एन ओपन लेटर टू माय सन वेदान्त (बर्थडे स्पेशल 4)

 आज तुम्हारा 4th birthday मनाया गया ।और इस बार भी सोहम और तुम साथ में ये दिन नही मना पाए ।ना तुम्हारी बुआ यहां देहरादून आ पाई और ना ही हम वहां अलीगढ़ जा पाए ।क्योंकि ये तुम्हारी चाची के लिए तुम्हारा पहला जन्मदिन जो था और वो तो कब से इस दिन के लिए excited थी।तुम उनके नटखट baby जो हो।हां तुम्हारी चाची 😉 इस बार तुम्हारे जीवन मे एक नया रिश्ता जुड़ा।बहुत से बदलाव हुए वो सब मैं आगे बताउंगी अभी बात जन्मदिन की करते हैं 

इस बार हमने सोचा था कि तुम्हारी मामा मामी ,मौसी मौसाजी ,भाई बहन सबको बुलाएंगे लेकिन कोई भी नही आ पाया लेकिन हां इस बार तुम्हारे जन्म दिन पर कुछ खास लोग थे यहां ,पता है कौन ? तुम्हारे छोटे नाना नानी मतलब गौरी चाची के मा पापा।और सच कहूं तो कहीं न कहीं ये तुम्हारे लिए सबसे खास moment और खास तोहफा था कि तुम अपना जन्मदिन नाना जी के साथ मना पाए जो शायद तुम्हारे लिए जीवन भर एक कल्पना ही होता ,मुझे भी बहुत अच्छा लगा कि मेरे इस खास दिन में वो शामिल हो पाए ।

ये साल तुम्हारी शरारतो से भरा रहा ,लेकिन तुमने एक नई सीढ़ी पर भी कदम रखा ,इस साल तुम्हारा नर्सरी में दाखिला हुआ।और जिस दिन तुम पहली बार स्कूल और ट्यूशन गए वो दिन मेरे लिए बड़ा सूंदर था ।ज्यादातर मैं ही तुम्हे स्कूल और ट्यूशन छोड़ने और लेने जाती हूँ ,बहुत भाग दौड़ और थकान के बाद भी वो पल हर बार मेरे लिए सुखद होते हैं ।तुम काफी कुछ पढ़ना लिखना सीख गए हो।शानू बुआ ,तनु बुआ अब तुम्हारी टीचर हैं।कोरोना की वजह से स्कूल कम ही जाना होता है तुम्हारा ।लेकिन अब बच्चों के साथ रहना खेलना सीख रहे हो,जो बहुत जरूरी भी था ।

इस साल तुम्हारे चाचा जी की शादी भी हुई और तुम्हारी गौरी चाची हमारे घर आई जिन्हें तुम अपनी तुतलाती आवाज में गौली बोलते हो।सब तुम्हे प्यार से अलग अलग नाम से बुलाते हैं जैसे दादा जी गुल्लू,दादी -पिल्लू ,पाप - बूत्ति लाल और शैतान मुर्गा, मैं - लाडेशर और लडडू, चाचा- बाबू तो चाची ने भी आपको नाम दिया (बेबी)

पूरा दिन तुम शैतानी करते हो ,और सबसे ज्यादा तुम्हारे नखरे तुम्हारी दादी उठती है।

मैं तुम्हे ज्यादा वक्त नही दे पाती हूँ पूरा दिन व्यस्त जो रहती हूँ फिर भी कोशिश करती हूँ कि तीनों चारो वक्त तुम्हे ख़ाना अपने हाथ से खीलाऊ, खुद ही नहलाऊं,खुद ही सुलाऊँ, खुद ही पढ़ाऊँ और वक्त मिले तो तुम्हारे साथ खेलूँ भी।

इस साल तुमने बहुत सफर भी किया देहरादून से बिजनोर तो हर महीने ही आना जाना रहा ।मेरे इंस्टीटूट के काम से मुझे बार बार वहां जाना पड़ता है और तुम अभी इतने बड़े नही हो कि मेरे बिना रुक पाओ और शायद मैं खुद ही तुम्हे नही रहने देना चाहती।लेकिन हां 2 बार मुझे ऐसा करना पड़ा।एक बार मैं और पापा किसी काम से बिजनौर गए बाइक से सुबह 4 बजे और शाम को 5 बजे तक वापस आ गए लेकिन ये 12 ,13 घंटे मेरा दिल बस तुम में अटका रहा।दूसरी बार जब हम तुम्हारे चाचा जी की बारात लेकर गए ,कोरोना ने इस बार पूरे देश को हिला दिया जब तुम्हारे चाचा जी की शादी थी उस वक्त कोरोना चरम सीमा पर था और देश दहशत में ।उसी की वजह से फैसला ये हुआ कि बच्चों को घर पर ही रखा जाए ।रास्ता लम्बा था मुझे पता था कि हम कितनी भी जल्दी जाए कितनी भी जल्दी आने की कोशिश करें लेकिन हमें 15 से 20 घंटे लग जाएंगे ।सच कहूं  तो मैं नही जाना चाहती थी तुम्हारे बिना लेकिन कुछ रिश्ते हमे सबसे आगे रखने पड़ते हैं इसी के चलते दिल पर पत्थर रख कर मैं तुम्हे घर दादी के पास छोड़ कर चली गयी लेकिन दिल कहाँ कुछ सुन रहा था रह रह कर तुम याद आ रहे थे ,पूरा दिन दिल भारी रहा ।एक वक्त आया जब लगा कि बस उड़ कर मैं गजर पहुच जाऊं।वो पहली बार हुआ कि पूरे 23 घंटे मैं तुमसे दूर रही ,जब वापस आकर मैने तुम्हे गोद मे उठाया मेरी आँखें भर आयी ऐसा लगा जैसे दुनिया भर की खुशियां मेरी गोद मे थी और तुम भी मुझसे ऐसे लिपट गए जैसे कितने दिन बाद मिले।

वैसे भी तुम मुझे लेकर बहुत possesive हो ।सब कहते हैं की बेटा हो तो ऐसा ,जब देखो माँ और माँ।। हां माँ ही तो कहते हो तुम मुझे ,इस आधुनिक जमाने मे भी मैने तुम्हे खुद को माँ कहना सिखाया ,जितनी बार तुम मुझे माँ कहते हो उतनी बार मैं एक नया जीवन जीती हूँ।इतना प्यार इतना सुकून ।मेरे सामने ना तुम कुछ सुनते हो न देखते हो ।यहां तक कि स्कूल में ट्यूशन में भी टीचर को कितनी बार बोलते हो कि मेरी मा ने मुझे ये सिखाया ,ये बताया । स्कूल में टीचर को भी तुम्हारी तोतली बाते बड़ी भाती हैं।सबके लाडले हो घर मे भी स्कूल में भी और शायद  इसी वजह से तुम बहुत जिद्दी भी हो गए हो ,शैतानी भी बहुत करते हो ।लेकिन घर की रौनक हो ,तुम स्कूल और ट्यूशन जाते हो तो सब खाली लगता है।तुम्हे स्कूल छोड़ कर आती हूँ तो तुम्हारा फैलाया हर सामान सिंजोति हूँ ,तब लगता है  है तुम गए ही क्यों,कब आओगे ,तुम्हारा हर खिलौना, हर कपड़ा देख कर तुम्हारी याद ऐसे आती है जैसे कितने दिन तुमसे दूर हुए होगए हों। तब मुझे तुम्हारी नानी की बात याद आती है जब वो कहती थी कि तुम जरा भी कही चली जाती थी तो तुम्हारी चीज़े देख देख मैं रोती थी। 

पता है तुम झूठ भी बोलने लगे हो कभी कभी ,लेकिन तुम्हारा वो झूठ इतना प्यारा होता है कि तुम पर और प्यार आता है।जब भी तुम्हे आइस क्रीम या चॉकलेट खानी होती है तुम दादी से जाकर बोलते हो "मेरी मां मुझे खाना नही देती है ना इसलिए मुझे चॉकलेट दिला दो" .कभी तुम्हारा ट्यूशन जाने का मन नही होता तो झूठ बोलते हो " देखो मेरी तबियत कितनी खराब है ,और ट्यूशन जाऊंगा तो मेरे पैर दर्द होंगे और मैं बीमार हो जाऊंगा" 

इतनी बाते बनाते हो कि ट्यूशन से स्कूल से टीचर भी बोलती है कि बाते बहुत बनाता है तुम्हारा वेदान्त ।

इस साल एक और नई चीज हुई तुम्हारी माँ यानी मैने एक और नई शुरुआत की ,तुम्हे पहले बताया था न कि बिजनोर में इंस्टिट्यूट खोल कर मैंने अपना सपना पूरा किया तो इस साल फिर देहरादून में भी मैन अपनी एक academy खोली ।मैं खुश हूं कि मैं और तुम्हारे पापा मिल कर तुम्हारे उज्ज्वल भविष्य के लिए मेहनत कर रहे हैं ।जीवन के उतार चढ़ाव कम नही हुए ,आज भी बहुत सी कठिनाइयां ,कई चुनौतियां सामने हैं ,लेकिन तुम्हारा हंसता चेहरा और तोतली बाते काफी होती हैं सब परेशानियों को नजरअंदाज करने के लिए ।

दिन भर थक कर जब रात को तुम्हे सुलाती हूँ तुम वही लोरी सुनने की ज़िद करते हो ।लोरी गाते गाते कब तुम सोते हो और कब मैं पता ही नही चलता ।आजकल तो सोने से पहले सब poem ,सब स्टोरीज ,हिंदी इंग्लिश ,गिनती सब दोहरा कर सोते हो ,और मुझे मेरे बचपन की याद दिलाते हो जब हम भी सोने से पहले सब कुछ मम्मी को सुना कर सोते थे । 

खैर ये साल भी काफी कुछ लेकर आया ,कुछ खुशियां ,कुछ परेशानियां ।कुछ प्यार ,कुछ तकरार ,और शायद यही जीवन है।बस हर दिन तुम बढ़े और तुमसे ज्यादा बढ़ी तुम्हारी शैतानियां ।

हां एक बात और,इस साल तुमने माता वैष्णो के भी दर्शन किये ।हम तुम्हे वैष्णो देवी देकर गए तुम्हारा मुंडन जो उधार था 😊

कुल मिला कर सब अच्छा था ।मीठा ,कड़वा ,सब संगम ।

बस जो भी जैसा भी ,तुम साथ हो तो सब अच्छा ही लगता है।

ऐसे ही बढ़ते रहो ,शैतानियां करते रहो ।बहुत सारा प्यार 


तुम्हारी माँ

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kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने