पुरानी औरते क्या करती थी
एक दिन कोई कह रहा था, पुराने समय की औरतों को काम ही क्या था उनके दिनचर्या को व्यर्थ बता रहा था, कह रहा था ,बच्चे पैदा करना ,और घर मे चूल्हा चौका करना बस इतना ही काम गिनवा रहा था, काम था ही क्या ,बच्चे खुद खाते थे,खुद नहाते थे,खुद ही दौड़ स्कूल पहुच जाते थे पूरा दिन वो औरते आराम करती थी बच्चों को पढ़ाने के नाम पर अपना काम करती थी। 4, 5 बच्चे थे ,सब काम करते थे , माँ कुछ करे न करे वो जीवन यापन करते थे, ना रोज़ पोछा लगता था,ना रोज कपड़े धुलते थे उनके पति कोनसा आफिस में काम करते थे। ना राशन की चिंता,न बाजार का काम न खुद को मेन्टेन रखने का खुमार ना बच्चो को सजा धजा कर रखती थी पुराने समय की औरते काम ही क्या करती थी। न सुबह जल्दी उठकर बच्चो का टिफिन लगाना न पति के आफिस जाने तक काम निपटाना न खुद सज धज कर रहती न आफिस जाती थी पुराने समय की औरते काम ही क्या करती थी। किसे कहते है ,कंधे से कंधा लगा कर पति का हाथ बटाना किसे कहते है फ्यूचर सेविंग ओर फ्यूचर प्लानिंग करना किसे कहते हैं बेटी के नाम बचपन से fd करना ओर किसे कहते हैं बेटो की विदेश की पढ़ाई के लिए धन जुटाना वो तो साथ बैठ च...