एन ओपन लेटर टू माय सन "वेदान्त' 1

आज तुम एक महीने के पूरे हो गए हो।पता ही नही लगा कब ये दिन बीते।तुम्हारे जीवन मे आजाने का एहसास बहुत बड़ा जो है।इस से एक महीना पहले तुम्हारे आने की तैयारियां हो रही थी।और आज एक महीना पूरा होने की खुशियां मनाई जा रही हैं।तुम्हारा नामकरण भी हो चुका और सबकी सहमति से तुम्हे एक बड़ा ही अर्थपूर्ण नाम दिया गया है "वेदान्त"।जो वेदों का राजा कहा जाता है।यूँ तो बहुत से नाम हैं तुम्हारे।"लड्डू" ये वो शब्द है जो तुम्हे देखकर सबसे पहले मेरे मुंह से निकला था।तुम्हे इसी नाम से पुकारा था मैंने।फिर तुम सबके प्यारे लड्डू बन गए।
तुम्हे पता है,तुम्हारे आने से पहले ही मैने तुम्हारा नाम सोच लिया था"शिवोम" मगर इस नाम को सबकी सहमति ना मिल सकी।मगर अकेले में मैं आज भी तुम्हे इसी नाम से संबोधित करती हूँ।खैर वेदान्त भी तुम्हारी माँ का ही सुझाव है।जूस दिन तुम आये इस दुनिया मे मैं अपने होश में नही थी,बस उड़ती सी नजरो से मैने तुम्हे देखा था।तीन या चार बार देखा मगर फिर भी तुम्हे पहचान नही पाई  कि तुम्हारी आंखे,नाक ,होंठ,चेहरा किसके जैसा दिखता है।क्योंकि मैं पूरी तरह होश में नही थी।मगर सब बातें कर रहे थे कि तुम बिल्कुल अपने दादाजी जैसे दिखते हो।सबके चेहरे की खुशी बता रही थी कि तुमने सबकी जिंदगी को नए रंग से भर दिया है।तुम्हारे बारे में जानने के लिए सबके फोन आरहे थे।सब इंतेज़ार जो कर रहे थे तुम्हारा।23 नवंबर को पहली बार तुमने अपने घर मे कदम रखा।तुम्हारा बड़े ही धूम धाम से स्वागत किया गया बलाए उतारी गई।तुम तो बिल्कुल अनजान थे इन सब से।22 नवंबर को तुमने मुझे दुनिया का सबसे सुखद एहसास दिलाया।जब मैंने तुम्हें अपनी गोद मे उठाया था 21 नवंबर को वो तो जन्नत की सैर से कम एहसास ना था मगर 22 नवंबर को जब अपनी गोद मे उठाकर मैने तुम्हे दूध पिलाया उसकी तुलना इस संसार मे किसी भी सुख से नही है।हम दोनों उस अनुभव के लिए नए थे।तुम्हे दूध पिलाया तो एहसास हुआ कि सही मायनों में आज मैं पूरी हुई।तुम्हारी कमी ने 5 साल मुझे अधूरा रखा।मगर अब मैं पूरी हो गयी हूँ।जब भी तुम्हे देखती हूं पिछले पांच साल का दुख,तपस्या ,इंतज़ार सब भूल जाती हूँ तुम्हे हर मंदिर,हर मज़्ज़िद,हर चर्च,और हर गुरद्वारे में मांगा।व्रत रखें,पूजा पाठ,दान धर्म किये फिर 5 साल बाद अब तुम आये एक फरिश्ता बन कर।
अब तुम हर दिन बड़े हो रहे हो।तुम्हारे दादाजी पूरा दिन तुम में ही व्यस्त रहते है।।तुम में खुद को जो तलाशते हैं वो।तुम्हारे पापा तो उनकी मूल राशि है मगर तुम उनका ब्याज हो।।।सब कहते हैं ब्याज ज्यादा प्यारा होता है।हैं दादी और बुआ काम मे व्यस्त रहती हैं मगर समय समय पर आकर तुम्हारे साथ खेलती हैं।
क्या तुम जानते हो सब कहते हैं तुम हमारे लिए लकी हो।आने से पहले ही बहुत सी खुशिया परिवार में ले आये।।जिस दिन आये अपने चाचा को बुला लिया जो दिल्ली में रहते थे।।।अब यही रहेंगे।।और तो और उसी दिन तुम्हारे मामा का रिश्ता पक्का हुआ।।।मामी नया  रिश्ता साथ लेकर आये।
अब सब उतावले है तुम्हे गोद मे उठाने को।बड़े मौसाजी और मामा आये थे मिलने मगर बाकी सब इंतेज़ार कर रहे हैं कि कब तुम्हे देखेंगे।आज तुम एक महीने के हुए।तुम्हारे चाचाजी केक लेकर आये और तुमने नानी की दी ड्रेस पहन कर केक काटा।ये सब सिर्फ तुम पढ़ पाओगे क्योंकि अभी तो अनजान हो इतने छोटे से जो हो।अब तुम दादा दादी के रूम से मम्मी पापा के रूम में शिफ्ट हो गए हो।ये वही रूम है जहाँ पिछले 9 महीनों से तुम मेरे साथ रहते थे।जो अब तुम्हारा भी है।हमारे बेड के बीच मे तुमने अपनी जगह बनाई है।जहाँ हर रोज मैं तुम्हारा बिस्तर सजाती हूँ।सब कहते हैं पालना ले आओ।मगर क्यों।।।।इतनी सारी गोद है घर मे तुम्हे उठाने को फिर झूले की क्या जरूरत।इतने इंतज़ार के बाद तुम आये झूले में अकेले कैसे रहने दे तुम्हे।तुम हर रोज आधीरात अपने पापा से चिपक कर सोते हो।और माँ पापा की गोद मे मैं तुम्हारे चेहरे पर सुरक्षित महसूस करने के भाव पढ़ती हूँ।और तुम्हे देख कर मन ही मन खुश हूं कि आज तुमने एक महीना पूरा किया।
खुश रहो।

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने