Move करना आज जरूरी नहीं जरुरत था।

आज मै पूरी तरह तैयार थी आगे निकल जाने के लिए ।।।जिंदगी हर दिन बदल रही थी बस नहीं बदला था तो वो एहसास जो कभी कभी जीना मुश्किल कर रहा था ।समझ नहीं आरहा था की आखिर ये जिंदगी चाहती क्या है ।कभी लगता की सब कुछ मेरे हक़ में है और कभी कभी अपनी परछाई भी अपने खिलाफ खड़ी नजर आती ।
मैं शायद हारने लगी थी ।हर रोज जब सवेरा होता मुझ लगता आज का दिन कुछ नया होगा ।।।कोई नयी ख़ुशी लेकर आउंगी मैं खुद अपनी जिंदगी में मगर जैसे जैसे शाम होती मन बोझिल सा होने लगता ।कुछ छुट सा रहा था ।
कहने को सब कुछ था मेरे पास मगर फिर भी एक खली पैन सा था जीवन में ।और लग रहा थ हर कोई उस खाली पन का ही फायदा उठा रहा था ।लोग मुखोटा सा लगा कर घूम रहे थे आस पास समझ ही नहीं आरहा था की कौन अपना कौन पराया।
कभी कभी हम खुद को कितना असहाय महसूस करते है ।मन करता है सब मोह माया छोड़ कर कही चले जाये ऐसी जगह जहाँ ना कोई जरुरत हो न कोई जरुरी हो ।मगर फिर पीछे मुड़ कर देखते है तो कुछ अपने खड़े नजर आते हैं कुछ जिम्मेदारिया नजर आती है कुछ फ़र्ज़ नजर आते है।
कहने को सब यही कहते हैं की हम साथ क्या लाये थे और क्या लेकर जायेंगे ।मगर कोई समझाये मुझे की क्या लेकर नहीं आये थे हम और क्या लेकर नहीं जायेंगे ।।।हाँ जाने का कहे तो ये सच है की हम कुछ लेकर नहीं जाते मगर जरा ध्यान से देखो की हम क्या लेकर नहीं आये सब कुछ तो लेकर आते है ।
जब एक बच्चा दुनिया में आता है उसकी मुट्ठी में हज़ारो वेड5 बंद होते है ।वो अपने साथ हज़ारो रिश्ते लेकर आता है ।कोई उसकी माँ होती है कोई बाप कोई भाई कोई बहिन ,मामा नाना चाचा ताऊ ।।कौन नहीं होता ।और तो और हज़ारो जिम्मेदारी लेकर आता ह वो ।।।जन्म हुआ नहीं की लोगो के मुह से एक ही बात निकलती है चलो अपने बाप का बुढ़ापे का सहारा आगया और वो सहारा बनने के लिए उसे बचपन से जिम्मेदारी सिखाई जाती है।
वो अपना हिस्सा अपना प्रोपर्टी सब लेकर आता ह उसके आते ही तय होजाता है की इसके नाम क्या है ।हाँ मगर जब इंसान जाता है तो सारे रिश्ते सारे काम ।सारे कपडे सारे वादे सब कुछ यही छोड़ कर जाता है यहां तक की जिसे अपना अपना कहते पूरी जिंदगी निकल जाती है वो सबकुछ यही रह जाता है
खैर आज मुझे खुद ये समझ नहीं आरहा था की आखिर अपन कौन है वो जो खुद को हमारा बताता है या वो जो हमारे साथ रहता है ।आज मुझे फिर एक सच से रूबरू होना पड़ा जो एक ऐसा सच है जिसको accept करने से मैं हमेशा से भागती रही हूँ ।मगर आज फिर वो सच मैंने उसी शक्श के मुह से सुना जो मुझे मेरा अपना कहता है ।अगर वाकई वो मेरा अपना ही तो क्यों कोई मौके नहीं छोड़ता मेरे जख्मो को कुरेदने का जो उसके खुद के दिए हुए हैं ।
आज मेरा मन किया की उसे उसी की सचाई से वाकिफ कराऊँ मगर फिर लगा की क्यों।
खैर जो भी है एक बात समझ आई की जो अपने होते हैं वही अपने होते हैं जो अपने बनते हैं वो सिर्फ अपने बनते हैं ।।।खून खून के लिए ज़ोर मारता है ये सच साबित हुआ ।
सच तो ये है अपनों के साथ जियो अपनों के लिए जियो ।अपनापन दिखाने वालो के लिए तुम जो मर्जी कर लो वक्त आने पर वो अपनों को ही चुनेंगे ये मैं पहले भी कई बार अनुभव कर चुकी थी मगर आज सब साफ़ था लोग अपनी जरुरतो के हिसाब से बदलते है ।और अपनी कुछ उपलब्धियों का ताना देकर कुछ को बड़ा सुरक्षित और अलग महसूस करते हैं
चलो जो भी है मैं  तो यही कहूँगी की हमारी हर गलती और हमारी हर एक हार हमें कुछ न कुछ सीखा कर जाती है।जो जोकुछ दे उसे प्यार से लेलो चाहे वो दुःख हो या खुशियाँ।

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने