एन ओपन लेटर टू माय सन वेदांत ( बर्थडे स्पेशल 5)

 अब तुम 5 साल के हो गए हो वेदांत ।

इस एक साल में बहुत कुछ बदला तुम्हारे जीवन मे ,हमारे जीवन मे ।इस दुनिया मे । तुम्हारे अंदर दिन पर दिन बदलाव आए ।तुम्हारी लंबाई बदली ,वजन बदला ,रूप रंग बदला,स्वभाव बदला। नही बदला तो तुम्हारा प्यार और शरारत।

तुम एक बहुत शरारती बच्चे हो ,लेकिन तुम जैसे समझदार और परिपक्व बच्चा भी मैंने अभी तक नही देखा ।उम्र के हिसाब से कुछ ज्यादा समझदारी लेकर जी रहे हो तुम।

कभी कभी तो ये मेरी चिंता का विषय बन जाता है ।जैसे जैसे तुम बढ़ रहे हो तुम्हारी परिपक्वता बढ़ती जा रही है।

हाँ शरारती तो तुम हो लेकिन ,लेकिन दूसरी तरफ चीज़ों और दुनिया दारी को लेकर बहुत सीरियस हो। तुम्हे हर चीज़ के बारे में जानना अच्छा लगता है ।सबकी फिकर करना अच्छा लगता है। कई बार मैं सोचती हूँ क्यों तुम दूसरे बच्चो की तरह बेफिक्र नजर नही आते । मुझे लेकर तो तुम बहुत ज्यादा सोचते हो।मेरी बहुत फिकर भी करते हो ,मुझसे बेहद प्यार भी करते हो। ये सब देख कर कौन माँ फूली न समाये भला ।

इस साल बहुत सी नई घटनाये घटी।

हमारे घर मे अमायरा आयी । तुम्हारी छोटी बहन ।चाचू चाची की बेटी अमायरा,तुम्हारी बेबी,मेरी लाडो,दादी की रानी,दादू और पापा की बुल्लू।

तुम बहुत बेसब्री से पूरे वक्त उसके आने का इंतज़ार करते रहे ।चाची को कंपनी देते ,उनका खयाल भी रखते ।और बीच बीच मे पूछते छोटा बाबू कब आएगा ।चाची से तुम्हारी नजदीकियां मुझे अच्छी तो लगती लेकिन कुछ चीज़ों को लेकर मैं डरने लगी ।छोटे बच्चे के आने के बाद चाची व्यस्त हो जाएगी ।छोटे बच्चे के साथ ज्यादा वक्त ,कहीं तुम्हे अंदर से हीन भावना में ना बांध दे।कहीं तुम्हरा मासूम दिल टूट न जाये ।तुम्हरा मन खिन्न न हो जाये ।

लेकिन मेरा ये डर वेवजह निकला।तुमने बहुत समझदारी से हर नया रिश्ता सिंजोया। अमायरा से इतना प्यार की तुम सब भूल जाते हो। कई बार तो इसके चलते डांट खाते हो।पिट भी जाते हो लेकिन अगले ही पल फिर वही। कई बार तुम्हरा ये ज्यादा प्यार सबको परेशान भी करता है। खैर उसके बारे में तुम्हे कुछ ज्यादा बताने की शायद जरूरत नही।

इस साल तुम्हरा पढ़ाई का असली सफर भी शुरू हुआ ।तुम्हारा दाखिला ऑक्सफोर्ड स्कूल में हमने कराया। बहुत जांचने परखने और बहुत से लोगो से बात करने के बाद मैंने ये फैसला लिया कि तुम उस स्कूल में पढो।तुम्हारे पापा ने भी मेरा समर्थन किया ,मुझे पता था एक अच्छे स्कूल में जाने का मतलब तुम्हारी 10 जिम्मेदारी बढ़ना । मेरी व्यस्त दिनचर्या से  तुम्हारी ये नई जिम्मेदारी उठाना मेरे लिए एक टास्क था ।मैंने भी अपनी दिनचर्या में बहुत से बदलाव किए । सुबह तुम्हे स्कूल छोड़ कर आने से लेकर ,टिफिन, होम वर्क,ट्यूशन, हर चीज़ मेरे दिन में शामिल हुई। हालांकि हर माँ के जीवन का ये एक अहम पड़ाव है ।मैन कोई दुनिया की अलग जिम्मेदारी नही ली ।हर माँ ये जिम्मेदारी निभाती है। मुझे खुशी  भी होती है तुम्हारे लिए ये सब कर के ।क्योंकि इन सबके बदले तुम अच्छे नंबर ला कर मेरी मेहनत सफल जो कर देते हो ।तुम एक अच्छे ,होनहार विद्यार्थी हो।तुम्हारी टीचर भी तुम्हारी तारीफ करती है।इस साल तुमने अपनी जिंदगी का पहला सर्टिफिकेट ,पहला समर कैम्प और पहला प्राइज जीत ।

समर की छुट्टियों में तुम्हर भाई सोहम भी आया नानी के घर छुट्टियां बिताने ।तुम्हारे साथ उसका एडमिशन भी हमने समर कैम्प में कराया ।उसी के चलते तुमने फैंसी ड्रेस कम्पटीशन में आम बनकर 3rd प्राइज़ जीता।मुझे याद है जब पूरा 2 दिन का ऋषिकेश कैम्पिंग कर के थक कर रात को हम घर पहुँचे तो याद आया काल तुम्हारा  competiotion है।रात को 12 बजे तक मैने तुम्हारे लिए वो आम की ड्रेस तैयार की,और तुमने प्राइज जीत कर एक बार फिर से मेरी मेहनत सफल कर दी।

तुम स्कूल से आते ही अपना होमवर्क करना स्टार्ट कर देते हो।तुम्हारी ये आदत मुझर बहुत भाती है।

जब स्कूल से ट्यूशन से आते ही आवाज देते हो  " माँ मैं आ गया "

दिल इतना खुश हो जाता है कि क्या कहूँ ।बस कुछ देर तुम्हे बाहों में भरे महसूस करती हूँ ।और तुम्हारे ये 4 साल की जिंदगी और उन 4 साल से पहले की मेरी जिंदगी हर रोज मेरी आँखों में तैर जाती है।देखते ही देखते गोद से निकल कर कब हाथ पकड़ कर चलने लगे तुम।जब कभी कभी तुम्हारे पापा को 2,4 मिनट के लिए दुकान से इधर उधर जाना होता है तब वो तुम्हे आवाज देते हैं ।तुम भी दौड़ कर जाते हो उनकी मदद करने ।

और एक बेटे का अपने पिता के काम मे हाथ बंटाने की खुशी क्या होती है वो हम दोनों के चेहरों पर तुम्हे देख कर आती है।

मुझे तुम्हे ये बताने में कोई संकोच नही की कई बार तुम्हरा दुकान में जाना किसी को अच्छा नही लगता क्योंकि शायद सबकी नजर में दुकान का करना कोई छोटा काम हो सकता है।हां कई बार मैं भी तुम्हे वहां जाने तब रोक देती हूँ जब तुम ज्यादा जाते हो जिसकी वजह सिर्फ इतनी होती है कि तुम्हारी दिलचस्पी पढ़ाई से ना हट जाए ।लेकिन जब भी तुम्हारे पापा को मदद चाहिए तब मैं खुद तुम्हे वहां भेजती हूँ ताकि तुम ये सीख पाओ की बच्चे जब बाप के बराबर में मदद करने लगे तो कितना अच्छा हो।ताकि तुम देखो और सीखो की कोई काम छोटा या बड़ा नही होता ।जिस काम से हमे रोटी मिले ,कपड़ा मिले ,सर की छत मिले, जीवन की सुविधाएं मिले।जिस से तुम्हारे सपने पूरे होते हैं ,तुम्हारी फीस जाती है,तुम्हारे खेल खिलोने आते हैं ,हम दोनों की जरूरत पूरी होती है वो भला छोटा बड़ा कैसे हो सकता है।मैं चाहती हु की अभी से तुम समझो कि मेहनत क्या है ,हर चीज़ की कीमत क्या है।तुम समझो कि पैसा कैसे घर मे आता है ।ये बात मैं तुमसे जरूर बताना चाहती हूं कि ये शिक्षा हमारे बचपन मे हमेशा शामिल रही ।जब हमारे पापा यानी तुम्हारे नाना जी आफिस जाते थे तो तुम्हारी नानी हम सब को ये बात वक्त वक्त पर एहसास कराती थी कि देखो तुम्हारे पापा बिना छुट्टी किये रोज आफिस जाते हैं ,ज्यादा सर्दी ,गर्मी या बारिश ।व कभी नही रुकते ।ताकि तुम्हारे सारे शौक पूरे कर सके ताकि तुम्हारी फीस जा सके तुम सब पढ़ सको। यकीन मानो इस बात का एहसास हम सबको हमेशा रहा और हमने तुम्हारे नाना जी के कमाए एक एक पैसे की इज़्ज़त की। यही भावना तुम्हारे मन मे आये बस यही मैं चाहती हूं।

तुम्हे  एहसास कराना चाहती हूं कि माँ बाप अपने बच्चो के लिए कितना संघर्ष करते हैं। मैं चाहती हूं तुम वो सब अपनी आंखों से देखो समझो और अपने माँ बाप के किसी काम पर शर्मिंदगी नही गर्व करो।

तुम पढ़ाई में भी काफी अच्छे हो।अच्छे नम्बर लाते हो।मैं तुम्हारी कुछ चीज़ों से बहुत खुश हूं। कई बार तो बेवजह तुम्हे देखती रहती हूँ ।धन्यवाद करती हूं भगवान को की तुम मुझे मिले। इस बार तुम्हारा जन्मदिन तुम्हारी बुआ के घर अलीगढ़ में मनाया ।

हर साल मैं बहुत ज्यादा स्पेशल तरीके से ये दिन नही मनाती ,बहुत ही साधारण तरीके से तुम्हरा जन्मदिन मनाया जाता है लेकिन इस बार तुम्हारा 5 वा जन्मदिन था मैंने काफी कुछ सोचा था ।लेकिन सबने फैसला किया कि तुम्हारी बुआ के घर पर सोहम और तुम साथ मे ये दिन मनाओ,जो कि हमारी कोशिश हर साल रहती है कि ये दिन तुम दोनों साथ मनाओ।इसके चलते हम सब अलीगढ़ गए ।हालांकि बहुत साधारण तरीके से ही ये दिन मनाया गया लेकिन अपने भाई सोहम के साथ खेल कर तुम्हारे चेहरे पर जो खुशी थी वो मेरे लिए बहुत खास थी ।

ये साल काफी अच्छा रहा ,तुम्हारी शरारतों से भरा ।मांगलिक होने की वजह से पंडित जी ने बताया कि इस साल जन्मदिन के कुछ दिन बाद तुम्हारी ग्रह पूजा और तुला दान करना जरूरी है ।जो अब कुछ ही दिन बाद सम्पन्न होगी ।मैं भगवान से दुआ करती हूँ कि तुम्हारे जीवन मे हर खुशी आये ।तुम दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की करो।बढ़ते रहो और खुश रहो।

बहुत सारा प्यार

तुम्हारी माँ

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने