Love और Lust

Love और lust सुनकर सबके दिल में अपनी अपनी जिंदगी से जुड़े कुछ वाक्यात जिन्दा हुए होंगे।subject ही कुछ ऐसा है।जिसे जिंदगी भर love की तलाश में lust मिला होगा उसके लिए भी और जिसे lust की दुनिया में love मिल गया होगा उसके लिए भी ये एक अहम् मुद्दा होगा।आज की दुनिया में कहाँ हम पता लगा पाते हैं की जिसे हम प्यार समझ रहे हैं वो सिर्फ वासना है या जिसे सिर्फ वासना समझा वो प्यार निकला।कल बातो ही बातो में एक दोस्त ने कहा की सेक्स क्या कोई बड़ी चीज़ होती है आज कल।
और मेरे मुह से अचानक ही निकल गया "हाँ क्यों नहीं,सेक्स तो बहुत बड़ी चीज़ होती है,जिसे प्यार में मिले उसके लिए भी और जिसे rape में मिले उसके लिए भी।जिन्दगी दोनों की ही बदल देता है ये सेक्स।"उस वक्त ये बस मेरे शब्द थे मगर कह देने के बाद जब मैं इन शब्दों की गहराई में गयी तो बस डूबती चली गयी।अचानक से बहुत बड़ी और बहुत गहरी बात कह गयी थी मैं।
और मेरा मन तुलना करने लगा था ,जो रिश्ता एक तवायफ और एक पत्नी में होता है ,वही रिश्ता प्यार और वासना में होता है ।पत्नी के साथ bed share करते हैं तो love और एक तवायफ के साथ share करते हैं तो lust।चीज़ तो वही होती है ना।आज शायद मेरे कुछ दोस्त ये सोचे की मैंने ये मुद्दा क्यों उठाया या फिर ये सोचे की क्या मुझे अजीब नहीं लगा खुल कर उस विषय में बात करने में जिसे आज भी भारत में खुल कर चर्चा में लाना शर्म की बात समझा जाता है।मगर यदि मन में कुछ विचार हो तो क्या बुराई उन्हें व्यक्त करने में।
मैं तो बस इतना जानने की कोशिश कर रही थी की एक ही चीज़ के 2 इतने बड़े पहलु कैसे।
एक तरफ सेक्स की वजह से लोगो की जिंदगी में खुशिया भर जाती हैं जब वो वंश को आगे बढ़ा देते हैं।वहीँ दूसरी तरफ ये सेक्स किसी की जिंदगी बर्बाद कर देता है जब अनिच्छा से हो जिसे हम बलात्कार कहते है। प्यार की वजह से कोई बच्चे को जन्म दे तो उसकी बलाएं ली जाती हैं और वासना का शिकार महिला अगर बच्चे को जन्म दे तो वो अभिशाप बन जाता है।
अपनी मर्जी से पूरा परिवार एक लड़के और लड़की को कुछ रस्मे निभा कर इज़ाज़त देदेती है तो वो प्यार है जिसपर सब गर्व करते हैं , वहीँ अगर अपनी मर्जी से बालक बालिकाए इस रास्ते जाये तो ये बात समाज को शर्मशार कर देती हैं।
आज एक ही चीज़ के इतने अलग रूप सोचकर मैं हैरान थी।
तवायफ को हम नीची दृष्टि से देखते हैं क्योंकि वो एक नहीं कई लोगो के संपर्क में आती है।और एक पत्नी को देवी और घर की लक्षमी कहा जाता है क्योंकि वो एक पुरुष के साथ जीवन निर्वाह करती है।हाँ सही भी है मैं सहमत भी हूँ,मगर उस पुरुष से कैसे सहमत हो जाये जिसकी वजह से समाज में एक स्त्री को पत्नी और लक्षमी का नाम मान सम्मान मिला और उसी पुरुष की वासनाओ की वजह से दूसरी स्त्री को तवायफ  बन जाना पड़ा।और त्रिस्कार मिला।क्या पुरुष की वासना के बिना कोई लड़की तवायफ बन सकती थी।फिर उस पुरुष को सम्मान क्यों मिले ,एक सुखी गृहस्ती बिताने का अधिकार क्यों मिले।
आज जब मुद्दा उठ ही गया है तो मैं आप सबका सामना कुछ सच्चे तथ्यों से कराना चाहूंगी।ऐसे तथ्य जिनपर हमने कभी ध्यान ही नहीं दिया।lust की दुनिया में जानी जाने वाली तवायफ के तथ्य।
मेरे कुछ सवाल है समाज से की ,क्या एक तवायफ अकेली जिम्मेदार होती है इस घृणा की,इस त्रिस्कार की,जिसे इस दुनिया का हिस्सा सिर्फ एक पुरुष ने बनाया है,उस पुरुष ने जो घर में अपनी पत्नी का परमेश्वर है उसका देवता है,और बहार उसी पुरुष की वासना की वजह से एक स्त्री को तवायफ बन जाना पड़ा।
वो पुरुष इस घृणा का हकदार क्यों नहीं है ,जो अपनी पत्नी के व्रत की वजह से अपनी वसनाग्नि को शांत करने के लिए एक तवायफ का सहारा लेता है,तो गुन्हेगार कौन?वो तवायफ जिसने एक पत्नी के व्रत को पवित्र रखा,या वो पुरुष जिसने अपनी पत्नी के विश्वास को अपनी वासना में अंधे होकर तोड़ दिया।
जब पत्नी के pregnant हो जाने पर वो पुरुष अपनी पत्नी से दूर रहने पर मजबूर हो गया तो उसने सहारा लिया एक तवायफ का।तो गुन्हेगार कौन? वो औरत जिसने खुद को बलिदान कर के एक पत्नी का विश्वास कायम रखा की उसका पति कितना संयमी है ,या उस पुरुष की बेफ़ाइ जो कुछ दिन इस सेक्स के बिना ना रह पाया।
मैं नहीं कहती की समाज में तवायफ को कोई खास अधिकार दिया जाये या कुछ भी बस इतना कहना चाहती हु की ये तवायफ बन ही कैसे जाती है बिना पुरुष के।अगर ये प्यार सिर्फ प्यार बना रहे तो वासना की जरुरत ही क्या।
अगर love सिर्फ love रहे lust का नाम ही कहाँ रह जाये।
अगर ये इंसनियत जरुरतो को पूरा करने का एक तरीका है तो इसे सिर्फ प्यार रहने दो, lust नहीं।
फिर शायद न कोई तवायफ होगी न किसी पत्नी का विश्वास दाव पे होगा।अगर जिंदगी बदलेगी तो प्यार की वजह से ,बलात्कार की नहीं।
तो इसलिए मेरे दोस्त सेक्स बडी नहीं बहुत बड़ी चीज़ है।
प्रीती राजपूत शर्मा
31 अगस्त 2016

टिप्पणियाँ

kuch reh to nahi gya

हाँ,बदल गयी हूँ मैं...

Kuch rah to nahi gaya

बस यही कमाया मैंने