बस तेरा वक्त चाहिए था
तूने पूछा था एक दिन ,की मुझे क्या चाहिए
चाँद की चांदनी या ,सितारों की महफ़िल।
हज़ारो तोहफे या बड़ा सा आशियाँ।
मुझे तो तू भी नही ,बस तेरा वक्त चाहिए था।
याद है,जब तेरे आने की खुशी में मेरा दिल बिछ जाता था
याद है जब मेरी आँखों मे ,ख्वाब सज जाता था
हर मुलाकात नई होती थी साथ तेरे हर बार।
मेरा चेहरा फूल से खिल जाता था।
क्योंकि मुझे तेरा वक्त मिल जाता था।
धीरे धीरे तेरी दुनिया तेरी होने लगी
और मेरी तन्हाई मेरी हमदर्द होने लगी ।
कभी तेरी रहे तकि मैंने
और कभी बोझिल आंखों से सोने लगी।
आंसू गिरे तो ,खुद सुख गए।
मेरे अपने जख्म मुझसे रूठ गए।
क्योंकि उन्हें मरहम चाहिए था।
और मेरे आंसुओं को गिरने को तेरा कंधा चाहिए था।
मुझे तू नही बस तेरा थोड़ा वक्त चाहिए था।
माना कि और भी बहुत ज़िम्मेदारियाँ है तेरी मेरे सिवा।
मगर मेरी उन जरूरतों का क्या?
जो सुबह तुझसे,जो रात तुझसे ,
मेरे उन दिनों का क्या?
मेरी जो हँसी तुझसे ,मेरी जो खुशी तुझसे,
बता अब मेरी इस जिंदगी का क्या?
तू निभा अपने हर रिश्ते तू आज़ाद है
मगर मुझसे किये उन वादों का क्या ?
मुझे क्या मतलब तू किसका था,और क्यों है किसीका।
मुझे तो तू भी नही बस तेरा थोड़ा वक्त चाहिए था।
चल खत्म करते हैं ये लेन देन की रस्मे हम भी अब
ना मैं तुझे बोझ दूं अपना,न तू मुझे आंसू दे अब बस
न तू कोई सस्ता यकीन दे मुझे,न मैं कोई महँगा वादा माँगू
न तू कोई कसर रखे मुझे रुलाने में ,न मैं कोई खुशी तुझ पे वारु
मुझे कोई मतलब नही अब कसमो से तेरी
मुझे कोई मतलब नही रस्मो से दुनिया की।
मुझे पहले ही थोड़ा खुदगरर्ज़ हो जाना चाहिए था।
लेकिन मुझे तो तब तेरा वक्त चाहिए था।
जा रख ले अपना हर लम्हा अब किसी और के लिए
जा रख ले अपना ये वक्त किसी और के लिए
बिना "प्रीति" भी दुनिया मे ज़िंदा है लोग ।
जा रख ले ये अपनी हसीन दुनिया किसी और के लिए।
नही चाहिए तेरी कोई रहमत
,मुझे तो बस तेरा थोड़ा वक्त चाहिए था
एक दिन तेरे पास हर लम्हा खाली होगा।
बस उस दिन मेरा हर लम्हा भरा होगा।
वक्त वक्त की बात है जानम।
जब तुझे जरूरत होगी मेरी ,तो तू मेरे लिए जरूरी नही होगा
इतनी भी बड़ी कोई ख्वाहिश नही थी मेरी।
इतनी भी महँगी कोई फरमाइश नही थी मेरी।
मुझे कोई नूर नही चाहिए था।
बस तेरा थोड़ा सा वक्त चाहिए था।
प्रीति
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