कच्ची सहेली
उस दिन हवा में एक सूनापन था जब मेरी पक्की सहेली ने मुझसे दोस्ती तोड़ी थी,उस दिन टूट सी गयी थी उसके इस अचानक के वार से,बिना कुछ कहे बिना शिकायत किये,बिना वजह बताये ,बिना मुझे बताये ये रिश्ता ख़त्म कर दिया था उसने। जुलाई 2003 की बात थी जब मैं अपने पापा और मामा जी जी की बेटी जो मेरी अच्छी दोस्त थी, के साथ हरिद्वार बुआ जी के घर जाने के लिए बस स्टॉप पर खड़ी थी ,10 वीं में first division से पास होने के बाद रिश्तेदारियों में घूमने का मजा ही कुछ और होता है जब आपके माता पिता आपकी मेहनत का बखान करते है और रिश्तेदार आपकी सराहना करते है ,मैं भी बहुत खुश थी की बस जल्दी से हम हरिद्वार पहुंचे और अपनी 10वीं के फर्स्ट डिवीज़न पर थोडा और तारीफ सुन पाऊँ अपने पापा के मुह से।हम बिजनोर से हरिद्वार जाने वाली रोडवेज बस का इंतज़ार कर रहे थे की तभी हमारे गांव के एक आदमी ने पापा से पूछ लिया " पता नहीं भाई इतनी समझदार लड़की ने इस कदम कैसे उठा लिया।ऐसी उम्मीद नहीं थी आनंद की लड़की से।"पापा और मेरी आँखे प्रश्नसूचक होकर उनपर टिक गयी थी।आनंद की लड़की सुनते ही उनकी तीनो बेटियो का चेहरा मेरे आँखों के सामने ...