खास मैं नहीं वो है
उसका एहसास आज भी उतना ही खास है जितना उस पहले दिन था,साल बदल गए 'दिन ,महीने गुजर गए ,मौसम बदले,जिंदगी बदली,मगर उसकी नजरो में छुपा वो एहसास ,वो प्यार एक पल को फीका नहीं लगा।उसका साथ आज भी उतना ही अच्छा लगा जितना उस दिन लगा था जिस दिन वो मेरी जिंदगी में आया था।उसने मुझे हमेशा एहसास कराया की मैं कितनी खास हूँ,उसने मुझे बताया की मुझमे क्या क्या अच्छाइयां छुपी है।उसने मुझे बताया की मेरे चेहरे में कितना आकर्षण है,उसने मुझे बताया की मैं सुन्दर हूँ,सेक्सी ,हॉट,ये सब आधुनिक शब्द हर कदम पर हमे सुनने को मिलते हैं मगर खूबसूरत सुन कर जो ख़ुशी मिली वो कुछ खास थी।
मेरी आदते ,मेरी अच्छी बुरी बाते,मेरा व्यवहार,मेरा पहनावा,मेरा बोलना ,मेरा चलना,मेरा जिंदगी को जीना,क्या था ऐसा जिसपर उसने ध्यान नहीं दिया था।ऐसा लगा जैसे उसी ने मुझसे मुझे मिलवाया हो।ऐसा लगा इस से पहले मैं खुद को जानती ही नहीं थी।मेरी खुबिया,मेरी कमिया मुझसे ज्यादा उसे पता थी।मेरे मुह से निकली हर बात उसे याद रहती।जब वो प्यार से मेरी आँखों में आँखे डाल कर देखता तो शर्म से मेरी नजरे झुक जाती ,जैसे उसकी आँखे मुझमे वो सब भी पढ़ रही हो जो मेरी जुबान पर नहीं आया।उसकी आँखे हमेशा बोलती नजर आई,कभी शिकायते,कभी वो सब जो वो ना बोल पाया हो।मैं जब जब सामने थी तब तब उसकी खुशबू ने मुझे एक नयी ताज़गी दी।उसका जरा स्पर्श भर काफी होता मुझे सीमेट देने के लिए।उसका जरा सा स्पर्श भी सीधा मेरे अंतर्मन को स्पर्श करता,उसने मुझे पूरी तरह एहसास करा दिया था जैसे मैं इस दुनिया की ही नहीं हूँ किसी दूसरे लोक से आई हूँ ,सबसे अलग ,सबसे अनोखी हूँ मैं, उसके साथ होती तो लगता कितना कीमती जीवन है मेरा,सच मुच की राजकुमारी बना दिया था उसने मुझे,कभी अपनी बातो से ,कभी अपनी कोशिशो से,मैं जैसे अलग ही दुनिया में जीने लगी थी,जैसे सब कुछ खास था मुझमे।उसने मुझे एक नए शक्श से मिलवाया था जो मुझही में छुपा था।मैं खुश थी अपने आप से मिलकर,अब तो जो प्रतिबिम्ब शीशे में दीखता वो भी मुझे खास लगता ,उसकी नजरो से मैं खुद को देखने लगी थी।और सिर्फ तारीफे ही नहीं मेरे हौसले से भी मिलवाया था उसने मुझे।मेरे अंदर छुपे एक ऐसे व्यक्तित्व से मिलवाया था जो निडर था,साहसी था,और बुद्धिमान भी।उसने मुझे मेरे टैलेंट से रूबरू कराया था,मुझे मेरे पीछे छूटे सपनो को पूरा करने के लिए मेरा हाथ पकड़ कर आगे खींचा था।मेरे हर कमजोर पल को उसने मजबूत बनाने में मेरा साथ दिया,मुझे बताया की मैं एक आसान सी ,नार्मल जिंदगी जीने के लिए पैदा नहीं हुई हूँ,मेरा मकसद कुछ और है ।मैं किसी न किसी रूप में इस संसार में अपनी क्लव पहचान बनाने आई हूँ।उसी ने मेरे कब से टूटे हुए हौसले को जिन्दा कर दिया था।मेरे हुनर को उसी ने तो तराशा था।
कैसे कह दूं की वो कोई शक्श है,वो तो आत्मा है मेरी।जिसने मेरी गलतियों पर मुझे सजा दी,मेरी ममेहनत पर मुझे खूब सराहा,मेरे कमजोर पलो में मेरी हिम्मत बन कर मुझे चलाया।
मेरी सारी खट्टी,मीठी यादें जो उसने मुझे दी,अच्छे बुरे पल जो मुझे उस से मिले,वो मेरे लिए हमेशा खास रहेंगे।क्योंकि मैं आज अगर यहां तक पहुँच पाई हूँ तो उसी के कारण।
वो मेरे जीवन का ऐसा सुनहरा पन्ना है जो मेरे जीवन की किताब की जान है।किताब चाहे बंद हो जाये वो पन्ना हमेशा चमकता रहेगा।उस खास को एक खास धन्यवाद।
प्रीति राजपूत शर्मा
10 नवंबर 2016
मेरी आदते ,मेरी अच्छी बुरी बाते,मेरा व्यवहार,मेरा पहनावा,मेरा बोलना ,मेरा चलना,मेरा जिंदगी को जीना,क्या था ऐसा जिसपर उसने ध्यान नहीं दिया था।ऐसा लगा जैसे उसी ने मुझसे मुझे मिलवाया हो।ऐसा लगा इस से पहले मैं खुद को जानती ही नहीं थी।मेरी खुबिया,मेरी कमिया मुझसे ज्यादा उसे पता थी।मेरे मुह से निकली हर बात उसे याद रहती।जब वो प्यार से मेरी आँखों में आँखे डाल कर देखता तो शर्म से मेरी नजरे झुक जाती ,जैसे उसकी आँखे मुझमे वो सब भी पढ़ रही हो जो मेरी जुबान पर नहीं आया।उसकी आँखे हमेशा बोलती नजर आई,कभी शिकायते,कभी वो सब जो वो ना बोल पाया हो।मैं जब जब सामने थी तब तब उसकी खुशबू ने मुझे एक नयी ताज़गी दी।उसका जरा स्पर्श भर काफी होता मुझे सीमेट देने के लिए।उसका जरा सा स्पर्श भी सीधा मेरे अंतर्मन को स्पर्श करता,उसने मुझे पूरी तरह एहसास करा दिया था जैसे मैं इस दुनिया की ही नहीं हूँ किसी दूसरे लोक से आई हूँ ,सबसे अलग ,सबसे अनोखी हूँ मैं, उसके साथ होती तो लगता कितना कीमती जीवन है मेरा,सच मुच की राजकुमारी बना दिया था उसने मुझे,कभी अपनी बातो से ,कभी अपनी कोशिशो से,मैं जैसे अलग ही दुनिया में जीने लगी थी,जैसे सब कुछ खास था मुझमे।उसने मुझे एक नए शक्श से मिलवाया था जो मुझही में छुपा था।मैं खुश थी अपने आप से मिलकर,अब तो जो प्रतिबिम्ब शीशे में दीखता वो भी मुझे खास लगता ,उसकी नजरो से मैं खुद को देखने लगी थी।और सिर्फ तारीफे ही नहीं मेरे हौसले से भी मिलवाया था उसने मुझे।मेरे अंदर छुपे एक ऐसे व्यक्तित्व से मिलवाया था जो निडर था,साहसी था,और बुद्धिमान भी।उसने मुझे मेरे टैलेंट से रूबरू कराया था,मुझे मेरे पीछे छूटे सपनो को पूरा करने के लिए मेरा हाथ पकड़ कर आगे खींचा था।मेरे हर कमजोर पल को उसने मजबूत बनाने में मेरा साथ दिया,मुझे बताया की मैं एक आसान सी ,नार्मल जिंदगी जीने के लिए पैदा नहीं हुई हूँ,मेरा मकसद कुछ और है ।मैं किसी न किसी रूप में इस संसार में अपनी क्लव पहचान बनाने आई हूँ।उसी ने मेरे कब से टूटे हुए हौसले को जिन्दा कर दिया था।मेरे हुनर को उसी ने तो तराशा था।
कैसे कह दूं की वो कोई शक्श है,वो तो आत्मा है मेरी।जिसने मेरी गलतियों पर मुझे सजा दी,मेरी ममेहनत पर मुझे खूब सराहा,मेरे कमजोर पलो में मेरी हिम्मत बन कर मुझे चलाया।
मेरी सारी खट्टी,मीठी यादें जो उसने मुझे दी,अच्छे बुरे पल जो मुझे उस से मिले,वो मेरे लिए हमेशा खास रहेंगे।क्योंकि मैं आज अगर यहां तक पहुँच पाई हूँ तो उसी के कारण।
वो मेरे जीवन का ऐसा सुनहरा पन्ना है जो मेरे जीवन की किताब की जान है।किताब चाहे बंद हो जाये वो पन्ना हमेशा चमकता रहेगा।उस खास को एक खास धन्यवाद।
प्रीति राजपूत शर्मा
10 नवंबर 2016
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