हाँ,बदल गयी हूँ मैं...
कोमल की बड़ी बड़ी आँखे आज फिर छलक पड़ी थी,पता नहीं ये पानी जो खोया उसके लिए था या जो खो कर पा लिया उसके लिए था।इन ढाई सालो में कितने उतार चढाव आये,जिन्होंने कोमल का अस्तित्व ही बदल कर रख दिया । सूरज उसके जीवन का वो हिस्सा था जो ना कभी उस से अलग हुआ और ना ही उसका हो पाया। याद है कोमल को जब उसका एक भी पल पूरा नहीं हुआ करता था सूरज के बिना। एक छोटी सी दोस्ती से शुरू हुआ ये रिश्ता प्यार की सारे कसौटी पार कर चूका था ,दोनों की हर सांस एक दूसरे के लिए चलने लगी थी।मगर जमीन पर बने इस रिश्ते का लेखा जोखा शायद ऊपर उनकी किस्मत की किताब में था ही नहीं। आज ढाई साल बाद पहली बार कोमल को एहसास हुआ की शायद वो सच में बदल गयी है ।।।कितनी बार सूरज ने उसे बोला था ,तुम बदल गयी हो कोमल,और ये बदलाव् सहा नहीं जा रहा मुझसे। मगर कोमल को क्यों ये एहसास नहीं हो पा रहा था की जिस बदलाव की कोशिश वो इतने महीनो से कर रही है वो इंच भर भी उस कोशिश को बढ़ा पाई है की नहीं। आज सूरज की कुछ बातो ने कोमल को पुराणी सारी बाते याद दिला दी थी। कितनी सिद्दत से वो इंतज़ार किया करती थी सूरज के घर आने का ,उसके लिए नयी नयी चीज़े ब...