फेसबुक वाला फ्रेंड

सन 2009 जब हर रोज 9.30 बजे ज़ी tv पर एक धारावाहिक "पवित्र रिश्ता" आया करता था।मैं और मेरी दोस्त स्वाति लगभग दौड़ कर 9.15 तक रूम पर पहुचते।levis में उस वक्त मैं स्टोर मैनेजर हुआ करती थी ,और स्वाति aureliya स्टोर मैनेजर।आते ही सबसे पहले हमारा वो खुद की कमाई से खरीदा छोटा सा कलर् tv खुल जाया करता था।बस 2 चैनल ही हम देखा करते थे कलर्स और ज़ी टीवी।
पवित्र रिश्ता में मानव का लीड रोल प्ले कर रहे शुशांत का किरदार सबको पागल कर रहा था।उन पागलो में से एक मैं भी थी।उस वक्त तक सुशांत सिर्फ नाम कमाने की पहली सीढ़ी चढ़ रहा था शायद इसीलिए उसके फेसबुक एकाउंट तक पहुंच पाना मेरे लिए आसान हुआ और लगभग 5 दिन बाद मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट सुशांत ने एक्सेप्ट की।उन दिनों सुशांत मेरे दिल दिमाग पर मेरा ड्रीम हीरो बनकर छाया हुआ था।उसके व्यस्त होने के कारण कभी कभी उस से बात होती ।मगर मेरे लिए ये हमेशा सबसे बड़ी बात होती थी।आखिर मैं एक फैन ही तो थी।शायद उसको भी नया नया क्रेज था अपने फैन्स से बात करने का।हर एपिसोड के साथ मैं उसकी और बड़ी फैन होती जा रही थी।
तभी मेरी लाइफ में एक नई एंट्री हुई।हर रोज एक लड़का आस पास दिखने लगा।आफिस से घर जाते हुए ।और दिन में कई बार स्टोर के आस पास।स्वाति और मैं अक्सर उसके बारे में बात करने लगे।उसकी चेक की शर्ट, ढीली सी जीन्स।लंबे बाल ,ऊंचा कद,सब पवित्र रिश्ता के मानव जैसा दिखता।
कुछ दिन बाद फ़ोन पर msg आने लगे और पता लगा कि ये वही लड़का है और हमने बिना उसका नाम जाने से मानव नाम देदिया।
कुछ महीनों बाद मानव मेरा दोस्त बन गया।तब पता लगा कि मानव का नाम विशाल है।जब फेवरेट हीरो जैसा कोई असल जिंदगी में आपके जीवन मे आजाये तो आपको उस से ज्यादा अच्छा और क्या लगे।धीरे धीरे सुशांत से बात कम होने लगी थी क्योंकि उसके फैन्स बढ़ने लगे थे।ज्यादा लोगो की पसंद बढ़ने के कारण उसका फेसबुक अकाउंट बन्द हो गया लगभग 2 साल हम फेसबुक फ्रेंड रहे।मुझे थोड़ा दुख जरूर हुआ था कि मैंने एक दोस्त खो सा दिया था ,लेकिन मैं उसकी इतनी अच्छी दोस्त भी कहाँ थी कि उसका कोई फ़ोन नंबर मेरे पास होता।
तब विशाल ने मुझे एक वादा किया कि एक दिन वो मुझे सुशांत से जरूर मिलवाएंगे।
खैर अब मैं इस मानव के साथ अपनी दोस्ती जी रही थी ।
कुछ साल बाद कुछ हालातो के चलते मेरा सबसे अच्छा दोस्त मेरा जीवन साथी बन गया।विशाल से मानव अब सच मे मानव बन गया था,उसके दोस्त भी अब उसे मानव बोलते।यहां तक कि कितने साल बाद मेरे मायके में सबको पता लगा कि मेरे पति का नाम मानव नही विशाल है,हाँ मानव और मेरी शादी बड़ी धूम धाम से हुई।मैं अब उस अलसी मानव को भूलने लगी थी।बस अब वो मेरा फेवरेट हीरो बनकर रह गया था।और लगातार ऊंचाइयों को छू रहा था।फिल्मी जगत में वो अपनी खासी पहचान बना चुका था।फ़िल्म पर फ़िल्म।मैं खुश थी कि मेरा कुछ दिन का बना  फेसबुक फ्रेंड इतना फेमस हो रहा था।
आज 10 साल बाद अचानक से मैं हिल गयी जब सुना कि सुशांत ने खुदकुशी कर ली।मुझे यकीन ही नही हो रहा कि वाकई इतनी जल्दी इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचने वाला सुशांत ऐसे जिंदगी की जंग हार गया।काश इंजीनियरिंग का वो होनहार छात्र कभी इस चमकते खोखले बॉलीवुड में आया ही ना होता।तो आज 4 बहनो का अकेला भाई, पिता का अकेला सहारा इस तरह हार ना गया होता।
खैर मानव से जाकर मिलने का सपना सपना रह गया।अब मेरे मानव का किया वादा कभी पूरा नही हो पायेगा।
जो भी ये समझते हैं कि जो लोग हालात का सामना नही कर पाते वही लोग आत्महत्या करते हैं मैं उनसे यही कहूंगी की कमजोर नही बल्कि बहुत स्ट्रांग लोग ही आत्महत्या करते हैं।वरना खुद मरना कहाँ हर किसी के बस की बात है।
मैं दुखी हूं कि मैंने अपने फेवरेट हीरो ही नही बल्कि अपने एक दोस्त को भी खो दिया।
तुम हमेशा याद रहोगे सुशांत,और मेरे पति विशाल को दिए नाम मानव में तुम हमेशा मेरे लिए जिंदा रहोगे।
श्रधांजलि।





टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने