सुनो वापस आजाओ
सुनो ,अब तुम वापस आ जाओ
मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है।पता है आज कितना याद किया तुम्हे ,आज ही क्या पिछले कुछ दिनों से रह रह कर तुम याद आ रहे हो।कितना प्यारा ,कितना अच्छा साथ था हमारा।
याद है वो बीते कुछ साल जो हमने साथ मे बिताए थे।तुम मेरा कितना साथ देते थे। हर जगह ,हर चीज़ में तुम थे मेरे पास।
याद है वो राजपुर रोड ,जब तुम मेरे साथ एक लंबा रास्ता तय करते थे।हम कितने खुश थे साथ।कभी तुम मुझे सिखाते थे,कभी सही गलत बताते थे,कभी मैं तुम्हारी बात मान लिया करती थी ओर कभी अनसुना कर आगे निकल जाती थी ,लेकिन मुझे याद है जब जब मैंने तुम्हारी बात नही मानी मैं पछताई।
याद है E C रोड का TLI institute जहां मैं इंग्लिश सीखने जाया करती थी ,तुम भी तो थे साथ।याद है वो पेड़ जिसके नीचे हम सब दोस्त घंटो बात किया करते थे,तुम भी तो होते थे साथ ,मगर तुम कब आते और कब चले जाते हमे भनक तक ना लगती थी।
याद है वो करनपुर की गलियां जहा एक एक दिन हमने साथ जिया ओर हज़ारो यादें बनाई।
वहाँ का वो लोकल बाजार जो रात को रोज सजा करता था,हम साथ घुमा करते थे । न्यू एंपायर याद है जब वो खुला था और मैंअपने दोस्तो के साथ वहां पिक्चर देखने जाया करती थी,तुम भी तो साथ होते थे ,हर याद बटोरने में।
वो A H A की क्लास,वो दोस्तो का साथ ,वो बातें ओर तुम मुझे फिर से याद आये।सब कुछ कितना प्यारा था।हम एक रेस में दौड़ रहे थे।कभी तुम आगे निकल जाते कभी मैं।लेकिन तुमने मेरे साथ कभी नही छोड़ा था।
लेकिन एक दिन दब बदल गया।तुम अचानक बिना कुछ बताये कहीं चले गए।मैं वहीं की वहीं रह गयी।मैने तुम्हारा बहुत wait किया।सालों तक तुम्हे याद करती रही रोती रही,इस उम्मीद से की तुम आओगे वापस।
मैने बहुत मन्नत मांगी,बहुत पुकारा तुम्हे,तुम अकेले नही गए ठगे,मेरे कुछ दोस्तों को ,कुछ अपनो को मुझसे छीन कर भागे थे।मुझे बहुत गुस्सा भी आया ।लेकिन तुम्हारा मेरा साथ ,हमारा प्यार ज़िंदा था मेरे दिल मे।मैने सालों तक तुम्हारी राह देखी ,तुम नही आये ,तुम्हारी बहुत खोजबीन भी की ,तुम नही मीले मुझे।बाकी सब किसी न किसी मोड़ पर मिले मुझे लेकिन तुम कभी वापस नही आये।
मैं कई बार तुम्हे ढूंढने हर जगह वहां गयी जहां तुम थे मेरे साथ ,लेकिन मुझे वहां भी कोई निशान नही मिला तुम्हारा।तुम निर्मोही हो गए थे तुमने मुझे पलट कर देखा तक नही ,तुम्हारी बहुत बाते याद आयी जब तुम मुझे कहा करते थे ,आज मैं साथ हु तो कदर करो मेरी ,कल चला जाऊंगा तो याद करोगी।ओर मैं बस ठहाका लगा दिया करती थी।क्योंकि मुझे यकीन था तुम नही जाओगे।लेकिन तुम चले गए।
मुझे बहुत याद आती है तुम्हारी ,हर जगह जहां तुम साथ थे।लेकिन तुम शायद किसी बात पर नाराज होकर गए कि कभी वापस नही आये।मैने सब से गुहार लगाई की कोई तुम्हे वापस ले आये ,।
फिर एक दिन किसी ने मुझे कहा ,वापस तो लोग आया जाया करते हैं प्रीति "बीता समय "नही ।
क्योंकि तुम तो वो वक्त थे जो हर पल जा रहे थे।मुझे एहसास तक नही था कि एक दिन तुम चले जाओगे ओर वापस कभी नही आओगे।
प्रीति राजपूत शर्मा
12.जनवरी 2025
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