"माय वाइफ इज़ माय लाइफ"

हमने कितने ही युवाओं के मुंह से ये शब्द सुने होंगे "माय वाइफ  इज़ माय लाइफ "।क्या आप सहमत हैं इस लाइन से।मुझे आज फिर अफ़सोस हुआ आज के युवाओं की इस सोच पर अगर वाइफ उनकी लाइफ है तो वो कौन हैं जिनकी लाइफ निकल गयी उनकी लाइफ बनाने में ,जिन्होंने उन्हें ये लाइफ दी है।मैं खुद एक लड़की हूँ बाकि लड़कियों की तरह मैंने भी अपने जीवन साथी को लेकर हज़ारो लाखों सपने लेकर ही ससुराल में कदम रखा था मैंने भी हमेशा उम्मीद की है की मेरा जीवनसाथी हर मुश्किल में मेरे साथ खड़ा रहे मगर इस शर्त पर बिलकुल नहीं की वो अपने ही माँ पापा के सामने ये एलान करे की मैं उनकी लाइफ हूँ ,हाँ ये सच है की पति पत्नी के हज़ारो जज़्बात जुड़े होते हैं मगर वो जज़्बात कहाँ और किसके सामने जाहिर हो ये सोचने का मुद्दा था।
खैर मुझे पता नहीं क्यों ये सब सुनकर अच्छा नहीं लगा था ।आखिर मैं भी तो मॉडर्न टाइम की लड़की हूँ फिर मुझे क्यों अफ़सोस हुआ जब मैंने ये स्टेटमेंट फेसबुक पर देखी।मुझे क्यों कभी ख़ुशी नहीं हुई जब किसी लड़के ने अपनी पत्नी के फ़ोटो पर माय लाइफ लिखा ।।।क्योंकि शायद मेरा दिल सहमत नहीं था इस बात से ।मेरे अंदर एक नाराजगी सी थी आज के युवाओं को लेकर,वाइफ को लाइफ बताते समय क्यों उन्हें उन माता पिता का ख्याल नहीं आता जिनकी लाइफ निकल गयी उनकी लाइफ बनाने में ।हाँ ये सच है कि अगर ये लाइन पढ़कर मुझे सिर्फ मेरा ख्याल आया होता तो एक पल के लिए मुझे भी अच्छा लगा होता ,मगर मेरे मन में ख्याल आया अपने माता पिता का जिन्होंने पूरा जीवन लगा दिया हमारी जिंदगी बनाने के लिए ।मैंने बचपन से अपने पापा को संघर्ष करते देखा था हमारी खुशिया बटोरने के लिए ।उन्हें अपने अरमानो का गला घोटते देखा था हमारी ख्वाहिशे पूरी करने के लिए ,तो कैसे मुझे ख़ुशी होती ये सोचकर की आज मेरा भाई उनके सामने अपनी वाइफ को लाइफ बता कर एलान करे की वो उनको तो भूल ही गया जिन्होंने अपनी लाइफ लगा दी उसकी लाइफ बनाने में ।फिर मैं कैसे खुश हो जाऊ अपने लिए ये शब्द सुनकर, मेरे पति को यहाँ तक लाने में उनके माता पिता ने भी तो अपने कितने सपने तोड़े होंगे।आज मैं गर्वित महसूस कर रही थी ,खुद पर नहीं खुद की परवरिश पर ,अपने माता पिता पर ,अपनी सोच पर जो उनके दिए संस्कारो की देन है।
मुझे याद है जब मेरी ही एक दोस्त ने मुझसे एक सवाल किया था कि अगर पुछा जाये कि पिता और पति में से बड़ा कौन तो तुम्हारा जवाब क्या होगा? हाँ ये सच है की एक पल के लिए मैं शुन्य थी ,मगर मुझे फैसला करने में ज्यादा समय नहीं लगा क्योंकि जिंदगी के इस पड़ाव तक आते आते मैं ये समझ चुकी थी कि कौन कितना महत्त्वपूर्ण है ,मेरा जवाब सटीक था की पिता और पति में कोई बड़ा छोटा नहीं ,दोनों का स्थान बराबर है ।अगर पिता ने जीवन देकर 23-25 साल हमारा पालन पोषण किया है तो पति भी पूरी जिंदगी अब हमारा पालन पोषण करेगा ।अगर आज तक पिता ने हमारी जरूरत पूरी की हैं, तो अब पूरी जिंदगी पति भी वो जरूरत पूरी करेगा ।अगर पिता ने ये जीवन दिया है तो पति इस जीवन को जीवन देगा।दोनों अतुलनीय हैं।अगर ऐसा न होता तो किसी ने ये ना कहा होता की लड़की को जिस लड़के में अपने पिता का एक भी गुण नजर आजाये समझो वो उसके लिए सही जीवन साथी है।और इस जगह ये मेरे लिए सही साबित हुआ मुझे गर्व है अपने जीवनसाथी के चयन पर।
हाँ ये भी सच है की जीवन साथी का स्थान जीवन में कम नहीं होता एक लड़की उसके पति की लाइफ हो सकती है मगर सिर्फ पत्नी लाइफ है इस से मैं सहमत नहीं थी ।।।सत्य है कि एक लड़की भी अपना सब कुछ पीछे छोड़ कर सिर्फ अपने पति के लिए इतने सारे रिश्ते अपनाती है ,उनको निभाती है अपनी पूरी जिंदगी देदेती है उस परिवार को जो कुछ समय पहले तक उस से अनजान था ।ये शक्ति सिर्फ एक लड़की को मिली की वो अपना घर परिवार ,यहाँ तक की अपनी पहचान ,अपना नाम तक छोड़ कर चली आती है ।मगर वहीं दूसरी तरफ एक माँ भी अपने दिल पर पत्थर रख कर अपने बेटे के सारे अधिकार सौंपती है उस लड़की के हाथ में जिसे वो जानती तक नहीं ,की वो उसके बेटे को सारी खुशिया दे पायेगी की नहीं।कितना बोझ हो जाता होगा उसके दिल पर जब बेटा अपनी सैलरी पत्नी के हाथ में देता होगा जो कुछ दिन पहले तक माँ के हाथ में देता था यहां बात पैसो की नहीं जज्बातों की है यहाँ बात अधिकारो की है ।
खैर ये तो विधि का विधान है की समय के साथ अधिकार और अधिकारी बदल जाते हैं और बदल भी जाने चाहिए मगर उनका तरीका सही हो तो सब सही लगता है।
बात तो बस इतनी सी थी की वाइफ अगर बंद कमरे के अंदर ही लाइफ रहे तो अच्छा है ।अगर ये शब्द तुम्हारे जीवन में खुशिया लाने का माध्यम बन रहे हैं तो बेशक बोलो ,की" माय वाइफ इज़ माय लाइफ" मगर उन रिश्तों के सामने कभी न बोलो जहाँ ये सुनकर कुछ दिल ये सोच कर टूट जाये की हमारे जीवन का संघर्ष व्यर्थ था ।क्योंकि ये बात वो माँ बाप खुद नहीं बोलेंगे मगर कभी पढ़कर देखना उनकी आँखे ,जो हर शब्द कह देंगी।
प्रीति राजपूत शर्मा
23 जुलाई 2016

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने