मैं प्यार
मैं एक एक कर के सबके पास गया। किसी ने मुझे दूर से देखते ही बाहें खोल दी और किसी ने ,दरवाजा मेरे मुंह पर ही बंद कर दिया। मैने बहुत बार खटखटाया, एक बार ,अंदर तो आने दो , इस बार ऐसा कुछ नही होगा जिस से तुम्हे तकलीफ हो मगर उसने मेरी एक ना सुनी। मैं थक हार कर फिर वही लौट जहा अभी कुछ देर पहले ही मैं उसे रुला कर आया था मैने बोला आजाऊँ क्या, वी मुस्कुराई और मुझे आने दिया। वो शायद जानती भी थी ,मैं फिर जाऊंगा उसे और दर्द देकर ,पता नही क्यों वो फिर भी मेरे साथ रहना चाहती थी। मुझे क्या मैं भी रुक गया उसके घर ,। वही सिलसिला फिर शुरू हुआ साथ रहना,साथ हंसना,साथ घूमना,बहुत सारी बाते करना एक दूसरे पर आंख बंद विश्वास ,और जान लुटाना वो भी बहुत खुश थी ,आखिर कौन ना होता लेकिन एक दिन अचानक फिर मुझे किसी और ने आवाज दी। मैं रह ना पाया मुझे जाना था,कैसे भी मैने बहुत बहाने बनाये ,उसमे बहुत कमिया निकाली उसको बहुत बार नीचा दिखाया, बहुत सारी साथ ना रह पाने की वजह बताई वो फिर रोने लगी ,गिड़गिड़ाई अपना आत्मसम्मान,अपनी आबरू,अपनी रूह सब सौपी थी उसने मुझे । मगर ना जाने...