वो बन्द खिड़की

वो बन्द खिड़की हमेशा के लिए बंद हो गयी थी,जैसे सब कुछ तोड़ने के लिए ही खुली थी वो बन्द खिड़की जो सालों से बंद पड़ी थी।उस खिड़की के परे जैसे जान सी आगयी थी ।जैसे वो कमरा जी उठा था।मगर ये खुशी बस कुछ दिन की ही थी।फिर वही बन्द  खिड़की के पल्ले फिर वही अंदरूनी घुटन।तनुश्री को मुम्बई आये 3 साल हो चुके थे ,जिंदगी खुद में ही सिमटी सी चल रही थी ।अपना पति और बच्चा ।जैसे इसके अलावा कुछ था ही नही।3 साल पहले तनुश्री के पति का तबादला हुआ मुम्बई में।ननये लोग,नए रिश्ते सब कुछ नया।तनुश्री की बेटी नैना के कमरे की खिड़की जो सड़क की तरफ खुलती थी।2 साल की नैना ने कभी वो खिड़की खुली नही देखी।साफ सफाई अंदर से ही हो जाया करती।पहले फ्लोर पे रहती तनुश्री कभी कभार घर के बाहर जाया करती।कुणाल सारे काम खुद जो निपटा देता था।
बस एक दिन तनुश्री कुछ समानलेने नीचे गयी।।।सामने एक ट्यूशन पॉइंट था।तनुश्री ने सोचा नैना की स्कूलिंग के लिए कुछ पूछ आती हूँ।ठिठकते कदमो से तनुश्री पहुंच गई उनके पास।जो उसकी ही हमउम्र थे।कहने को ट्यूशन पॉइंट ठीक घर के नीचे था सामने वाली बिल्डिंग में मगर तीन साल में आज तक तनु ने उनको नही देखा था।एक बहुत ही साधारण व्यक्तित्व वाले मिस्टर मलिक वहां पढाते थे।किराये पर लिया एक कमरा जिसमे जरूरत की चीज़ें थी जैसे एक टेबल ,चेयर्स ,वाइट बोर्ड ।तनुश्री ने पहली बार उनको देखा था ,पहली बार उनसे बात की थी।काफी सरल लगे मिस्टर मलिक।कुछ भी जानकारी लेनी हो इस लिए तनुश्री ने उनको अपना फ़ोन नंबर देदिया था और उनका फ़ोन नंबर लेलिया था।
बहुत दिन निकल गए सब वैसे ही चल रहा था ।एक दिन तनु ने नैना के कमरे की वो खिड़की खोली साफ सफाई के लिए।झाड़ू से खिड़की झाड़ते हुए नीचे नजर गयी तो मिस्टर मलिक का ट्यूशन पॉइंट साफ नजर आया।आज से  पहले कभी उधर नजर गयी ही नही थी तनु की।मलिक अपने स्टूडेंट्स को पढा रहे थे।
अगले दिन तनु ने फिर खिड़की खोली और फिर झाड़ू से साफ करते हुए देखा तो मलिक आज फिर पढा रहे थे।तनु ना चाहते हुए भी रोज वो खिड़की खोलती और रोज मलिक जी को देखती।दिल मे कुछ नही मगर जैसे एक नई आदत बढ़ गयी थी ज़िन्दगी में।
एक दिन व्हाट्सअप पर सारे कॉन्टेक्ट्स को स्क्रोल किया तो एक जानी पहचानी फ़ोटो दिखी।जो मिस्टर मलिक की थी।उस दिन फ़ोन में नंबर ऐड किया था तभी व्हाट्सअप में ऐड हुए होंगे मगर आज ध्यान दिया।अनायास ही एक मैसेज लिख डाला " hi मलिक सर।"
थोड़ी देर बाद मैसेज ग्रीन हुआ ,मतलब पढ़ लिया गया।।जिसका इंतेज़ार तनु बहुत देर से कर रही थी।
उत्तर आया "जी कैसी हैं आप ?
औपचारिक बाते शुरू हुई।बातो बातो में पता लगा कि मिस्टर मलिक तो तनु को 3 साल से ही जानते हैं।।आते जाते बहुत बार देखा।मगर तनु ने ही कभी नही देखा था उनको।
अब रोज मैसेज आने जाने लगे ।धीरे धीरे बाते ज्यादा होने लगी।घर परिवार ,नौकरी ।सबकी।मिस्टर मलिक अभी तक कुँवारे थे।पूछने पर पता लगा की अभी तक कोई पसंद की लड़की मिली ही नही , जिसे दिल ने बोला हो कि ये अच्छी पत्नी साबित हो।
होते होते बात एक दूसरे की तारीफ तक पहुच गयी।मिस्टर मलिक अक्सर बोल देते ,आप साड़ी में खूब जचती हैं तनु जी।और तनु अपनी तारीफ सुन कर शीशे के सामने जाकर खुद को ऊपर से नीचे तक देखा करती और खुद के सुडौल शरीर को देख गद गद हो जाया करती।तारीफ किसे अच्छी नही लगती,वो भी उम्र के इस पड़ाव में जब पति और बच्चे के अलावा दुनिया मे कुछ नजर ही ना आये।व्यस्तता से भरी जिंदगी में जब पति से तारीफ के बोल सुने सालो बीत जाए और ऐसे में कोई खुद आकर कह दे कि ये रंग आप पर खूब फबता है या साड़ी में आप अच्छी लगती हैं तो दिल जैसे आसमान में उड़ने लगता है।
तारीफ का सिलसिला बढ़ने लगा।और मैसेज फ़ोन कॉल में बदलने लगे।तनु अब खुद को अपनी नही मिस्टर मलिक की नजरों से देखने लगी थी।।।अब वो खुद को बेहद खूबसूरत नजर आती।साथ में तारीफ उसे और खुश करती जब वो एक बच्चे की माँ होने के बाद भी इतना सुडौल होना उसे तारीफ का पात्र बनाता। धीरे धीरे  बाते बढ़ने लगी,शायद आकर्षण बढ़ चुका था।तनुश्री अपनी हद और मर्यादा जानती थी,शादी शुदा है एक बच्ची की माँ है,मिस्टर मलिक के लिए ये ऐसी भावनाये सही नही हैं,मगर दिल पर किसका जोर चलता है।एक दिल ही तो है जो बिना परवाह किये अपने फैसले लेता है,दिमाग जितनी मर्जी कोशिश कर ले दिल की आवाज को दबा नही पाता।
मिस्टर मलिक को भी एहसास हो गया था कि तनुश्री ही वही लड़की है जैसी लड़की की चाहत उनको हमेशा से थी।जब भी शादी की बात आती ,मलिक जी साफ बोल देते, ले आओ अपने जैसी ही कोई लड़की तो हम भी कर ले शादी।और तनुश्री शर्मा जाती।भावनाये दोनो तरफ थी मगर स्पष्टीकरण कभी किसी तरफ से नही हुआ।रोज बात होती ,हसी मजाक,अपने दिल की बाते,इतने व्यस्त दिनचर्या से जब खुद के लिए ये थोड़ा समय निकलता तो दोनों को खुशी होती।
आखिर बातो में मलिक जी ने कबूल कर ही लिया,की वो तनुश्री को पिछले तीन साल से जानते है।हमेशा से दिल था कि आपसे बात हो।आपका व्यक्तित्व हमेशा से मुझे अच्छा लगा।
ये एक आश्चर्य वाली बात थी कि तनुश्री ने कभी मलिक जी को नही देखा था।खैर ये रिश्ता बढ़ता जा रहा था,दोनो जानते थे कि इस रिश्ते को नाजायज नजरो से आंका जाएगा मगर दिल के हाथों मजबूर दोनो फिसले जा रहे थे।
महीने बीते ,साल बीते और ये रिश्ता ऐसे ही चलता रहा।
एक दिन एक मेसेज आया जिसने इस रिश्ते को तोड़ कर रख दिया।
"डियर तनु,
तुम्हे बहुत चाहता हूँ मैं,तुम्हे जिस दिन पहली बार देखा था तभी लगा था कि वो तुम ही हो जिसका मुझे इंतेज़ार था।तुम्हारे साथ जिंदगी अच्छी लगती है।तुम्हारे साथ सब कुछ अच्छा लगता है।तुम बिन रहना मुमकिन ही नही।तुम्हे खोने का डर हमेशा परेशान करता है और शायद यही वजह है कि मैंने तुमसे एक बात छुपाई।आज से 3 दिन बाद मेरी शादी है।लड़की को एक नजर भर देखा था मैंने जब घर वालो ने जोर डाला।माँ चाहती है कि अब मैं शादी कर लूं।पता नही तुम कैसे रियेक्ट करोगी इसी डर से बता नही पाया ।तुम ये मत समझना कि इस शादी से मेरी फीलिंग बदल जायेगी,तुम्हे दिल से चाहने लगा हूँ और तुम्हारा हिस्सा दिल मे महफूज रहेगा।अगर मेरा ये फैसला गलत लगे तो हाथ जोड़ के माफी।मुझे माफ़ कर देना।।
तुम्हारा दोस्त
तनुश्री जैसे जड़ हो गयी थी,पता नही क्यों उसे बुरा लग रहा था,मगर क्यों ये सच तो वो दोनों पहले से जानते थे कि एक दिन ये मोड़ जरूर आयगा फ़िर आज इस सच को हजम क्यों नही कर पा रही थी तनुश्री,शायद अपना प्यार अपना समय किसी से बांटना नही चाहती थी वो।आंखों से आंसू बह निकले, दिल मे कुछ टूट सा गया था।शायद कड़वे सच ने झकझोर दिया था तनु को।शायद इस सच ने आईना सामने ला कर रख दिया था।तनु ने वो खिड़की खोली और मालिक जी को जी भर के देखा,दोनो खामोश थे मगर आंखे दोनो की बोल रही थी ,तनु हज़ारो सवाल कर रही थी,और मलिक जी बस जवाब में इतना ही बोल रहे थे प्लीज तुम दूर मत जाना मुझसे।
तनु ने वो खिड़की बन्द कर दी।2 दिन निकल गए रोज खिड़की खुली और रोज बंद हुई,हाँ बाते इन 2 दिनों में बिल्कुल नही हुई।आखिर तीसरे दिन तनुश्री ने मिस्टर मलिक को दूल्हा बने देखा,खिड़की से नीचे झांका तो लोगो को खुशी मानते देखा,मलिक जी भी शेरवानी पहने घोड़ी पर बैठे नजर आए,अपनी ही नजरो में सहमे से मलिक जी ने सेहरा हटा कर ऊपर देखा तो तनुश्री ने झूटी सी मुस्कान से उनको सांत्वना दी।
अब रोज मिस्टर मलिक ऊपर देखते मगर वो खिड़की हमेशा बन्द नजर आई।दिन महीने बीत गए मगर वो खिड़की फिर कभी नही खुली।शायद उस शेरवानी और सेहरे ने तनुश्री को एहसास कराया कि जिंदगी और इस रिश्ते का सच क्या है।इस रिश्ते का वर्तमान और भविष्य क्या है।आखिर उस खिड़की ने तनुश्री से उसका सुकून ,उसका चैन और उसका विश्वास हमेशा के लिए छीन लिया।और उस बन्द खिड़की ने मिस्टर मलिक से इस रिश्ते की सारी उम्मीद छीन ली थी।महीने सालो में बदल गए मगर न वो खिड़की खुली न तनुश्री फिर कभी मिस्टर मलिक को दिखाई दी।

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने