आज गाँव फिर रो पड़ा
आज फिर आंसू निकल पड़े उस गांव के जो वर्षों पहले भी रोया था।बस तब आंसू जुदाई के थे और आज मिलनें के।
सालों पहले उसी गाँव ने तो विदा किया था अपने न जाने कितने नौजवान बच्चो को ताकि वो शहर जाकर शिक्षा ले,नई तकनीक सीखें और वापस आकर इस बूढ़े गाँव की काया सवांर दे।लेकिन दिन,महीने ,साल और आंसुओ भरी रात सिसकियों में निकलने लगी।वो बच्चे फिर उस गाँव की गोद मे खेलने नही आये,उसको ऐसा भूले की उसके हालचाल तक पूछने ना आये।गांव फिर भी अपमानित होता रहा,जाहिल गवांर, गंदा,भद्दा,असभ्य और ना जाने कितने अपमान सहता रहा।उसी की गोद मे उसी की गलियों में खेले बच्चे अब उसका गन्दा बताने लगे।उस गांव के हर घर के कोने में रखे घड़े का शीतल पानी अब उनको कीटाणुओं से भरा लगने लगा,वो कच्ची छत और कच्ची दीवार जमनीं वाले घर अब उनके महंगे कपड़े गन्दे करने लगे जो बिना ac कूलर के ठंडक देते थे,अब वो पेड़ धूल गिराते हैं जिनकी छाव में खेल कर बड़े हुए।अब घर मे पलने वाली वो गाय भैंस उनको बदबूदार लगने लगी वही घर मे अपने ही बिस्तर में सोने वाले कुत्ते घर के सदस्य।आज वो ताऊ चाचा का बिन बताये घर आजाना एक दूसरे की छतों से झांकना प्राइवेसी को खत्म करना लगता है।क्योंकि अब वो नौजवान शहरों की चकाचौंध से प्रभावित जो हो चुके थे।गांव का एहसान तो कब का भूल गए थे,की कैसे गांव ने कम खर्चे में उनको पाल पोस कर बड़ा कर के इस उम्मीद से शहर भेजा था कि कल ये बच्चे इसकी हालत सुधारेंगे, उसे उन्नत बनाएंगे,स्कूल,हॉस्पिटल,हर सुविधा देंगे ताकि आगे इस गांव को अपने बच्चो की जुदाई न सहनी पड़े।फिर सब यहीं एक छत के नीचे खुश हाल जीवन जी सकें।बड़े बड़े घर आंगन खेत खलिहानो को छोड़ कर शहर की तंग गलियों में बने चुरमुन्द घरों के एक एक कमरों में जीवन व्यतीत ना करना पड़ेगा।ताकि फिर वो गाँव अकेले पड़े बूढ़े माता पिता की सिसकिया नही सुनेगा।
लेकिन ये क्या हुआ,वो तो लौट कर ही नही आये।वहीं अपना घर बसा लिया।अपनी पढ़ाई का इस्तेमाल अपनी फसल बढ़ाने नही बड़ी बड़ी फैक्ट्री से प्रदूषण बढ़ाने में करने लगे।शहर छोड़ो दूसरे देशों को उन्नत बनाने लगे और ये गाँव आज फिर वैसा ही रह गया।
ये तो वही बात हुई घर मे माँ बाप भूखे रहे और हमने मन्दिर में भंडारा करा दिया।
ये सब चलता रहा,बच्चे बड़े होते रहे और ये गाँव उनको इसी उम्मीद में शहर भेजता रहा कि कोई होगा जो लौट कर आयगा।लेकिन कोई नही आया सबको गांव की स्वच्छ हवा नही शहरों की धूलभरी हवा में सांस लेने की आदत हो गयी।डब्बो में भरा ताज़ा दूध तो अब अस्वछ लगने लगा।अमूल के पन्नी के बने पैकेट में भरा कैमिकल का दूध स्वच्छ लगने लगा।
बिना धुआं करने वाली बैल गाड़ी उन धुंआ छोड़ते मोटर कार के सामने उनके व्यक्तित्व को शर्मिंदा करने लगी।
गांव के खेल अब शर्म से कोनो में दुबक गए।शहर के मोबाइल और वीडियो गेम उनको चिढ़ाने जो लगे थे।
गाँव दिन पर दिन बूढ़ा होने लगा।उसकी दीवारे ढहने लगी,पेड़ गिरने लगे,खेत बंजर होने लगे।और जो कुछ लोग गांव में रह गए,वो गवांर कहलाने लगे।उनके शहर गए अपनो का आना कम हुआ फिर बन्द हुआ।उनको डर सताने लगा कि उनके मा बाप को हेलो बोलने वाले बच्चे गांव के बच्चो को नमस्ते करता देख गवांर हो जाएंगे।
उनके बच्चो को डर सताने लगा कि हम बिना रोक टोक के घूमने वाले आज़ाद बच्चे ,गाँव मे बड़ो की आज्ञा मानने वाले बच्चो की तरह बंदिश महसूस करेंगे।
वो गांव वाले लोग डरने लगे कि वो शहर से लौटे अपने लोग उनको गवांर कहकर बुलाएंगे।
और हां अब तो वो गांव भी डर गया कि वो सभ्य लोग उसे फिर असभ्य बोलेंगे।
लेकिन चक्र घुमा,कोरोना ही सही,वो गाँव की और लौटे,हज़ारो की तादात में।पैदल ही सही,मीलो दूर चलकर,
गांव की आंखे फिर बह उठी लेकिन इस बार आंसू खुशी के थे।
आज फिर उन नौजवानों को गाँव सुरक्षित लगा।बिल बढती बिजली से वो पेड़ो की ठंडी हवा जीती,
वो पैकेटों का सड़ता दूध,ताज़ा मीठे दूध से हार गया।
वो बैलो से चलती गाड़ी उस पेट्रोल भरी गाड़ी से जीत गयी।
वो हवा बारिश धूप सबको पनाह देने वाले बड़े घर उन सूंदर बन्द चार दिवारी से जीत गए।
लो आज फिर हेलो से नमस्ते जीत गयी।
आज फिर नुक्कड़ वाले दर्जी काका बड़ी बड़ी दुकानों,शोरूम से जीत गए।
गाँव मे घर घर आकर हजामत बनाने वाले नाइ ,उन बड़े सलून से जीत गए।
नल और कुओं का ताजा ठंडा पानी ,उस मोटर से भरे टंकी के गन्दे पानी से जीत गया।
आज वो अपने अपने कमरों में प्राइवेसी में रहते बच्चो से, भरे भरे आंगन जीत गए।
सैलरी वाले लोगो से साल में एक बार गन्ने के पैसे का इंतज़ार करने वाले किसान जीत गए।
लो आज फिर से ये अकेला सिसकता गाँव जीत गया।
और निस्वार्थ बाहें फैला दी उन सबके लिए जिनको इस मुश्किल घड़ी में आज फिर गाँव की गोद सबसे ज्यादा सुरक्षित लग रही है।
आज जब एक गवार कहलाने वाला गांव जीत गया तो भी जीत ही जायेंगे।कोरोना से।।बस धैर्य रखो और अपनी असली धरोहर का सम्मान करो।
जय जवान ,जय किसान
जय भारत माता
Vry nice
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