वजह तुम भी हो ननद रानी

 आज जिस संदर्भ में मैं लिखने जा रही हूँ वो बहुत ही नाजुक विषय है।वैसे तो चुनौतियों भरे विषय ही मेरे पसंदीदा रहे हैं लेकिन आज का विषय एक रिश्ते की सच्चाई बयान करेगा।हो सकता है कितने ही पाठक गुस्सा हों ,नाराज हों और मेरे अपने ही रिश्ते मुझसे शिकायत पर उतर आये ,लेकिन एक लेखक की कलम को डर कैसा ,एक बार हो सकता है मैं पीछे हट जाऊ लेकिन एक लेखक की कलम सच कहने से कभी नही घबराती।

चलो मुद्दे की बात करते हैं । शादी के कुछ दिन बाद से ही मुझे कुछ वाक्य रोज सुनने में आये । 

"मायके में ज्यादा बात करने से लड़की कभी ससुराल में अपने पन से नही रह पाती।वो कभी ससुराल को अपना नही पाती।उनका मन हमेशा मायके में अटका रहता है।वो कभी अपनी ससुराल वालों को दिल से नही अपना पाती।लड़की की माँ या मायका अगर लड़की के मामलों में बोलता है तो लड़की का घर कभी नही बसता। लड़की को शादी के बाद रोज मायके में बात नही करनी चहोये ,कभी विरला 15 20 दिन में एक बार करो। लड़की को कभी अपनी ससुराल की बाते मायके में नही बतानी चाहिए ,चाहे वो सुखी हो या दुखी। लड़की को मायके वालों को अपने मामलो से दूर रखना चाहिए तभी अपना घर बसा सकती है।" और भी ना जाने क्या क्या ।

मैने भी हर बात आने पल्लू में बांधनी शुरू कर दी ।एक सीख समझ कर। इन बातों में से कुछ बातों को मैने खुद समर्थन किया।हालांकि मेरे इस समर्थन से मैने कई बार नकारात्मक टिप्पणियों के सामना भी किया । लेकिन जिस बात से मैं सहमत हूं उसका पूरा विश्लेषण करने में भी सामर्थ हूँ।

लेकिन इस बात से ना मैं कभी सहमत थी ,न कभी सहमत हो सकती हूँ की " लड़की के घर टूटने की वजह सिर्फ़ उसकी मां और उसके मायके का हस्तक्षेप होता है।" वजह हो सकता है लेकिन सिर्फ वही एक वजह नही हो सकता।

तो मेरा मुद्दा ये है कि लड़की का घर टूटने या लड़की के घर ना बस पाने की एक वजह होती है घर की लाड़लिया। जी हां । ननद रानियां।

सुन कर शॉक लगा ना। लेकिन मैं अपनी हर बात को समझाने में सक्षम हूँ।

आओ आज विस्तार में चर्चा करें।

पहले मायके पर आते हैं " मैं खुद इस बात से सहमत हूँ कि मायके में हर एक बात बताना ,हर रोज बात करना, छोटी बड़ी बातें साझा करना सरासर गलत है।और घर टूटने या घर ना बस पाने वाले शब्द यही से आते हैं। वजह ये नही की लड़की की माँ घर तोड़ती है।क्योंकि कोई भी माँ अपनी बेटी का घर कभी नही तोड़ सकती ।आइये जानते है असली वजह क्या है।मैं यहां हर उदाहरण में खुद को रखना पसंद करूँगी इसलिए नही की ये हर बात मेरे जीवन का हिस्सा है बल्कि आपनी बात को स्पष्ट रूप से समझाने के लिए ।

पहले तो मैं ये कहना चाहूंगी कि दिल को बड़ा और सोच को खुली रख कर ही मेरा ये ब्लॉग पढ़ें। क्योंकि यहां हर लड़की, बहु सास मा और ननद है। हम हर एक लड़की इस इन रिश्तो को या तो जी चुके ,या जी रहे है है या जियेंगे।

मान लीजिए मैं रोज अपने मायके में बात करती हूँ।तो मैं क्या बात करूँगी ," रोज बात करना यानी रोज मर्रा का जीवन शैली बताना।आज मैंने क्या क्या किया,दिन में 3 बार कॉल की ,उस3 बार मे अगर 5 काम भी बताए कि मैंने ये किया वो किया ।ये बनाया वो बनाया। माँ को लगा मेरी बेटी ही जब देखो काम करती है। लेकिन इस बीच बेटी ने सिर्फ अपनी बात की ।वो ये बताना या तो भूल गयी या जरूरी नही समझा कि इस बीच मेरी सास और ननद ने भी काम किया।बस वही बेटी विक्टिम बन गयी। उस पर माँ ने भी अपनी 2 ,4 सलाह बेटी को दे डाली ।बेटी ने भी उस पर अमल किया वहीं पर सास ननद और बहू केबीच या तो मतभेद या फिर दिल की दूरियां शुरू हो गयी ।

लेकिन घर की जिम्मेदारिया बहु की दिन चर्या का हिस्सा हैं ये या तो बेटी का दिल रखने के चक्कर मे मा बताना भूल गयी या समझा नही पाई । मेरे घर मे हर रोज क्या हुआ,क्यों हुआ,किसने किसको क्या कहा ये सब अपने मायके में बताना जरूरी नही था तो अगर ये एक गलती मैने की वही दूसरी गलती सासु मॉ कर बैठी जब वही हर रोज वाला कॉल उनके पास आया उनकी बेटी का। यानी ननद रानी का। हर रोज की तरह उनमे भी अपने अपने घर ,अपनी सास अपनी नानद और अपनी बहू को लेकर बात हुई।वही ननद की नजर में भाभी गलत ,सासु माँ की नजर में बहु गलत ,बेटी की नजर में उसकी सास गलत ,मा की नजर में उनकी बेटी यानी नननद रानी विक्टिम। घूम फिर कर हर घर मे एक ही रिश्ता ,एक ही बात और एक ही गलती ।


अब बात आती है कि लड़की के मायके वाले या माँ ही वजह क्यों । वजह तो ननद भी हुई ना। जैसे मां की नजर में बेटी विक्टिम थी और माँ ने 100 सलाह दी उसी तरह वहां नननद की नजर में मा विक्टिम थी उसने भी माँ को 100 सलाह दे डाली।इधर  बहु की नजर में सास सिर्फ सास रह गयी उधर सास की नजर में बहु बेटी से पीछे रह गयी ।दोनों ही एक दूसरे को दिल मे जगह नही दे पाए ।

इसलिए घर टूटने में बराबर का योगदान नननद रानी ने भी दिया।

मैं अगर बहु हूँ, भाभी हूँ तो वही मैं बेटी भी हूँ और नननद भी।आज मैं इस प्लेटफॉर्म पर सबके सामने एक शख्शियत को दिल से आभार और धन्यवाद कहना चाहूंगी,और खुद को खुशनसीब समझती हूँ कि वो है मेरी मां। तारीफ इसलिए नही की वो मेरी माँ है ,बल्कि इसलिए कि वो मेरी भाभी की ऐसी सास है जिसने आज तक हम बेटियों से अपनी बहू की कोई कमी साझा नही की। उनकी नजर में ना उनकी बहू का उनके मायके में बात करना कभी मुझे गलत सुनाई दिया ,ना हम बेटियों से रोज बात करना सही सुनाई दिया।

मेरी मां वो शख्सियत है जिसने हमे हमेशा कहा कि अगर तुम्हारा घर हमसे फासले बना कर बस्ता है तो वो करो।अगर हमसे बात करके बसता है तो वो करो लेकिन तुम्हारे घर मे रोज क्या होता है ,क्यों होता है,कौन करता है ना मैं ये सुन्ना चाहती हूं ,मेरे घर मे ये सब क्यों कैसे कौन करता है ना ये बताना चाहती हूं। मेरी बेटियां कैसी है,खुश है ।अगर खुश नही है तो मैं उनकी ढाल हूँ लेकिन सिर्फ तब जब उनके पास विकल्प न हो।मेरी माँ कहती है । तुम्हारे परिवार में मेरी सलाह की जरूरत ही नही क्योंकि मैंनेअपनी बेटियों को इतनी काबिल शिक्षा दी कि वोर परिस्थितियों का सामना खुद कर सकती है।अगर वो नही तो उनका परिवार सामने आये ।अगर तब भी परेशानी ना सुलझे तब हम तुम्हारी ढाल है।

शायद यही कारण है कि मैं ही नही मेरी बहने मेरा भाई भी हर रिश्ते को सिंजोने, हर स्थिति परिस्थितियों का सामना करने में ,सक्षम है। 

मेरी भाभी वो खुशनसीब बहु है जिसकी सास ना अपनी बेटियों से उनके बारे में गलत बोलती है। जिसकी नननद ना उनकी सास को उनके लिए गलत बोलती है और ना उनकी नजर में उनका अपने मायके बात करना गलत है। हम भाई से ज्यादा अपनी भाभी को मानती हैं।क्योंकि हमें पता है ,कल हमारा मायका हमारी माँ से नही हमारी भाभी से जिंदा होगा। और वो खुशनसीब है 

अब मुद्दा तो वही रहा। कि घर टूटा क्यों ,रिश्ते दिल मे बसे क्यों नही ।इसकी असली वजह रही अपने घर की रोज दिनचर्या साझा करना। बात करना गलत नही होता लेकिन हर पल की बात बोलना गलत होता है ।खुद को विक्टिम समझना गलत होता है।मेरा बस एक ही सवाल है सबसे ।अगर बहु का अपने मायके में रोज बात करना गलत या वजह है ,तो सास का अपनी बेटी से हर रोज हर बात करना क्यों सही है। सास उस वक्त माँ क्यों बन जाती है और मा उसी बात को लेकर सास क्यों बन जाती है।सास जिस से बात कर रही है वो भी तो किसी की बहू है।तो क्यों जान बूझ कर अपनी बेटी का घर तोड़ रही है ,और क्यों नननद रानी का हस्तक्षेप मायके में सही माना जाए ।उसका भी अपना घर है।अपनी ससुराल है ,वो क्यों वही गलती दोहराये जो भाभी करती है ,और अगर वो गलत नही तो भाभी कैसे ।

ये सब रिश्ते आपस मे उलझे हुए है।हम हर किरदार खुद निभा रहे हैं लेकिन हर रिश्ते पर हमारा नजरिया क्यों बदल जाता है।कहने का मतलब ये है कि कोई किसी रिश्ते को तब तक नही तोड़ सकता जब तक वो खुद न चाहे। दूसरा ये की अगर बहु को सलाह देते हो कि मायके में रोज बात न करे तो सबसे पहले अपनी बेटी से रोज बात करना बन्द करे क्योंकि वो भी किसी की बहू है। इसलिए रिश्तो को समझो एक दूसरे को आरोप देना बंद करो ।अपनी समझ का इस्तेमाल करो ,जियो और जीने दो।

I hope मैं कपनी बात को सटीक शब्दो मे समझा पाई 

धन्यवाद ।

प्रीति  राजपूत

15 अक्टूबर 2022



टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने