याद है ?

 याद है?

जब तुम तुम थे ,और मैं बस मैं थी

फिर तुम मैं हुए ,और मैं तुम होने लगी।

अब तुम मुझे जानने लगे और मैं तुम्हे,

अब तू मुझे हंसाने लगे और मैं तुम्हे हंसाने लगी।

याद है?

दूरियां कितनी थी दरमियां हमारे 

फिर तुम बुलाने लगे ,और मैं करीब जाने लगी।

अब अच्छी मीठी,प्यारी बस यही बाते थी हमारी,

तुम मेरी आदतें बदल रहे थे ,और मैं तुम्हारी दुनिया बदलने लगी

याद है?

कितनी बार तुम मुझे जीने का सहारा बोल दिया करते थे

मैं कितनी खास हूँ,ये बताया करते थे।

अब मेरी दुनिया भी कहाँ रह गयी थी पहले जैसी

सब कुछ बदल गया था ,और मैं भी बदलने लगी।

याद है?

तुम अब मेरी आँखों से खुद को देखने लगे थे

और मैं तुम्हारी आँखो से ये दुनिया देख रही थी

बस तुम,मैं और मैं तुम।

ये कहानी ऐसे ही चलने लगी।

याद है?

मैं और खूबसूरत होने लगी थी तुम्हारी हर बात में

और तुम ,तुम तो दुनिया मे अलग से थे मेरे लिए।

मैं तुम्हारा पुराना दबा सपना सी,अब पूरा हो रही थी।

और तुम्हारी ज़िन्दगी अब मेरी होने लगी।

याद है? 

कितने खुश और खुशनसीब से थे हम तब

जब तुम मुझमे और मैं तुम में पूरी होने लगी

अब दिन बदलने लगे थे तो हम क्यों नही,

बाते खोने लगी,पुरानी होने लगी

याद है? 

तुम भी वही थे,मैं भी तो वही थी।

बस वो न रही जो बात तब हो रही थी।

मायने बदलने लगे और एहमियत खोने लगी

शायद ज्यादा मुहब्बत अब कुछ ज्यादा होने लगी

याद है?

अब तुम मेरे होकर भी मुझे मेरे नजर नही आ रहे थे 

मैं पूरी थी प्यार में तुम्हारे ,और तुम मुझे अधूरा बना रहे थे

बाते कम ,मुलाकाते कम,सब कम ही तो होने लगा 

तुम अपनी दुनिया मे खोने लगे और मैं इतज़ार में खोने लगी।

याद है?

ये आखरी पड़ाव था जो हम दोनों देख रहे थे

न मैं रुक रही थी ,न तुम रोक रहे थे।

दोनो एक होकर भी अलग छोर पर थे आज

तुम अलग राह पर,मैं अलग राह पर 

लो एक बार फिर ,तुम तुम होने लगे 

और मैं बस मैं होने लगी।


प्रीति



टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने