आंसू बनकर आये

 रात तुम आंसू बनकर आये ।

जब याद तुम्हारी सता रही थी

हर पल मुझे रुला रही थी।

तुम पास होकर भी नजर नही आये

रात तुम आंसू बन कर आये।

जरा बताओ ,ये आदत जो बन गए हो,

मैने मांगा था,या खुद चले आये हो,

कल जहा तुम खड़े थे मेरे लिए

आज वहां मेरे अक्स नजर आए

रात तुम आँसू बनकर आये।

मेरी तो ना बातों में थे तुम,न किसी चाहत मे शामिल थे

तुमने जबरन मुझे अपनी यादों में जकड़ा था।

आज मेरी हर धड़कन जब तुमसे धड़कती है

तो अचानक क्यों बदलते नजर आए

रात तुम आंसू बनकर आये।

मैं तो मशरूक थी अपनी ही एक दुनिया मे

तुम अजनबी थे मैं अजनबी थी।

एक दिन यू आहट की दिल मे तुमने

और मेरी जिंदगी की एक प्यारी वजह बन गए

रात तुम आंसू बन कर आये।

जरा एक बात बता दो,

मैं जरूरत हूँ या जरूरी हूँ तुम्हारे लिए।

जरा मुझे यकीन दिला दो।

की चाहत हूँ या मोहब्वत हूँ तुम्हारे लिए।

ताकि मुझे हर अक्स साफ नजर आए।

रात तुम आंसू बनकर आये।

ये इनतजार  न कल ग़वारा था ना आज मंजूर है,

ये तड़प न काल गंवारा थी न आज मंजूर है।

अब साफ बता दो ,तुम आओगे या मैं आदत बदल दूं अपनी

ताकि न मैं तड़पु तेरे लिए और ना तू मजबूर नजर आए।

रात तुम आंसू बनकर आये।

"प्रीति" मेरी क्या अब चुभने लगी है तुमको

मेरी जरूरत क्या अब खलने लगी है तुमको।

फर्क सा लगने लगा है इस सिलसिले में मुझे

कल जो मेरे लिए तड़प थी तुम्हारी ,आज वो मेरी आँखों मे नजर आए

रात तुम आंसू बनकर आये।

चलो एक काम करते है

इस किस्से को विराम करते हैं। 

न तुम उम्मीद रखो दिल नवाज़ी की

न मैं तुम्हारी तरफ देखूं किसी उम्मीद नजरों से

कुछ ऐसा करो जानम न तुम मुझे नज़र आओ

न मेरे आंसू तुम्हे नजर आए।

रात तुम आंसू बनकर आये।

प्रीति


टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने