पिता,पति,पुत्र और भाई

ये चार रिश्ते हर लड़की के जीवन के अहम् रिश्ते होते हैं जिनके साथ होने से अपनी अमीरी और न होने से गरीबी का एहसास होता है।जब तक ये रिश्ते हमारे साथ होते है तब तक शायद हम इतनी अच्छी तरह से इनकी एहमियत नहीं समझ पाते ,मगर जब तक एहमियत समझ आती है कुछ रिश्ते खो से जाते है।
आज जब मम्मी की आँखों से गिरते आंसुओ ने मुझे इन रिश्तों से रूबरू कराया तो मैं भी सहम सी गयी थी ।इन रिश्तों की कमी कितनी बड़ी कमी होती है ,मैं शायद जानती थी मगर मेरी कमी मम्मी की कमी के सामने बहुत छोटी लग रही थी।पिता और पुत्र दोनों ही स्थान मेरे जीवन में खाली हैं ,मगर मेरे पिता की कमी को कही न कही मेरे नए परिवार में मिले पिता और मेरे पति ने कम सा कर दिया था,पुत्र की कमी समय के साथ पूरी होने की एक आशा में इतनी बड़ी ना लगी मगर आज जब माँ की आँखों में वो पीड़ा देखि तो दिल भर सा आया।आज जब उन्होंने अपने अकेलेपन और खालीपन का पन्ना मेरे सामने रखा तो वाकई मैं उसे पढ़ ना सकी।हमें कभी कभी लगता है की हम क्यों जी रहे हैं हमारे पास कोई ठोस वजह नहीं होती।मगर गहराई से सोचो तो हमारे अपने हमारे जीने की वजह होते हैं।आज किसी बात पर जब माँ ने मुझे कहा की मैं किसके लिए जी रही हूँ ,ना पति है जिसके जिए जीने का मन करता है,जिसके लिए हँसने का मन करता है,तैयार होने का मन करता है ,सुन्दर दिखने का मन करता है।ना ही पिता है जिस से जिद करने का मन करता है,दिल दुखी हो तो जिसके पास जाकर सब कुछ कह कर अपना दिल हल्का करने का मन करता है।जब माँ बाप होते हैं तो मायका अपना लगता है,हर परेशानी वहां छोड़ आते हैं और फिर से आकर ससुराल को दिल से अपनाते है।पति से या किसी से भी कोई शिकवा शिकायत होती है तो झट से कहते है मैं अपने मायके चली जाती हूँ ।मगर माँ बाप के जाते ही मायके के मायने भाई पर आकर रुक जाते हैं।हाँ कुछ चीज़े,कुछ अधिकार बदल जाते हैं ।अगर फिर भी बाकि होता है हमारा मायका।हमारे पास भी कहने को होता है की मैं भाई के घर चली जाउंगी।मगर आज माँ की बातो में मुझे जो विवशता नजर आई वो किसी को भी रुला देने के लिए काफी थी,जब मुझे ये एहसास हुआ की वाकई आज क्या है माँ के पास ,ना पिता,न पति,ना ही भाई,बस जीने की वजह में हम यानि उनके बच्चे शामिल है।जिसमे से हम बेटियां अपनी ससुराल अपना घर बसाने चली गयी।मन किया या ससुराल ने अनुमति दी तो चले गए मेहमान बनकर,मगर क्या माँ की जरुरत के अनुसार मायके आना हमारे वश में था,नहीं......।तो वजह कौन रहा उनका पुत्र।
आज मुझे फिर से एक सीख मिली की एक पुत्र  माता पिता के लिए कितना जरुरी होता है।आज के समय ने बेटे और बेटी का फासला कम कर जरूर दिया मगर गौर से देखे तो वो फासला वही है।अकेले माता पिता का जीवन बेटे के घर जितने अधिकार और सुकून से कटता है उतना बेटी के घर कभी नहीं कट सकता।बेटे की भूमिका और महत्वता मुझे साफ़ समझ आई।अपनी ससुराल में हर गलत फैसले से पहले मुझे मेरे भाई और माँ का रिश्ता नजर आता है ,शायद इसीलिए ये बाते मुझे मेरे सास ससुर से जोड़ कर रखने में अहम् भूमिका निभाती है।क्योंकि अगर मेरा भाई मेरी माँ के जीने की वजह है तो मेरा पति भी उनके माता पिता की जीने की वजह में शामिल होगा ।आज जब मैंने अपने घर की दीवारो पर टँगे पापा की फ़ोटो पर नजर डाली तो ये फ़ोटो उनकी कमी को पूरा करती नही ,बल्कि कमी को गहरा करती नजर आई।कितना मुश्किल होता होगा माँ के लिए हर सुबह का सामना करना।जब हर रोज वही ख़ाली पन उनको सताता होगा।कितनी मुश्किल से कटता होगा उनका हर दिन अकेले।जिसमे पिता ,पति  और भाई को खोने का दुःख शामिल होता होगा ,बस पुत्र का पास होना शायद उनको जिन्दा रखता होगा।मुझे बहुत रोना आया जब आज उन्होंने कहा की मेरे पास कुछ नहीं बचा ना पति का साथ ,ना पिता का प्यार,ना भाई का सहारा।बेटे की शादी भी कैसे कर पाऊँगी।उसकी नयी जिंदगी पर खुश होउंगी या अपने पति और भाई को याद कर के रोऊँगी।कितना मुश्किल जीवन है उनका आज मुझे एहसास हुआ।आज एहसास हुआ की रिश्तों की एहमियत क्या होती है।बस दुआ करुँगी की भगवान उनको हिम्मत और ताकत दे की वो अपनी जिम्मेदारियो को अकेले ही पूरी हिम्मत से पूरा करे।आज मैंने खुद को असहाय महसूस किया उनकी कोई भी मदद कर पाने में।मगर बस प्रार्थना की भगवान से कि उनको शक्ति मिले।
और सब को एक सन्देश देना चाहूंगी की जो आपके पास है उसमे खुश रहिये।अपने रिश्तों को संजो कर रखिये।क्योंकि जिंदगी में पैसा बार बार कमाया जा सकता है मगर रिश्ते बार बार नहीं मिलते।अपने माता पिता की इज़्ज़त कीजिये ।उनको खुश रखिये और खुद भी खुश रहिये।

प्रीती राजपूत शर्मा
23 जनवरी 2017

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने