तुझे खोने का डर है सनम

 अपनी अच्छाइयों को नज़रअंदाज़ कर 

मैं अपनी कमियां गिन रही हूँ।

तुझे खोने का डर है शायद 

कि मैं जरूरत से ज्यादा झुक रही हूँ।

मेरी मोहब्बत भी कुछ कम नही तेरे लिए ,

मैं भी पल पल तेरे सज़दे कर रही हूँ।

तू मांगता होगा दुआओं में मुझे, पता नही

मग़र मैं भी तुझे पाने की कम कोशिशें नही कर रही हूँ।

तुझे खोने का डर है शायद 

की मैं जरूरत से ज्यादा झुक रही हूँ।

चल मान  लिया प्यार तू भी करता है मुझसे

चल मान लिया तो भी दीवाना है मेरा 

मग़र मेरी मोहब्बत तो परवान चढ़ बैठी अब 

तू नफरत करे वो भी मेरी ,तू इश्क करे वो भी मेरा।

तेरी गलतियो को भी नज़रअंदाज़ कर रही हूँ।

तुझे खोने का डर है शायद 

की मैं जरूरत से ज्यादा झुक रही हूँ।

मेरा अपना ज़मीर, मेरा रुतबा था कभी

मेरी अपनी शर्ते ,मेरा एक कायदा था कभी ।

जब से तू आया ज़िन्दगी में मेरी ,।

"प्रीति" भी तेरी और मेरा ज़र्रे दिल भी तेरा।

सबभूल कर अब तेरा ििइंतेज़ार कर रही हूँ।

तुझे खोने का डर है शायद 

की मैं जरूरत से ज्यादा झुक रही हूँ।

मेरी न सही मेरे वक्त की कद्र कर सनम

इस वक्त के न जाने कितने कद्रदान थे।

लोग तरसते थे हमारी एक झलक को सनम 

मग़र हम कम्बख्त तुझ पे मेहरबान थे।

न जाने क्यों मैं तेरी ये नजरअंदाजी सह रही हूँ।

तुझे खोने का डर है शायद 

की मैं जरूरत से ज्यादा झुक रही हूँ।

बस ये तब तक का गुमान कर ले तू

जब तक मुझे होश नही आता

बस ये तब तक नजद अंदाज़ कर ले तू

जब तक मुझे होश नही आता।

मैं ,खुद में खुद को तलाश कर लूं जिस दिन

मैं तेरी एहमियत को राख कर दु जिस दिन।

बस उस दिन के आने से डर रही हूँ

तुझे खोने का डर है शायद 

की मैं जरूरत से ज्यादा झुक रही हूँ।

अभी वक्त है ,मेरे वक्त को समझ 

अभी मैं हूँ तो मेरे दिल को समझ 

बस आखरी बार तुझे आगाह कर रही हूँ।

अभी भी तुझे खोने से डरती हूँ शायद 

जो तेरी नासमझी को किनार कर रही हूँ।

या तुझे खोने का डर है शायद 

जो मैं जरूरत से ज्यादा झुक रही हूँ।


प्रीति

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने