मिसेज उत्तराखंड 2019
28 अगस्त 2018 मेरे जीवन का महत्त्वपूर्ण दिन और मेरी उपलब्धि का सबसे बड़ा दिन।शाम के यही कोई 6.30 बजे होंगे ।जब मेरे हाथ मे वो सुनहरे रंग की ट्रॉफी दी गयी थी,नकली ही सही मगर चमकते हुए डिमांड का वो ताज मेरे सर पर सजाया गया।ये सब मेरे ही साथ हो रहा था ये मैं खुद एहसास नही कर पा रही थी।खुशी से शून्य तो मैं तभी हो गयी थी जब एंकर ने मेरा नाम बोला था "And the winner is Mrs Priti Rajput Sharma".कुछ पल तो लगा जैसे ये मेरी ही कल्पना मात्र है।मगर जब तालियों की बजती आवाज कानो में पड़ी तो जैसे स्वप्न से जागी मैं।सबकी नजरें मुझे देख रही थी।पूरा हाल तालियों से गूंज रहा था।मेरे पास खड़ी जूरी मुझे बधाई दे रही थी।सोनी चेनल की स्टार करिश्मा रावत ने मेरे हाथ मे एक गिफ्ट थमाते हुए मुझे बधाई दी।पास खड़ी एक जज ने मेरे सर वो ताज रख दिया।और दूसरे ने मुझे वो सूंदर ट्रॉफी दी।मैं जैसे उड़ रही थी।।सपनो में।मेरी नजरे तो बस मेरे हमसफर को तलाश रही थी जो उसी भीड़ में पिछे खड़े मुस्कुरा रहे थे।हाँ पीछे खड़े।।।नीवं की ईंट दिखती कहाँ है।बाकी चमकती ईंट के नीचे छुप जो जाती हैं।फिर मैंने अपने परिवार को देखा जो गर्व से सीना ताने खड़े थे।सास ससुर ननद।मेरी आँखें सबको धन्यवाद कह रही थी क्योंकि उनके साथ मे बिना कहाँ ये सम्भव था।बस एक कमी सी उभर आई थी मेरे चेहरे पर काश इस वक्त मेरा दूसरा परिवार भी मेरे साथ होता।मेरी माँ पापा भाई भाभी जीजी जीजा सब।मगर मैं खुश थी बहुत खुश आज मेरी मेहनत ने रंग लाया था।बधाई के ताते लग गए थे।लोग अपनी जगह से उठ कर मेरे साथ एक फोटो खींचने का आग्रह ले कर आ रहे थे।सच मे ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई जानी मानी फ़िल्म स्टार हूँ।मेरा दिल किया कि माइक लेकर बता दूं सबको की इस मुकाम पर पहुंचने के लिए कितना संघर्ष किया।मॉडलिंग मेरा कोई ड्रीम कैरियर पैशन नही था।बस मैं खुद को कुछ नजरो में साबित करना चाहती थी।इस दुनिया से तो दूर दूर तक नाता नही था मेरा मगर जज्बा था कि मुझे बस करना है।हर जीत सब पहले से तय थी मेरे मन मे।मैं तैयार थी हर फैसले के लिए मगर मेरा दिल कहता था कि मेरी मेहनत का फल बहुत मीठा होगा।20 दिन की ट्रेनिंग मिली थी हम सबको इस शो में परफॉर्म करने के लिए। JS Event management. हाँ यही नाम है उसका जिसने मेरे जीवन की किताब में ये सुनहरा पन्ना जोड़ा।जतिन और शुभम ये दो नाम जिन्होंने मेरे जीवन में इस उपलब्धि को जोड़ा।मैं दिल से धन्यवाद करती हूं शुभम का जिन्होंने एक गुरु बनकर मुझे हर वो चीज़ सिखाई जो जीतने के लिए जरूरी थी।
मैं सबको बताना चाहती थी कि ये 20 दिन मेरे लिए 20 महीने थे।जब हर रोज मैं अपने 10 महीने के बच्चे को छोड़ कर प्रैक्टिस पर जाती थी।पहली बार उसको 2 या 3 घंटे के लिए छोड़ा।हर रोज दिल भर आता जब वो मुझे जाते देखता और मेरी तरफ हाथ बढ़ा कर रो देता।मैं उसे बहाने से उसके दादा दादी या पापा के पास छोड़ कर उसकी आँखों से छुप जाती।मगर वो मुझे याद करके हर रोज रोता।वापस आती तो बिलख बिलख कर शिकायत करके रोता।मेरी आत्मा उस वक्त मुझे झकझोर देती।
एक पल लगता कि बस अब कल से नही जाउंगी।मुझे नही करना कोई शो।मगर फिर अपने बच्चे के लिए सोचती की कल ये शान से कहेगा कि इसकी माँ मिसेज उत्तराखंड बनी मुझे यकीन था कि ये ताउम्र तोहफा मैं उसे जरूर दूंगी और फिर ध्यान आता कि संघर्ष मैं अकेली कहाँ कर रही हूँ।मेरा बच्चा मुझसे ज्यादा कर रहा है,वो रोता है तड़पता है मुझे याद करता है मेरा इंतेज़ार करता है।और मेरे पति जो मेरी अनुपस्थिति में आधा समय उसको सम्भालते है। आर्थिक तंगी से गुजरते वक्त में भी मुझे बोला जाओ तुम अपने सपने पूरे करो फीस का इंतज़ाम मैं कर दूंगा।फिर कैसे उनके इस विश्वास को नजर अंदाज कर देती।मेरे सास ससुर जो रोज मेरे बेटे की आधा समय देख रेख करते कैसे उनकी मेहनत पर पानी फेकती।और फिर देखती मैं खुद को क्या आगे बढ़ कर पीछे लौट जाना मेरा व्यक्तित्व कभी रहा।हमेशा आगे बढ़ना सीखा फिर आज बीच रास्ते से कैसे लौट जाती।अब मैने मन बना लिया था कि अब बस जीतना है।साबित करना खुद को की मैं खोई नही अभी बाकी हूँ।सबके लिए हर पल जीती हुं मगर अपने सपनो को जीने का जज्बा आज भी है मुझमे।और बस निकल पड़ी इस राह पर।मैने कई बार सोचा की यही से चीख चीख कर कहूँ की लो मानव जीत गयी तुम्हारी प्रीति।
मगर मैं ऐसा नही कर पाई बस शुभम से एक रिक्वेस्ट की मैने की मैं स्टेज पर अपने परिवार को बुलाना चाहती हूं।सास ससुर थोड़ा झिझक रहे थे वहां आने से मगर ये तो मैंने पहले से ही सोच लिया था कि अपनी जीत के बाद अपने सास ससुर यानी अपने धर्म माता पिता को स्टेज पर बुलाकर उनको वो सम्मान जरूर दूंगी जो उनका हक है।जो बच्चे अपने माता पिता को देना चाहते हैं मैं उनके चेहरे और वो गर्व के चिह्न देखना चाहती थी जो अपने बच्चो की सफलता पर हर माता पिता के चेहरे पर होते हैं।
मैं अपने जीवन साथी को वहां बुलाकर धन्यवाद कहना चाहती थी कि विपरीत परिस्तिथि के चल ते भी उन्होंने मेरा साथ दिया।
कुछ ही देर बाद वो सब मेरे पास खड़े थे।और मैं खुद को खुशनसीब महसूस कर रही थी।करीब 7 बज गए थे जब हम सबने जाने के लिए अपना सामान तैयार किया।उस दिन बहुत तेज़ बारिश थी।शायद भगवान भी खुश थे मेरी इस उपलब्धि पर।मगर जाते जाते भी लोग रोक रोक कर मेरे साथ सेल्फी ले रहै थे बड़ा अजीब लग रहा था मुझे।मगर बहुत सुखद एहसास था ये सफलता का। आज का दिन मेरे लिए वो पहला ऐसा दिन था जब मैं अपने बच्चें से इतने घंटे दूर थी।सुबह 8 बजे निकल गयी थी घर से ।और शो 3 बजे शुरू हुआ।मैने अपने हस्बैंड को बोल दिया था कि वो 12 बजे तक वहां पहुंच जाए ताकि मैं कुछ समय अपने बेटे वेदान्त के साथ बिता पाऊँ उसे दूध पिला पाऊं।मगर 1.30 बज गया था वो अभी तक नही आये थे।इधर हम सबको तैयार किया जा रहा था।मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।मैं बस किसी भी तरह वेदान्त से मिलना चाहती थी।एक बार को दिल लिया कि भाग जाऊं सब शो एक तरफ छोड़ कर।मगर कुछ देर बाद मुझे बेदान्त देखा मैं दौड़ कर उसके पास गई।वो रो रहा था बस अब मेरी हिम्मत जवाब दे गई थी मेरी आँखों में आंसू उमड़ आये थे।अपने छोटे से बच्चे को ऐसे तड़पते देख दिल भर आया था मैं उसे लेकर बाथरूम की तरफ दौड़ी थी वही जमीन पर बैठ कर मैने उसको दूध पिलाया था।वो सुबक रहा था।दिल ही नही कर रहा था कि मैं उसे फिर से खुद से दूर करूँ मगर मेरा शो शुरू होने को था ।शो के बीच में फिर से मैने उसे पीछे चेंजिंग रूम में बूला कर थोड़ा वक्त उसके साथ बिताया ।दिल तड़फ उठा था मेरा मगर अब मैं कमजोर नही पड रही थी बल्कि अब ये दर्द मुझे और हिम्मत दे रहा था था।मैं बस अब जीत जाना चाहती थी।
फ्री होते ही सबसे पहले मैंने अपनी माँ को ये खुश खबरी दी थी। उन्होंने बड़े गर्व से कहा था।"मुझे यकीन था कि मेरी बेटी ही जीतेगी।मुझे गर्व है तुझ पर बेटा ,जब से हमारे जीवन मे आई है हमेशा हमारा नाम ही रोशन किया है तूने।मैं बहुत खुश हूं।" बस ये शब्द काफी थे पूरे दिन की थकान मिटाने के लिए।
मैंने अपने नन्हे वेदान्त को ख़ुद से चिपक लिया था और बस ढेर सारी अच्छी याद और अनुभव लेकर मैं लौट आयी अपने घर। अब मैं सिर्फ प्रीति नही मिसेज उत्तराखंड 2018 भी थी। और ये मेरे लिए गर्व की बात है।
मैं सबको बताना चाहती थी कि ये 20 दिन मेरे लिए 20 महीने थे।जब हर रोज मैं अपने 10 महीने के बच्चे को छोड़ कर प्रैक्टिस पर जाती थी।पहली बार उसको 2 या 3 घंटे के लिए छोड़ा।हर रोज दिल भर आता जब वो मुझे जाते देखता और मेरी तरफ हाथ बढ़ा कर रो देता।मैं उसे बहाने से उसके दादा दादी या पापा के पास छोड़ कर उसकी आँखों से छुप जाती।मगर वो मुझे याद करके हर रोज रोता।वापस आती तो बिलख बिलख कर शिकायत करके रोता।मेरी आत्मा उस वक्त मुझे झकझोर देती।
एक पल लगता कि बस अब कल से नही जाउंगी।मुझे नही करना कोई शो।मगर फिर अपने बच्चे के लिए सोचती की कल ये शान से कहेगा कि इसकी माँ मिसेज उत्तराखंड बनी मुझे यकीन था कि ये ताउम्र तोहफा मैं उसे जरूर दूंगी और फिर ध्यान आता कि संघर्ष मैं अकेली कहाँ कर रही हूँ।मेरा बच्चा मुझसे ज्यादा कर रहा है,वो रोता है तड़पता है मुझे याद करता है मेरा इंतेज़ार करता है।और मेरे पति जो मेरी अनुपस्थिति में आधा समय उसको सम्भालते है। आर्थिक तंगी से गुजरते वक्त में भी मुझे बोला जाओ तुम अपने सपने पूरे करो फीस का इंतज़ाम मैं कर दूंगा।फिर कैसे उनके इस विश्वास को नजर अंदाज कर देती।मेरे सास ससुर जो रोज मेरे बेटे की आधा समय देख रेख करते कैसे उनकी मेहनत पर पानी फेकती।और फिर देखती मैं खुद को क्या आगे बढ़ कर पीछे लौट जाना मेरा व्यक्तित्व कभी रहा।हमेशा आगे बढ़ना सीखा फिर आज बीच रास्ते से कैसे लौट जाती।अब मैने मन बना लिया था कि अब बस जीतना है।साबित करना खुद को की मैं खोई नही अभी बाकी हूँ।सबके लिए हर पल जीती हुं मगर अपने सपनो को जीने का जज्बा आज भी है मुझमे।और बस निकल पड़ी इस राह पर।मैने कई बार सोचा की यही से चीख चीख कर कहूँ की लो मानव जीत गयी तुम्हारी प्रीति।
मगर मैं ऐसा नही कर पाई बस शुभम से एक रिक्वेस्ट की मैने की मैं स्टेज पर अपने परिवार को बुलाना चाहती हूं।सास ससुर थोड़ा झिझक रहे थे वहां आने से मगर ये तो मैंने पहले से ही सोच लिया था कि अपनी जीत के बाद अपने सास ससुर यानी अपने धर्म माता पिता को स्टेज पर बुलाकर उनको वो सम्मान जरूर दूंगी जो उनका हक है।जो बच्चे अपने माता पिता को देना चाहते हैं मैं उनके चेहरे और वो गर्व के चिह्न देखना चाहती थी जो अपने बच्चो की सफलता पर हर माता पिता के चेहरे पर होते हैं।
मैं अपने जीवन साथी को वहां बुलाकर धन्यवाद कहना चाहती थी कि विपरीत परिस्तिथि के चल ते भी उन्होंने मेरा साथ दिया।
कुछ ही देर बाद वो सब मेरे पास खड़े थे।और मैं खुद को खुशनसीब महसूस कर रही थी।करीब 7 बज गए थे जब हम सबने जाने के लिए अपना सामान तैयार किया।उस दिन बहुत तेज़ बारिश थी।शायद भगवान भी खुश थे मेरी इस उपलब्धि पर।मगर जाते जाते भी लोग रोक रोक कर मेरे साथ सेल्फी ले रहै थे बड़ा अजीब लग रहा था मुझे।मगर बहुत सुखद एहसास था ये सफलता का। आज का दिन मेरे लिए वो पहला ऐसा दिन था जब मैं अपने बच्चें से इतने घंटे दूर थी।सुबह 8 बजे निकल गयी थी घर से ।और शो 3 बजे शुरू हुआ।मैने अपने हस्बैंड को बोल दिया था कि वो 12 बजे तक वहां पहुंच जाए ताकि मैं कुछ समय अपने बेटे वेदान्त के साथ बिता पाऊँ उसे दूध पिला पाऊं।मगर 1.30 बज गया था वो अभी तक नही आये थे।इधर हम सबको तैयार किया जा रहा था।मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।मैं बस किसी भी तरह वेदान्त से मिलना चाहती थी।एक बार को दिल लिया कि भाग जाऊं सब शो एक तरफ छोड़ कर।मगर कुछ देर बाद मुझे बेदान्त देखा मैं दौड़ कर उसके पास गई।वो रो रहा था बस अब मेरी हिम्मत जवाब दे गई थी मेरी आँखों में आंसू उमड़ आये थे।अपने छोटे से बच्चे को ऐसे तड़पते देख दिल भर आया था मैं उसे लेकर बाथरूम की तरफ दौड़ी थी वही जमीन पर बैठ कर मैने उसको दूध पिलाया था।वो सुबक रहा था।दिल ही नही कर रहा था कि मैं उसे फिर से खुद से दूर करूँ मगर मेरा शो शुरू होने को था ।शो के बीच में फिर से मैने उसे पीछे चेंजिंग रूम में बूला कर थोड़ा वक्त उसके साथ बिताया ।दिल तड़फ उठा था मेरा मगर अब मैं कमजोर नही पड रही थी बल्कि अब ये दर्द मुझे और हिम्मत दे रहा था था।मैं बस अब जीत जाना चाहती थी।
फ्री होते ही सबसे पहले मैंने अपनी माँ को ये खुश खबरी दी थी। उन्होंने बड़े गर्व से कहा था।"मुझे यकीन था कि मेरी बेटी ही जीतेगी।मुझे गर्व है तुझ पर बेटा ,जब से हमारे जीवन मे आई है हमेशा हमारा नाम ही रोशन किया है तूने।मैं बहुत खुश हूं।" बस ये शब्द काफी थे पूरे दिन की थकान मिटाने के लिए।
मैंने अपने नन्हे वेदान्त को ख़ुद से चिपक लिया था और बस ढेर सारी अच्छी याद और अनुभव लेकर मैं लौट आयी अपने घर। अब मैं सिर्फ प्रीति नही मिसेज उत्तराखंड 2018 भी थी। और ये मेरे लिए गर्व की बात है।
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