का चेहरा मैं आज तक याद करना नही भूलती हूँ।और अब मैं चाहती हूं कि तुम भी ये आदत बनाओ क्योंकि माँ पापा भगवान का रूप होते हैं और सुबह अगर घर मे ही भगवान के दर्शन हो जाये तो क्या ही कहना।

तुम्हे पता है हर दिन मेरा ही प्यार तुम्हारे लिए नही बढ़ रहा ,तुम्हारा प्यार भी मेरे लिए बढ़ रहा है, तुम दिन भर में ना जाने कितनी बार मुझे बोलते हो "माँ आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो ।मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।कभी कभी तो आधी रात को तुम नींद से उठकर मुझे उठाकर ये सब बोलते हो ।मेरे बारे में अगर कोई तुम्हे छेड़ने के लिए भी कुछ बोल दे तो तुम सब से लड़ जाते हो।

सुबह उठते ही तुम स्कूल जाने के लिए ओर मैं तुम्हे स्कूल भेजने  में बिजी हो जाती हूँ। फिर दोपहर तक तुम स्कूल में ओर मैं आफिस में बिजी होती हूँ।तुम घर 2.45 तक पहुचते हो और उस से एक घंटा पहले मैं घर आती हूँ ।फिर तुम्हे खाना खिला कर बस आधा घण्टा होता है हम दोनों के पास की हम साथ टाइम बिताये ।लेकिन उस आधे घंटे में तुम फ़ोन देखते हो और मैं रेस्ट करती हूँ।3.45 मैं अपने आफिस चली जाती हूँ और तुम दादी के पास खेलने।मैं 6.30 घर आती हूँ  तो वो तुम्हारा होमवर्क टाइम होता है उसके बाद मेरा किचन टाइम ओर तुम्हारा टीवी टाइम। बस टीवी देखते देखते तुम्हारी आंखे झपने लगती हैं सुबह जल्दी जो उठ जाते हो ,पूरा दिन उधम मचाते हो ,उस वक्त मुझे खाना तैयार करने की बहुत जल्दी होती है कि तुम बिन कुछ खाये ही ना सो जाओ।बस तुम्हे खाना खिलाते ही सुलाने की कोशिश में लग जाती हूँ ताकि तुम टाइम से सुबह उठ पाओ।फिर मेरा किचन ,मैं और तुम्हे देखने का टाइम ।। तुम्हे खूब दुलार करती हूँ।जी भर कर देखती हूँ और मन ही मन मुस्कुराती हूँ। ये होती है हम दोनो की दिनचर्या।शनिवार मेरी छुट्टी होती है लेकिन तुम्हारा स्कूल होता है।मैं कोशिश करती हूँ कि शनिवार को ही सारे जरूरी काम खत्म कर दूं ताकि रविवार हम दोनों साथ में वक्त बिताये।छुटटी एक दिन की हो या 10 दिन की ।जितने दिन हम दोनों घर मे होते है तुम एक पल को मुझसे अलग नही होते हो ।मेरे ही साथ रहते हो।

कभी कभी तो सिर्फ हम दोनों शॉपिंग करने भी जाते है और रेस्टुरेंट भी।वो हम दोनों का क्वालिटी टाइम होता है।अक्सर तब जब तुम्हारे पापा शहर से बाहर होते हैं।

अब तुम्हारे दूध के दांत टूट रहे हैं।जब भी तुम्हारा कोई दांत हिलता है तुम बार मेरे पास आकर कहते हो ,माँ लो मेरा दांत टच कर के अपना बचपन याद करो।क्योंकि मैंने ही तुम्हे बोला था कि तुम्हारा ये टाइम देख कर मुझे मेरे बचपन याद आता है।

तुम पढ़ाई लिखाई में बहुत अच्छे चल रहे हो ,खुद को प्राउड पेरेंट्स बोलू तो कुछ गलत नही होगा ।तुम क्लास में फर्स्ट आते हो ।तुम्हारी पढ़ाई लिखाई के आगे मुझे कितने रिश्तो को साइड करना पड़ता है ,कितनी बार इस चीज़ को लेकर कुछ नाराजगिया भी सहनी पड़ती है,कितने फंक्शन छोड़ने पड़ते है।लेकिन मुझे जरा भी अफसोस नही होता क्योंकि तुम्हारी पढ़ाई और भविष्य के सामने ये sacrifices ये शिकायतें कुछ मायने नही रखते।

इस साल तुमने स्कूल में बहुत प्रोग्राम में पार्टिसिपेट किया,बहुत प्रतियोगिता जीती,बहुत सारे सर्टिफिकेट ,ओर मैडल जीते।ये सब देख कर मेरा बचपन जिंदा हो जाता है। और गर्व से सीना चौड़ा।सबसे ज्यादा खुशी तो तब होती है जब तुम जीतने के बाद ,फर्स्ट आने के बाद सबसे पहले मुझे ये कहकर मिठाई खिलाते हो ,माँ ये आपने ही तो किया,आप मुझे ना पढ़ाती तो मैं कैसे फर्स्ट आता।बस ये शब्द काफी होते हैं मेरे लिए ।एक मा को आखिर चाहिए भी क्या,हम माये तो नींव की ईंट होती है।बच्चे को पाल पो स कर बड़ा करती है ।खैर तुम मुझे हमेशा apriciate करते हो फिर चाहे मेरे हाथ का बना खाना हो,मेरा तुम्हे पढ़ना हो ,तुम्हारे लिए खाना बनाना हो या तुम्हे आने हाथ से खिलाना।कभी कभी इतनी बड़ी बातें कह जाते हो।जब भी मैं शाम को आफिस से आती हूँ तुम भाग कर रसोई में जाते हो ,बोलते हो ,माँ आंखे बंद करो ,कभी मेरे लिए रूहअफजा बना कर लेते हो कभी नन्हे हाथो से उल्टा सीधा नीम्बू पानी ,तो कभी पानी का गिलास हाथ मे थमा देते हो और बड़े प्यार से मुझे kiss करते हुए हो बोलते हो ।क्या मैं अपनी माँ के लिए इतना नही कर सकता ,आप मेरे लिए कितना कुछ करती हो।थक जाती हो।तो क्या आपका बेटा आपको पानी नही पिला सकता ।और लाड़ में झुक कर मेरे पैर छुटे हो।मन करता है आंखों में भर लू एक एक पल।

हर बात का श्रेय मुझे देते हो।यहां तक कि जब सब बोलते हैं क्या बात बेदान्त इन सर्दियों में काले नही हुए तूम ।क्योंकि तुम पूरे साल में दो रंग के चेहरों में रहते हो,गर्मियों में गोरे सर्दियो में काले,लेकिन पिछले साल से ऐसा होने नही दिया मैंने, जब भी धूप में गए sunscreen लगा कर भेजा।तब तुम सबको बोलते हो,मेरी माँ ने मुझे सूंदर बना दिया,मेरी मां बिना sunscreen के मुझे बाहर जाने नही देती।

तुम कभी कभी इतनी प्यारी ,इतनी बड़ी बातें करते हो कि हम सब अचंभित हो जाते हैं।शरारत बहुत ज्यादा करते हो ,कभी गुस्सा भी आता है लेकिन फिर यही समझा लेते हैं खुद को की तुम अब नही करोगे तो कब करोगे।पता है रोज सुबह नहा कर सूर्यदेव को जल अर्पित करना ,पूजा कर के तिलक लगाना,मा सरस्वती के मंत्रोचारण करना,ये मैंने तुम्हारी दिनचर्या में शामिल किया ।और तुम्हे आधे से ज्यादा हनुमान चालीसा भी याद हो गयी है।सोते समय हनुमान चालीसा ओर गायत्री मंत्र जप करके ही सोते हो तुम।रोज सोने से पहले अच्छी बातें सुनना, मंत्र जाप करना ,ये सब मैं अपने अनुभव से तुम्हे देना चाहती हूं ,जो हमे हमारी माँ ने सिखाया कोशिश करती हूँ मैं तुम्हे सीखा पाऊं।।

अब तुम सब रिश्तो को याद रखने लगे हो,नानी के घर जाने की ज़िद ,बुआ मौसी के घर जाने की जिद ।ओर अब तुम्हारा सबके साथ अच्छा bond भी हो गया है।कुछ दिन पहले तुमने मुझसे पहली बार अपने नाना जी के लिए पूछा,माँ मेरे नाना जी कौन हैं और वो कहा हैं।मेरे लिए इस सवाल का सामना करना थोड़ा मुश्किल हुआ लेकिन तुम बहुत समझदार बच्चे हो ,मुझे पूरा यकीन था कि तुम मेरी हर बात को समझ जाओगे,मैने पूरी कोशिश की ऐसे शब्द ढूंढने की जिनसे मैं तुम जैसे छोटे मासूम बच्चे को बता पाऊं की तुम्हारे नाना जी कौन थे,कैसे थे और अब वो कहाँ है।अंत मे तुमने मुझे यही कहा ,पर माँ नाना जी तो अब तारा बन गए होंगे ,वो तो हमे रोज देखते ही होंगे ना।मैं भावुक थी लेकिन तुम्हारी प्यारी बातो ने मुझे सम्भाला।

तुम हर बात समझते हो।मेरे प्यारे बच्चे हो।बस ऐसे ही पढ़ते लिखते रहो,त्तरक्की करते रहो,सबका सम्मान करो,खुश रहो।

हम सबका आशीर्वाद ओर प्यार तुम्हारे साथ है।i love you मेरे वेदांत ।

तुम्हारी माँ

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने