एक और salute

आज दिल किया की उनके लिए कुछ लिखूं ,जो सरहद पर थे,हैं ,और आगे भी होंगे।उनके लिए जिनकी वजह से आज हैं अपनी हर सुख सुविधा को भोग पा रहे हैं।शायद उन वीर जवानो के लिए लिख पाने की,न मेरी हैसियत है न ही इतने अच्छे शब्द है मेरे पास की उनको व्याखित कर पाऊँ।मगर उनके लिए लिखना मेरे लिए सौभाग्य होगा।
बस एक tv show ही तो था वो जिसने मुझे झकझोर कर रख दिया।हाँ ये सच है की बचपन से एक अलग सा लगाव रहा मुझे भारतीय सेना से मगर उस दिन super dancer एक शो में जो performance मैंने देखि उसे देख कर मैं खुद को रोक ना पाई।उस दिन फिर मन किया की काश मई कुछ कर पाऊँ उनके लिए जो एक खामोश नींव की ईट बन कर एक सुन्दर ईमारत बना देते हैं।उस show में मैंने देखा की एक फौजी ,एक जवान के लिए कितना मुश्किल होता होगा अपनों को रोते छोड कर जाना,कितना मुश्किल होता होगा जब उसकी माँ की आँखे साफ़ पूछती होंगी की अब कब बना कर रखूं तेरी पसंद की चीज़े ,कब आएगा।कितना मुश्किल होता होगा एक पत्नी की आँखों में छुपे सवालो का जवाब देना जब वो पूछती होंगी की अब कब मैं पूरी तरह  सज सवंर पाऊँगी,बोलो फिर एहसास कर पाऊँगी की मैं भी एक सुहागन हूँ।
कैसे वो जवाब दे पाता होगा उन मासूम आँखों को जो बिना कुछ समझे बस पापा के चेहरे को देखती होगी और समझ जाती होगी जरूर अब फिर से पापा कही जा रहे होंगे।अब कब मुझे नए खिलोने मिलेंगे,अब कब हर रोज सैर सपाटा होगा,अब कब इतने दिन स्कूल से लेने मम्मी नहीं पापा आयेगे।
उस फौजी के पास कोई जवाब नहीं होता होगा उस बेटी के लिए जिसे पापा की सबसे ज्यादा जरुरत होती होगी जब उसकी क्लास का हर बच्चा रोज अपने पापा की कहानिया सुनाता होगा।एक बेटे को माँ का आँचल सबसे ज्यादा प्यारा होता है ,मगर एक बेटी को पापा के हाथ की ऊँगली पकड़ कर चलने में जो सुरक्षा महसूस होती है वो दुनिया के किसी रिश्ते में नहीं।
हज़ारो बाते छुपी होती होंगी उस वक्त उस जवान के दिल में।देश की रक्षा के लिए तैनात उस फौजी का कोई कैसे आश्वस्त कराता होगा की उसका परिवार सुरक्षित रहेगा ।
वापस जाकर कैसे हालात का सामना वो करेगा ,कैसे रात रात भर जागकर हाथ में बन्दुक लिए बाज़ जैसी नज़र लिये खड़ा रहेगा,उसको भी याद आती इस मखमली बिस्तर की जहाँ लेट ते ही सुहाने सपने आते होंगे ,एक तरफ माँ की गोद का सुकून और दूसरी तरफ पत्नी के साथ का सुखद एहसास।उसे भी याद आता होगा ज्यादा ठण्ड लगने पर दिन से चादर लेकर सो जाना जब वहां मन हो ना हो उठ कर आधी रात को ड्यूटी देता होगा।याद आता होगा अपने घर में ac की ठंडक का एहसास जव वहां गर्मियों की ताप्ती धुप में भी वो भारी वर्दी पहने कितना ही बोझ लिए तैनात खड़ा होता होगा सरहद पर।
हर त्यौहार की मिठाई,करवा चौथ का चाँद उसे भी बेचैन कर जाता होगा ।याद आता होगा बहन से की जाने वाली नोक झोंक और हर वो दिन जो वो भी अपने घर में शहंशाहों की तरह बिताते हैं ,मगर वापस जाते ही हर वो काम करने को तैयार रहते है जिसके लिए हर किसी ने अपने घर में एक नौकर रखा होता है।
आज मुझे एहसास हो रहा था की जिस फौजी ट्रेन के डब्बे में हम अपनी सीट तक नहीं पाते ये सोच कर की ये तो फौजी है ताकतवर है ।वो फौजी हमे कभी एहसास नहीं करता की वो हमारी नींद के लिए अपनी नींद रोज गवां देता है।
मेरी आँखे ही नहीं दिल भी भर आया था इस  कठिन जीवन की सचाई सोच कर।
दिल से दिल किया की एक salute करू उस माँ को जो बेटे को भेजने का कालेजा रखती है,एक salute करू उस पत्नी को उसके वापस आने का दृढ विश्वास रखकर उसको भेजती है।एक उस बहन को जो भाई के हाथ में ऐसे खुश होकर वो धागा बाँध देती है जैसे सुरक्षा कवच बाँध दिया हो।और एक उस बेटी को कितने महीनो अपने पिता के साथ खेलने के लिए इंतज़ार करने की हिम्मत रखती है।और सबसे बड़ा salute उस फौजी को जिसे पता ही नहीं वो वापस आएगा या नहीं मगर बड़े विश्वास से अगली छुट्टी के कामो की लंबी लिस्ट बनाकर घर वालो के सामने रख देता है ताकि उन घर वालो को जवाब मिल जाये की वो आएगा जरूर।हर आँखों में छुपे सवालो का जवाब बस उसकी मुस्कराहट होती है जैसे कितना आसान है उसके लिए इतने सुनहरे पल बिता कर वापस लौट जाना।मगर वो कभी नहीं कह पाता की उसका भी मन नहीं है ये परिवार छोड़ कर जाने का,बेटी की प्यारी मुस्कराहट ,माँ के लाड ,बहन स्नेह और पत्नी का प्यार छोड़ कर जाने का ,वो भी एक आम जीवन जीना चाहता है।मगर वो अपना बैग इस रॉब में उठा कर चल देता है जैसे उसका असली परिवार उसकी असली जिम्मेदारी उसकी असली माँ उसका इंतज़ार कर रही हो।
आप सब से निवेदन है हर फौजी का सम्मान कीजिये,कुछ नहीं तो उनको एक थैंक यू बोलिये।उनको ट्रेन में सीट दीजिये।हो सके तो उनको एक salute कीजिये।क्योंकि बस इतना ही काफी होगा उनको एहसास कराने के लिए की वो कितने खास है।उनके बिना हमारा जीवन ही नहीं।
दिल से सलाम हर एक उस फौजी को जो हमारी रक्षा कर चुके ,जो कर रहे हैं और जो करते रहेंगे।और दिल से सलाम उस परिवार को जो उन फौजियों को फ़ौज में भेजने का जिगर रखते हैं।
प्रीति राजपूत शर्मा
18 अक्टूबर 2016

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने