संदेश

मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दम तोड़ती मार्कशीट

 सिर्फ सजीव चीजे ही दम नही तोड़ती ,कभी कभी वो चीजे भी दम तोड़ती हहैं जिन्हें हम निर्जीव समझते है। जैसे मार्कशीट। क्या वाकई निर्जीव होते है कागज के वो टुकड़े जो हर पिता की आधी कमाई खा कर मिलती हैं । बच्चो की नींदे खाती हैं,बच्चो ही नही उनके मा बाप का खून पसीना पी कर मिलती हैं,फिर निर्जीव कैसे। और जब वही मार्कशीट बक्से में सालों बन्द रहकर दम तोड़ती हैं तो एक सगे सम्बन्धी की मृत्यु पर होने वाली पीड़ा से कम पीड़ा नही देती। और वो हर लड़की इस बात की गवाह है ,जो हर रोज उन कागज के पन्नो को बेजान होता देखती हैं। जिनमे लिखे अंकों को देख कर कभी वो पूरे स्कूल का नाम रोशन कर के आयी थी। उन मार्कशीट को बटोरते तो कब एक दहलीज पार कर दूसरी दहलीज़ लांघ जाती हैं हम लडकिया।इस उम्मीद से की ये पन्ने जिन्हें पाने के लिए पापा की आधी कमाई चली गयी उनको सिंजो कर रखेंगे ,और ये ऐसे ही बढ़ती रहेंगी।अब पिता नही पति की हिस्सेदारी से। समय निकलता जाता है ,घर की जिम्मेदारियां,रस्मो रिवाज और सबका दिल जीतने में साल निकलने लगते हैं।इस उम्मीद में हम रहते है कि किसी दिन फिर आगे की पढ़ाई करने के लिए ये बक्सा खुलेगा ,और जब सब हमारी य...

तुझे खोने का डर है सनम

 अपनी अच्छाइयों को नज़रअंदाज़ कर  मैं अपनी कमियां गिन रही हूँ। तुझे खोने का डर है शायद  कि मैं जरूरत से ज्यादा झुक रही हूँ। मेरी मोहब्बत भी कुछ कम नही तेरे लिए , मैं भी पल पल तेरे सज़दे कर रही हूँ। तू मांगता होगा दुआओं में मुझे, पता नही मग़र मैं भी तुझे पाने की कम कोशिशें नही कर रही हूँ। तुझे खोने का डर है शायद  की मैं जरूरत से ज्यादा झुक रही हूँ। चल मान  लिया प्यार तू भी करता है मुझसे चल मान लिया तो भी दीवाना है मेरा  मग़र मेरी मोहब्बत तो परवान चढ़ बैठी अब  तू नफरत करे वो भी मेरी ,तू इश्क करे वो भी मेरा। तेरी गलतियो को भी नज़रअंदाज़ कर रही हूँ। तुझे खोने का डर है शायद  की मैं जरूरत से ज्यादा झुक रही हूँ। मेरा अपना ज़मीर, मेरा रुतबा था कभी मेरी अपनी शर्ते ,मेरा एक कायदा था कभी । जब से तू आया ज़िन्दगी में मेरी ,। "प्रीति" भी तेरी और मेरा ज़र्रे दिल भी तेरा। सबभूल कर अब तेरा ििइंतेज़ार कर रही हूँ। तुझे खोने का डर है शायद  की मैं जरूरत से ज्यादा झुक रही हूँ। मेरी न सही मेरे वक्त की कद्र कर सनम इस वक्त के न जाने कितने कद्रदान थे। लोग तरसते थे हमारी एक झलक को...

चलो अब कीमत चुका दो

 मेरे प्यार की,मेरे एतबार की  चलो अब कीमत चुका दो। तुम्हारे तेवर बता रहे हैं ,रिश्ता दिलो का तो नही था। तो चलो अब इस दिमाग के रिश्ते की किश्त चुका दो। चलो अब कीमत चुका दो। जब अपनी खुशी भूल कर तेरे गम में रोई मैं। जब तेरे दर्द में तड़प कर ,रातो को नही सोई मैं। चलो मेरी नींद मुझे वापस दिला दो। चलो मेरी रातों की कीमत चुका दो। बड़ा शौक है तुम्हे ,फैसले मुझ पर छोड़ने का बड़ा शौक है तुम्हे , वक्त पर हाथ छोड़ने का। जब हक से मेरा हाथ थामा था उसका क्या। जब वादों में मुझे बांधा था उसका क्या चलो अब हर टूटे वादे की कसम दिला दो, लौट कर आओगे नही ,आखरी यकीन दिला लो। मेरे हाथ पर तेरे हाथ के जो निशान हैं उन्हें मिटा दो। मेरे प्यार की कीमत चुका दो। यूँ छोड़ देने की पुरानी आदत थी या अब जरूरत नही  कोई पुराना खोया साथी मिल गया ,या अब तन्हाई रही नही मेरे लम्हो को यु रुलाने का हक तो नही था तुम्हे  पर चलो अब रुलाया ही है तो जरा ज़ोर से रुला दो। मेरे हर लम्हे से,मेरे ज़ेहन से खुद को मिटा दो। मेरे प्यार की कीमत चुका दो। बड़ा महँगा पड़ा हमे साथ तुम्हारा, बड़ा महँगा पड़ा वो हाथ तुम्हारा जो मेरे हाथों में द...

बस तेरा वक्त चाहिए था

 तूने पूछा था एक दिन ,की मुझे क्या चाहिए चाँद की चांदनी या ,सितारों की महफ़िल। हज़ारो तोहफे या बड़ा सा आशियाँ। मुझे तो तू भी नही ,बस तेरा वक्त चाहिए था। याद है,जब तेरे आने की खुशी में मेरा दिल बिछ जाता था याद है जब मेरी आँखों मे ,ख्वाब सज जाता था हर मुलाकात नई होती थी साथ तेरे हर बार। मेरा चेहरा फूल से खिल जाता था। क्योंकि मुझे तेरा वक्त मिल जाता था। धीरे धीरे तेरी दुनिया तेरी होने लगी  और मेरी तन्हाई मेरी हमदर्द होने लगी । कभी तेरी रहे तकि मैंने और कभी बोझिल आंखों से सोने लगी। आंसू गिरे तो ,खुद सुख गए। मेरे अपने जख्म मुझसे रूठ गए। क्योंकि उन्हें मरहम चाहिए था। और मेरे आंसुओं को गिरने को तेरा कंधा चाहिए था। मुझे तू नही बस तेरा थोड़ा वक्त चाहिए था। माना कि और भी बहुत ज़िम्मेदारियाँ है तेरी मेरे सिवा। मगर मेरी उन जरूरतों का क्या? जो सुबह तुझसे,जो रात तुझसे , मेरे उन दिनों का क्या?  मेरी जो हँसी तुझसे ,मेरी जो खुशी तुझसे, बता अब मेरी इस जिंदगी का क्या? तू निभा अपने हर रिश्ते तू आज़ाद है मगर मुझसे किये उन वादों का क्या ? मुझे क्या मतलब तू किसका था,और क्यों है किसीका। मुझे तो तू भी ...