मैं प्यार

 मैं एक एक कर के सबके पास गया।

किसी ने मुझे दूर से देखते ही बाहें खोल दी

और किसी ने ,दरवाजा मेरे मुंह पर ही बंद कर दिया।

मैने बहुत बार खटखटाया,

एक बार ,अंदर तो आने दो ,

इस बार ऐसा कुछ नही होगा जिस से तुम्हे तकलीफ हो

मगर उसने मेरी एक ना सुनी।

मैं थक हार कर फिर वही लौट जहा अभी 

कुछ देर पहले ही मैं उसे रुला कर आया था 

मैने बोला आजाऊँ क्या,

वी मुस्कुराई और मुझे आने दिया।

वो शायद जानती भी थी ,मैं फिर जाऊंगा 

उसे और दर्द देकर ,पता नही क्यों वो फिर भी 

मेरे साथ रहना चाहती थी।

मुझे क्या 

मैं भी रुक गया उसके घर ,।

वही सिलसिला फिर शुरू हुआ

साथ रहना,साथ हंसना,साथ घूमना,बहुत सारी बाते करना

एक दूसरे पर आंख बंद विश्वास ,और जान लुटाना

वो भी बहुत खुश थी ,आखिर कौन ना होता

लेकिन एक दिन अचानक 

फिर मुझे किसी और ने आवाज दी।

मैं रह ना पाया मुझे जाना था,कैसे भी 

मैने बहुत बहाने बनाये ,उसमे बहुत कमिया निकाली

उसको बहुत बार नीचा दिखाया,

बहुत सारी साथ ना रह पाने की वजह बताई 

वो फिर रोने लगी ,गिड़गिड़ाई

अपना आत्मसम्मान,अपनी आबरू,अपनी रूह सब सौपी थी उसने मुझे ।

मगर ना जाने क्यों मुझे उस पर तरस तक नही आ रहा था

मैं जाना चाहता था उस नई आवाज के पास जो बार बार 

मुझे बुला रही थी ,सपने दिखा रही थी 

खुद को इस से ज्यादा अच्छा बता रही थी 

भला कैसे न दिल बहकता मेरा।

मैं हाथ छुड़ाना चाहता था,कैसे भी जाना चाहता था।

बहुत लड़ाई हुई,मैने उसे खूब सुनाया उसने मुझे खूब ताने दिए

हम दोनों ने एक दूसरे में सारी कमिया गिनवाई।

फिर वो घुटनो पर बैठी,रोई और चीखी

मत जाओ मुझे ऐसे रुला कर ।मैं फिर कभी तुम्हारे लिए

दरवाजा नही खोल पाऊंगी ।

मैं कभी तुम्हे खुद में जगह नही दूंगी।

फिर भी मैं चल दिया 

बिना पीछे मुड़े

मैने उस आवाज के पास जाकर उसे गले लगाया

वो खुश थी मुझे पाकर, मैं भी 

मुझे उस की याद तक नही आई ।

मैं इसके साथ खुश था

ये मेरे लिए हर वो चीज़ कर रही थी जो 

मैं उसके लिए करता था।

कितनी अच्छी है ये ।

सब अच्छा चलता रहा ,एक दिन 

वो मुझे बोली,मैं जाना चाहती हूं।

बिना वजह बताए ,

जैसे अतीत मेरी आँखों के सामने था।

जो मैंने किया वही मुझे मिल रहा था

वो मुझे रोता छोड़ चली गयी ।

मैं "प्रीति", हाँ "प्रेम"

वही जिसे तुम प्यार ,मोहब्बत ,इश्क कहते हो 

मैं अब किसका दरवाजा खटखटाउ

मैने कितनो का दिल तोड़,और कितनो ने मुझे ठुकराया।

वही प्यार,जिसे कुछ लोग बार बार आने जीवन मे आने देते हैं

और बार बार रोते है।

वही प्यार ,जिसे कुछ लोग दूर से आ स्वीकार कर देते हैं 

जो अपना सबक सीख चुके होते हैं

लेकिन मैं हार नही मानता 

मैं बार बार जाता हूँ 

एक नया दिल ढूंढता हूँ।

क्योंकि मैं प्यार बार बार होता हूँ

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने