माँ तू बहुत याद आती है


हाँ माँ, तू बहुत याद आती है,
जब सब हारा सा लगता है,जब सब बिछड़ा सा लगता है
बस तू पास नजर आती है।
आज मैं भी एक माँ हूँ ,ओ माँ
एक नन्ही जान की जान हूँ माँ
वो रोये तो आँचल में दौड़ आता है,
हर जरूरत में पास चला आता है।
कुछ दुख हो या दर्द हो ,मेरे आँचल में समा जाता है माँ
तेरा किरदार मुझे याद हो आता है
जब मेरे पैर पकड़ वो खड़ा हो जाता है
जिद करता है रसोई में ,और चीनी के डब्बे से चीनी खाता है
बस मुझे मेरे बचपन याद हो आता है माँ।
तेरा किरदार खुद में नजर आता है माँ।
जब जब वो रो कर मुझसे दिल की बात कहता है।
मुझे तेरी बांहो का झूला याद आता है।
मैं किस से कहूं ,की मुझे भी जरूरत होती है
हाँ माँ तू बहुत याद आती है।
जब कभी इस भीड़ में खुद को अकेला पाती हूँ,
सबके होते हुए भी मैं अकेले में रोती हूँ।
दिल भारी बड़ा हो जाता है,जब अपनो के बीच पराई हो जाती हूँ।
जब कभी जरा सी बात पर भी अदालत लगती है
जब कभी बिन गलती के भी सजा मिलती है।
हाँ माँ तू बहुत याद आती है।
और याद आती है तेरी सीख मुझे कि
गलती हो तो सर झुका के खड़े हो जाना।
पर बिन गलती कभी सजा न पा लेना।
लेकिन न पापा ना तू जब नजर आती है माँ।
तो डर कर तेरी बेटी सहम जाती है माँ।
मेरे चुप होने को मेरा गुनाह करार मिलता है,
मेरे सही होने पर भी सजा मिल जाती है माँ
हाँ तू बहुत याद आती है माँ।
ये मेरा छोटा सा संसार बड़ा निराला है।
यहां सबके हाथो में विष का प्याला है।
कभी अपार "प्रीति" की अनभूति होती है।
और कभी सबके होते हुए तेरी बेटी अकेली होती है।
कभी थोड़ी मीठी बाते सुनने को मिल जाती हैं।
और कभी हर शब्द में कड़वाहट घुल जाती है।
हाँ माँ तब तू बहुत याद आती है।
तेरा आँचल याद आता है ,तेरी ममता याद आती है।
पापा का लाड़, तेरा प्यार ,भाई बहनो की तकरार
सब याद हो आती है।
हाँ माँ तू बहुत याद आती है।
miss u mummy।


टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने