जानम चलो एक काम करते हैं

 जानम चलो एक काम करते है।

इस मोहब्बत को अब नीलाम करते हैं

ना तुम रहो मेरे प्यार की बंदिशों में 

ना मैं खुद को कैद रखूं तुम्हारे खयालों में।

चलो उन देखे ख्वाबों को भी आज़ाद करते हैं

जानम चलो एक काम करते हैं

बस हुआ बस अब बहुत,

शायद यही अंजाम बाकी था

तुम मेरे होकर भी मेरे नही

और मैं चाह कर दूर बहुत

चलो अब इन दूरियों ही मुक्कदर में शामिल करते है

जानम चलो एक काम करते हैं

इस मोहब्बत को अब नीलम करते हैं।

ना तुम ख्वाब देखो अब मेरे कभी 

ना मैं नज़दीकियों को महसूस करूँ 

ना तुम और मैं हम बने अब

ना जिंदगी भर दीदार करूँ कभी

चलो अब अगले जन्म का इनतेजार करते हैं

जानम चलो एक काम करते हैं।

क्यों बाँधूँ तुम्हे अपने प्यार के दामन में यू

क्यों रंगू तुम्हे इस पागलपन में यू।

ये मेरी चाहते हैं मुझ तक ही रहने दो

क्यों समेटु तुम्हे अपने खयालों के जाल में यूं

चलो अब इन बंदिशों को नाकाम करते है।

जानम चलो एक काम करते हैं।

इस मोहब्बत को अब विराम करते है 

बेवफा तो नही हो तुम ये मेरा दिल जानता है।

फिर भी वफ़ा के लिए बेकरार हूँ मैं

साथ होकर भी मेरे साथ नही होते 

शायद इसीलिए थोड़ा परेशान हूँ मैं।

चलो अब इस "प्रीति" को यहीं अब खत्म करते हैं।

जानम चलो एक काम करते है।

इस मोह्हबत को अब विराम करते हैं।

प्रीति



टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने