क्या मुझे फिर से बेच पाओगे
मैं निकली थी रिश्तों के बाजार में
नही कुछ खरीदना नही था
मोल क्या आज कल बस पता करना था
कुछ लोग खरीद रहे थे खुशियां कुछ बेच रहे थे दर्द अपना
दर्द बेचने वालों को कतार लंबी थी
ओर खरीदने वालों की उस से भी लम्बी
मगर क्यों मैं हैरान हुई।आखिर दर्द क्यों खरीदे कोई
पास गई तो थोड़ा ठिठक गयी।
किसी ने कीमत लगाई आसुओं की
किसी ने टूटे दिल की
बदले में मांगी उसकी आगे तक कि खुशी। बदले में मांगी उसकी खुवाहिसे सारी।
मैं भी कुछ खरीदना चाहती थीं
बिना किसी शर्त का प्यार चाहती थी ।
मैं सौदा करने निकली थी ,ज़ज़्बातों का
सब कीमत लगा रहे थे उस प्रीति की
जो मेरे दिल मे थी।
सब बेजजबात से दिख रहे थे ।
टूटे हालात से लग रहे थे।
कोई दिल हार के आया था
कोई अपनो से धोखा खाया था।
सबमे कुछ चीज़ें आम थी ।
जैसे सबकी हस्ती थोड़ी बदनाम थी ।
कोई किसी के दिल को छूना चाहता था।
कोई अभी किसी के जिस्म से निकल कर आया था ।
कोई दिल जीतने की कसमें खा रहा था
कोई अभी दिल हार कर आया था।
भरा हुआ था ये बाजार हर किस्म से ।
मतलबी सी गंध आ रही थी हर जिस्म से
कोई हाथ थामना था किसी का
तो कोई किसी छोड़ कर आ रहा था
कोई जीने की वजह दे रहा था किसी को
कोई किसी को जीते जी मार के आया था
कोई कसमे खा रहा था
कोई सारे वादे तोड़ के आया था।
सब एक नशे में चूर नजर आ रहे थे ।
कोई अहम में चूर था
कोई वहम में चूर था।
मैं किसी के इश्क में चूर थी
शायद इसीलिए मजबूर थी ।
मैंने बताया उस सौदागर को
मैं भी चोट खा कर आई हूं।
मैं अभी अभी टूट कर आई हूँ
जरा ठीक से बोली लगाना मेरे इस टूटे दिल की।
मैं अभी किसी को छोड़ कर आई हूँ।
क्यों लेकिन ,उसने पूछा
क्योंकि मेरे हसने की कीमत थी
मेरे चाहने की कीमत थी
मेरी मोहब्बत की कीमत थी
मेरी कसमो की मेरे बादो की
मेरी बातों की,हर मुलाकातों की
मेरे गले लग जाने तक कि कीमत थी।
क्यों ठहर जाती भला वहां ओर
वहां मेरे सर्फ देने तक कि कीमत थी।
रिश्तों में समझ आयी समझदारी थोड़ी देर से
मैं देती रही तो उसकी थी
जब मैंने वापस खुद को मांगा तो
भला मैं किसकी थी
अब बताओ क्या कीमत लगाओगे
क्या इस लाश को अब बेच पाओगे
मैं फिरसे कुछ दिन हंसना चाहती हूं।
मैं फिर से इस बाजार में बिकना चाहती हूं ।
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