बेचैन सी हूँ मैं
हाँ थोड़ा बेचैन हूँ मै,
इन बदलते हालातो से थोड़ा परेशान हूँ मैं।
कितने अपने खो रहे है,कितने दूर हो रहे हैं।
कभी कुछ मिलने की खुशी सी आती है
और कभी कुछ चीज़ें बुरी सी हो जाती हैं
थोड़ा घुटन सी हो रही है।
अब दिल मे चुभन सी हो रही है।
एक साधारण इंसान जो हूँ मैं।
शायद इसीलिए बेचैन हूँ मै।
इस बुरे वक्त में सब बदल रहा है।
यकीन से परे सब हाथों से फिसल रहा है।
कुछ अलविदा कहकर दूर हो रहे हैं।
और कुछ ऊपरवाले के बुलावे पर हाज़िरी दे रहे हैं।
जो भी है बस दर्द से भरा है।
ये चलता समय कुछ बुरा सा है।
अब इन हर रोज़ के हादसों से परेशान सी हूँ मैं।
हाँ थोड़ी बेचैन सी हूँ मैं।
कभी अपनो की फिक्र सता रही है,
कभी जिंदगी मुश्किल नजर आ रही है।
अपनो को खोने का डर सता रहा है।
अब बस अनहोनी की आहट डरा रही है।
बुरे खयाल दिल में डेरा बना रहे हैं।
बस इसीलिए जिंदगी से नाराज सी हूँ मैं।
हाँ थोड़ी बेचैन सी हूँ मैं।
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