एन ओपन लेटर टू माय सन वेदान्त 2


आज तुम 2 महीने के हो गए हो वेदान्त,कहने को नया साल शुरू हुआ है मगर मेरा तो नया जीवन शुरू हुआ था जिस दिन तुम मेरे जीवन मे आये ।अब हर दिन तुम बदल रहे हो,इस 20 दिसंबर से 20 जनवरी तक हज़ारो बदलाव हम सबने तुममे देखे।तुम अब हर गोद का एहसास पहचानने लगे हो।दादा,दादी की गोद,चाचा की गोद,माँ की गोद,और हां पापा की गोद मे जाते ही तुम्हारी शैतानी बहुत बढ़ जाती है।ऐसा लगता है कि तुम बेसब्री से उनके आने का इंतज़ार करते हो।मैं भी कहाँ तुम्हे कब तक सोने देती हूँ,क्योंकि एक यही समय तो है जब तुम उनके पास रहते हो।रात को भी वो तुम्हे खुद से चिपका के सुलाते हैं।मैं भी कोशिश करती हूँ कि रात को तुम ज्यादा से ज्यादा उनके पास रहो,ताकि उनको पहचान पाओ,उनके एहसास को समझ पाओ।और तुम समझते भी हो।हर गोद मे जाने पर अब तुम्हारे भाव बदलने लगे हैं।
तुम अब बढ़ रहे हो।पता है,तुम्हारे पहले सारे कपडे छोटे हो गए हैं,तुम्हारे लिए जल्दी जल्दी नए कपड़े खरीदने में मुझे दिक्कत नही होती बल्कि खुशी होती है,क्योंकि ये एक इशारा है कि तुम बढ़ रहे हो।चाचू ने तुम्हे एक nick name भी दिया है "निक"।इस बार हमने कोई सेलिब्रेशन नही किया,कोई केक नही काटा,शायद घर मे तनाव से भरे माहौल में किसी को याद ही नही रहा,मगर मैने तुम्हे खूब प्यार किया,खूब बलाए उतारी।
पता है मैं तुम्हे प्यार से क्या बुलाती हूँ? "मेरी छोटी जान"।तुम तीसरे वो पुरुष होंगे,जो मेरे जीवन मे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे।पहले मेरे "पिता" यानी तुम्हारे नाना जी,जो अब हमारे साथ नही हैं, दूसरे मेरे "पति" यानी तुम्हारे पापा,जो मेरे जीवन का हिस्सा नही बल्कि मेरा जीवन हैं, और तीसरा मेरा "पुत्र" यानी तुम, जो अब मेरे जीवन की वजह है।
वेदान्त तुमने इन 2 महीनों में हमारे जीवन को बदल कर रख दिया है,हुम् सब को तुमने बिजी कर दिया है।अब मैं तुम्हारे सारे काम खुद करने लगी हूँ,मेरा पूरा दिन तुम्हारे इर्द गिर्द घूमता है।कब सुबह होती है कब शाम पता ही नही लगता।पहले मेरी हर सुबह तुम्हारे पापा के चेहरे से शुरू होती थी मगर अब तुम्हारे चेहरे से शुरू होकर तुम्हारे ही साथ खत्म होती है।तुम सुबह 9 बजे ही अपने दादू के पास चले जाते हो,धूप में,काले भी हो गए हो😲.रोज धूप में मालिश जो होती है तुम्हारी।रात को 10 बजे मैं तुम्हे ,अपने यानी तुम्हारे कमरे में लेकर आती हूँ।तुम्हारी आदते बदलने लगी हैं,तुम दिन में सोते हो और रात में जागते हो।दिन भर की भाग दौड़ के बाद जब रात को मेरी आँखें बोझिल होने लगती हैं,और मैं सोना चाहती हूं,तब अपनी नटखट शरारतो से ,मासूम मुस्कुराहट से तुम मुझे जगा कर रखते हो,मगर मुझे तुम पर गुस्सा नही बल्कि ज्यादा प्यार आता है,और ये प्यार हर रोज बढ़ता ही जा रहा है।मैने सुना था कि एक माँ कभी नही थकती,कभी नही परेशान होती।अब मा बनी तो जाना कि सच मे एक माँ कभी नही थकती।जब देर रात तक तुम नही सोते तो तुम्हारे पापा भी थक कर सो जाते हैं,मगर मैं आधी रात भर तुम्हे ले कर बैठी रहती हूँ,मेरी आँखें नींद से भारी होती हैं मगर तुम्हे खेलता देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट रहती है।अब तुम बहुत हँसने लगे हो।जब भूख से रोते हुए तुम मेरा इंतेज़ार करते हो और मुझे देखते ही तुम्हारे चेहरे पर संतोष के भाव उभर आते हैं उनको देख मैंद गद हो जाती हूँ।लगता है मैं सबसे ज्यादा खास हूँ।और शायद हूँ भी तुम्हारे लिए,क्योंकि मेरे पास आते ही तुम अपने भाव बदलने लगते हो जैसे बहुत पुराना रिश्ता है हमारा।आज तुम 2 महीने के हुए ।।।और पता है तुम्हारी तबियत बहुत खराब हुई,मैं पूरा पूरा दिन तुम्हे लेकर डॉक्टर के क्लिनिक बैठी रही।कहने को सिर्फ खांसी ,सर्दी हुई मगर मेरी जान निकालने को काफी है।अब तुम बिल्कुल ठीक हो।तुम्हे पोलियो के टीके भी लगे ।तुमसे ज्यादा मैं डर रही थी मगर तुमने बिल्कुल परेशान नही किया।तुम बहुत हिम्मत वाले हो।इस महीने तुम्हारे स्वास्थ्य में बहुत उतार चढ़ाव आये।अब तुम बिल्कुल ठीक हो।दुआ करती हूँ ऐसे ही हसते मुस्कुराते रहो।
तुम्हारी "माँ"


टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने