क्योंकि हिंदी मेरी पहचान है


आज जिस विषय पर मैं लिख रही हूँ उस से कुछ लोग पूर्णतया असहमत होंगे ,और कुछ सहमत भी।बहुत दिनों से इस विषय पर विस्तार से लिखने की इच्छा थी लेकिन समय के अभाव के कारण लिख नही पाई।आज मेरा ये लेख दो भाषाओं पर आधारित है।।
कुछ सालों से मैंने खुद महसूस किया कि हमारे देश मे अंग्रेजी ने हिंदी को पछाड़ सा दिया है।
अंग्रेजी सीना चौड़ा किये ,घमंड से घूमती नजर आती है वहीं मेरी हिंदी शर्म महसूस कर के घर के कोने में छुपी सी लगने लगी है।कौन है इसका जिम्मेदार।
इस विषय पर कुछ ज्यादा कहने से पहले मैं अपना एक पक्ष जरूर रखना चाहती हूं।मैंने खुद अंग्रेजी में उच्च शिक्षा ली है बल्कि ले रही हूँ।english literature से double M.A, english UGC NET, की तैयारी साथ ही अंग्रेजी में जल्दी ही .phd. लेकिन ये भी बता दूं कि किसी भी इतिहास या किसी भी साहित्य को अपनी जानकारी के लिए पढ़ना कभी गलत नही होता।इसका कारण ये भी रहा कि जब मैंने इस विषय का चुनाव किया उस समय मुझे ये समझ नही थी जो आज है।मैंने एक अंग्रेजी शिक्षिका के रूप में भी काम किया लेकिन अपने विद्यर्थियों को हमेशा यही समझाया कि कोई भी भाषा का ज्ञान सिर्फ उतना लो जितना जरूरी हो।मगर अपनी हिंदी को कभी मत भूलो।अंगेजी को एक भाषा की तरह पढो जो हमारी शिक्षा में शामिल की गई है।उसे अपने जीवन पर राज मत करने दो।अंग्रेजी शिक्षिका होकर भी मैंने हिंदी को हमेशा सर्वोच्च रखा है क्योंकि मैं हिंदुस्तानी हूँ और हिंदी सिर्फ मेरी मातृ भाषा ही नही मेरी पहचान भी है।लेकिन आज के दौर में जिसे अंग्रेजी नही आती उसे नीची नजरो से देखा जाता है।उसके व्यक्तित्व को कम आंका जाता है।अंगेजी में बात करना जैसे खुद को बड़ा ,समझदार और पढा लिखा समझने वाले लोगो से मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं।कि शर्म वो मत करो जिसे अंग्रेजी बोलनी नही आती बल्कि शर्म की बात तो उनके लिए है जिन्हें हिंदुस्तानी होकर भी अपनी ही भाषा हिंदी लिखनी या बोलनी नही आती।
आपने कई बार देखा होगा ,जो लोग या जिनके बच्चे हिंदी गिनती,या हिंदी अक्षर बोल या लिख नही पाते उनके माता पिता घमंड से मुस्कुराते हैं और अपने बच्चे के इंग्लिश मीडियम स्कूल की फीस और स्टेटस बयान करने लगते है।उनको हिंदी नही आती अंग्रेजी आती है ये आज कल माता पिता के लिए गर्व की बात होने लगी है।वो उन माता पिता को नीची नजर से देखने लगे हैं जिनके बच्चे अंग्रेजी नही बोल पाते बल्कि मैं तो कहूंगी शर्म की बात है उन हिंदी ना बोल पाने वाले बच्चों के माता पिता के लिए।जो जिन्दुस्तानी होते हुए भी अपने बच्चो को हिंदी शिक्षा देने में असफल हैं।
आज जब बात चली तो मुझे एक वाक्या याद हो आया,जब मैं और मेरे पति विदेश गए वहां एक सिक्ख लड़का अंग्रेजी नही बोल पा रहा था।होटल का मैनेजर और स्टाफ उसकी बात नही समझ ओआन रहे थे और न ही वो लड़का उनकी बात समझ पा रहा था,तब वो होटल स्टाफ उस लड़के पर हंसने लगे,ये सब मैं और मेरे पति देख रहे थे,एक दूसरे देश मे अपने देश को अपमानित होते हुए देखना मेरे बस की बात नही थी।मैंने पहले उस सिक्ख लड़के को वो बात समझाई जो होटल स्टाफ उसे बता रहा था।उसके बाद मैंने उस स्टाफ को उनकी ही भाषा मे खूब फटकार लगाई और उनको कहा आप हंस रहे हैं क्योंकि उसे अंग्रेजी नही आती और मुझे आप पर हंसी आती है कि आपको हिंदी नही आती।
उस दिन बस यही सीखा की अंग्रेजी को पढो जरूर ,सीखो जरूर लेकिन उतना जितना आवश्यक है।अगर अंग्रेजी को international language समझ कर अनिवार्य किया गया है इसका मतलब सिर्फ इतना है कि हम देश या विदेश के किसी कोने में जाकर असहाय ना महसूस करे।सब अपनी बात कहने और दूसरे की बात समझ पाने में सक्षम हो।नाकि एक दूसरे को आंके।लेकिन आज के समय मे हिंदी ना आना गर्व और अंग्रेजी ना आना अपमान।
हिंदी इकाइयों को आज के बच्चे समझ भी नही पाते क्या ये शर्म की बात नही की उनको उनचास समझ नही आता फोर्टी नाइन समझ आता है।
ज्ञान कोई भी बुरा नही मगर ज्ञान के चलते किसी को नीचा दिखाना या खुद को ऊंचा दिखाना गलत है।कहने को हम हिंदुस्तानी स्वतंत्रता दिवस मानते हैं,लेकिन जब भाषण देते हैं तो अंग्रेजी  भाषा मे ,तो फिर किस चीज़ से स्वतंत्रता पाई हमने।जिन अंग्रेजो से भारत की जीत को स्वतंत्रता बोलते हैं।उस जीत को अपनी भाषा मे व्यक्त तक नही कर पाते।हिंदी दिवस को अंग्रेजी में संबोधित करते हैं।यहां तक कि अपना परिचय अंग्रेजी में देना हमारे लिए गर्व की बात होती जा रही है।
मिसेज उत्तराखंड के कांटेस्ट में जब मैंने अपना परिचय स्टेज पर हिंदी में दिया तो लोगो ने मुझे ऐसे देखा जैसे मैं उन पढ़े लिखे लोगों में कोई अनपढ़ गवार खड़ी हूँ।आखिर क्यों।
ये सब सोच कर दिल दुख जाता है कि आज अपने ही हिंदुस्तान में हमारी हिंदी क्यों लज्जित होती है।
सबसे मेरा अनुरोध है चलिए अपनी हिंदी भाषा को शर्मशार होने से बचाते है।चलिए अपनी हिंदी को सम्मान दिलाते हैं।
समय आ गया है।इस युद्ध को जीतने का।अंग्रेजी पर हिंदी को विजय दिलाने का।
क्योंकि हिंदी ही हमारी पहचान है।
हिंदी हैं हम हिन्दोस्तान हमारा।
जय हिंद ,जय भारत


टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने