Absenc+Distence=value
आप सोच रहे होंगे की ये ब्लॉग लिखते लिखते मैं maths क्यों करने लगी।कहते हैं खूबसूरत लड़कियाँ maths में हमेशा weak होती है।😊😊😊😊😊 अब मैं क्या बोलू की मैं art student क्यों रही।चलिए छोड़िये मगर ये भी सच है दोस्तों की जो जिंदगी का गुना भाग ,जोड़ घटा सीख जाये वो जीना सीख जाता है ।और ये फार्मूला भी कुछ गलत नहीं है किसी की गैरमौजूदगी और फासले ही हमे उसकी एहमियत समझाते है ।
क्यों न हम अपने बचपन से शुरू करे ये पन्ने पलटना जो कदम कदम पर हमे बताएँगे की किस चीज़ के ,किस इंसान के दूर होने पर हमे एहसास हुआ की उसकी value क्या थी।
याद है आपको वो खिलौने जो बचपन में हम अपने ही भाई बहनो से ,मेरा मेरा कह कर बांट लिया करते थे ।और खेल खेल कर जब वो टूट गए तब समझ आया की हमारी खिलोनो की टोकरी उनके बिना कितनी खाली है।
स्कूल गए तो बहुत फ्रेंड्स बने और कुछ बने दुश्मन ।।।जिनमे वो teacher भी शामिल थे जो हमें पनिशमेंट देते थे मगर जब रिजल्ट आया तो first divison देख के उन टीचर्स की मार में छुपे प्यार की value समझ आई।जब सालों बाद यूं ही market में अपने कुछ दुश्मन class mates से सामना हुआ तो खुद ही कदम बढ़ गए उनकी तरफ ये बोलने के लिए की यार वो बचपन था sorry।तब समझ आया की उस लड़ाई की क्या वैल्यू थी।
और तो और जो टिफ़िन मम्मी सुबह अपनी नींद ख़राब करके बना के देती थी और हम उसे चील कुत्तो को खिला कर घर लौट आते थे उसकी value तब समझ आई जब college में पूरा पूरा दिन भूखे निकल जाता था ।
और उस स्कूल उस कॉलेज की वैल्यू तब समझ आई जब जॉब करनी शुरू की अब न winter vacation न summer vacation, अब समझ आई principal की जिम्मेदारी की value जब आज कुछ एक juniors को डील करना सर दर्द बन गया।
खैर बहुत लोगो को पीछे छोड़ना पड़ा इस जिंदगी की दौड़ में ।मगर कही न कही उनकी वैल्यू समझ आती है जो उसवक्त हमारे लिए नार्मल हुआ करते थे।
जब ससुराल आये तो माँ पापा का प्यार समझ आया ।मगर तब बस distence value समझ आई मगर जब शादी के कुछ ही दिन बाद हमेशा के लिए खो दिया पापा को, तब distence के साथ लाइफ में उनकी absence वैल्यू ने तोड़ कर रख दिया ।लगा जैसे सर के ऊपर छत ही नहीं रही।
ये छोटे छोटे value हमे तब समझ आये जब हमने अपने बड़े बड़े रिश्ते खोये।
कितने दोस्त मिले जिनके साथ बहुत अच्छा वक्त बिताया ।।जब वो दूर हुए तब समझ आया की उनकी अहमियत क्या थी ।
मेरे और मेरे दोस्त के बीच कुछ भी सही नहीं था आज कल,,कोशिश की कि ये दोस्ती जिस से परिवार जुड़े है टूट न जाये मगर reason कुछ भी हो फासले बढ़ने लगे थे ।मगर फासलों का एहसास तब हुआ जब पता लगा की कश्मीर के हालात बिगड़ गए है उसके फ़ोन कॉल्स messages का एहसास तब हुआ जब वहा ये सब सुविधाये बंद करदी गयी। distence के साथ जब absence का एहसास हुआ तब उसकी value निकल कर सामने आई बस अब इंतज़ार है की कब सब ठीक होगा वहा और कब मैं बात कर पाऊँगी फिर से लड़ाई जो करनी है मगर हाँ एक sorry तो बनता है यार।
खैर ये तो थे कुछ मेरे personal experience।मगर मुझे पता है इनमे से 60 फीसदी आप सबकी लाइफ से भी जुड़े होंगे ।ये distence+absence=value ने आप सबकी लाइफ में भी एक importent role play किया होगा तो बस समझ जाइये किसकी क्या वैल्यू है और अपनी लड़ाई अपनी ego को साइड रख कर कह दीजिये उसे की वो कितना खास है आपके लिए ,फिर चाहे वो भाई हो ,बहिन हो ,माँ पापा हो हस्बैंड हो friend हो या कोई भी बस बता दीजिये की उसकी वैल्यू क्या है ।यकीन मानिए बिखरते रिश्ते भी जुड़ जायेंगे। किसी के जाने के बाद value समझने से अच्छा है उसके रहते हम value समझ जाये।
Priti rajput sharma
22 जुलाई 2016
क्यों न हम अपने बचपन से शुरू करे ये पन्ने पलटना जो कदम कदम पर हमे बताएँगे की किस चीज़ के ,किस इंसान के दूर होने पर हमे एहसास हुआ की उसकी value क्या थी।
याद है आपको वो खिलौने जो बचपन में हम अपने ही भाई बहनो से ,मेरा मेरा कह कर बांट लिया करते थे ।और खेल खेल कर जब वो टूट गए तब समझ आया की हमारी खिलोनो की टोकरी उनके बिना कितनी खाली है।
स्कूल गए तो बहुत फ्रेंड्स बने और कुछ बने दुश्मन ।।।जिनमे वो teacher भी शामिल थे जो हमें पनिशमेंट देते थे मगर जब रिजल्ट आया तो first divison देख के उन टीचर्स की मार में छुपे प्यार की value समझ आई।जब सालों बाद यूं ही market में अपने कुछ दुश्मन class mates से सामना हुआ तो खुद ही कदम बढ़ गए उनकी तरफ ये बोलने के लिए की यार वो बचपन था sorry।तब समझ आया की उस लड़ाई की क्या वैल्यू थी।
और तो और जो टिफ़िन मम्मी सुबह अपनी नींद ख़राब करके बना के देती थी और हम उसे चील कुत्तो को खिला कर घर लौट आते थे उसकी value तब समझ आई जब college में पूरा पूरा दिन भूखे निकल जाता था ।
और उस स्कूल उस कॉलेज की वैल्यू तब समझ आई जब जॉब करनी शुरू की अब न winter vacation न summer vacation, अब समझ आई principal की जिम्मेदारी की value जब आज कुछ एक juniors को डील करना सर दर्द बन गया।
खैर बहुत लोगो को पीछे छोड़ना पड़ा इस जिंदगी की दौड़ में ।मगर कही न कही उनकी वैल्यू समझ आती है जो उसवक्त हमारे लिए नार्मल हुआ करते थे।
जब ससुराल आये तो माँ पापा का प्यार समझ आया ।मगर तब बस distence value समझ आई मगर जब शादी के कुछ ही दिन बाद हमेशा के लिए खो दिया पापा को, तब distence के साथ लाइफ में उनकी absence वैल्यू ने तोड़ कर रख दिया ।लगा जैसे सर के ऊपर छत ही नहीं रही।
ये छोटे छोटे value हमे तब समझ आये जब हमने अपने बड़े बड़े रिश्ते खोये।
कितने दोस्त मिले जिनके साथ बहुत अच्छा वक्त बिताया ।।जब वो दूर हुए तब समझ आया की उनकी अहमियत क्या थी ।
मेरे और मेरे दोस्त के बीच कुछ भी सही नहीं था आज कल,,कोशिश की कि ये दोस्ती जिस से परिवार जुड़े है टूट न जाये मगर reason कुछ भी हो फासले बढ़ने लगे थे ।मगर फासलों का एहसास तब हुआ जब पता लगा की कश्मीर के हालात बिगड़ गए है उसके फ़ोन कॉल्स messages का एहसास तब हुआ जब वहा ये सब सुविधाये बंद करदी गयी। distence के साथ जब absence का एहसास हुआ तब उसकी value निकल कर सामने आई बस अब इंतज़ार है की कब सब ठीक होगा वहा और कब मैं बात कर पाऊँगी फिर से लड़ाई जो करनी है मगर हाँ एक sorry तो बनता है यार।
खैर ये तो थे कुछ मेरे personal experience।मगर मुझे पता है इनमे से 60 फीसदी आप सबकी लाइफ से भी जुड़े होंगे ।ये distence+absence=value ने आप सबकी लाइफ में भी एक importent role play किया होगा तो बस समझ जाइये किसकी क्या वैल्यू है और अपनी लड़ाई अपनी ego को साइड रख कर कह दीजिये उसे की वो कितना खास है आपके लिए ,फिर चाहे वो भाई हो ,बहिन हो ,माँ पापा हो हस्बैंड हो friend हो या कोई भी बस बता दीजिये की उसकी वैल्यू क्या है ।यकीन मानिए बिखरते रिश्ते भी जुड़ जायेंगे। किसी के जाने के बाद value समझने से अच्छा है उसके रहते हम value समझ जाये।
Priti rajput sharma
22 जुलाई 2016
Realy Preeti..... Tis is ryt saying.....kb kuch Kitna change ho jata h bs Pta nhi chlta bt insan apni hi ego m rhta h yr....
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